अगर सऊदी तब्लीगी जमात को ‘आतंकवादी संगठन’ कह सकता है, तो भारत क्यों नहीं?

सऊदी ने तब्लीगी जमात पर लगाया प्रतिबंध!

PC: Republic World

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भारत में जब कोरोना ने दस्तक दी थी तो उस समय एक इस्लामिक संगठन को लेकर बहुत चर्चा हुई थी और वो संगठन था तब्लीगी जमातl  इस संगठन के लिए भारत सरकार ने पहले ही स्पष्ट कह दिया था कि यह इस्लामिक संगठन देश में आतंकी गतिविधियों को बढ़ा रहा है पर उस समय देश के कुछ लिबरल लोगों ने भारत सरकार के कथन को झूठा साबित करने का पूर्ण प्रयास किया। लेकिन वो कहते हैं न सांच को आंच कहाँ, अब इसी इस्लामिक संगठन को सऊदी अरब ने आतंकवाद के द्वारों में से एक बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया है। सऊदी इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को शुक्रवार के उपदेश के दौरान लोगों को उनके साथ जुड़ने के खिलाफ चेतावनी देने का निर्देश दिया।

मंत्रालय ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, उपदेशकों के लिए उपदेश में शामिल करने के लिए चार विषयों को सूचीबद्ध किया है:

1- इस समूह के पथभ्रष्टता, विचलन और खतरे की घोषणा, और यह कि यह आतंकवाद के द्वारों में से एक है, भले ही वे अन्यथा दावा करें।

2- उनकी सबसे प्रमुख गलतियों का उल्लेख करें।

3- समाज के लिए उनके खतरे का उल्लेख करें।

4- यह कथन कि सऊदी अरब साम्राज्य में (तब्लीगी और दावा समूह) सहित पक्षपातपूर्ण समूहों के साथ संबद्धता निषिद्ध है।

तब्लीगी जमात पर आतंकवाद को बढ़ावा देने को लेकर इलज़ाम पहले भी लग चुके हैं पर सऊदी अरब जैसे विश्व के सबसे बड़े इस्लामिक देश ने तब्लीगी जमात को आतंक का पर्याय बताकर पूरे विश्व को सचेत कर दिया है और इससे यह भी साफ़ हो गया कि मोदी सरकार ने जो इस तब्लीगी जमात को लेकर पहले दावा किया था वो सब सत्य साबित हो गया है। गौरतलब है कि यह संगठन भारत में 1926 के आसपास अस्तित्व में आया था। तब्लीगी जमात एक सुन्नी इस्लामिक मिशनरी आंदोलन है। यह संगठन मुसलमानों के लिए सुन्नी इस्लाम में लौटने और धार्मिक शिक्षा देने का काम करता है।

ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में इसके 350 से 400 मिलियन सदस्य हैं। वे सामूहिक रूप से दावा करते हैं कि वे विशेष रूप से धर्म पर ध्यान केंद्रित करते हैं और राजनीतिक गतिविधियों और चर्चाओं से सख्ती से बचते हैं।

आपको बता दें कि तब्लीगी जमात, हमेशा विवाद के केंद्र में रहा है, पिछले वर्ष मार्च में दिल्ली में तब्लीगी जमात के मुख्यालय में आयोजित एक धार्मिक मण्डली में शामिल होने वाले दर्जनों लोग COVID-19 पॉजिटिव आये थे। देश भर से और इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे विदेशी देशों से कम से कम 2,000 लोग, निज़ामुद्दीन में सभा में शामिल हुए थे, जो मार्च की शुरुआत में शुरू हुई और कुछ हफ़्ते तक चली। समूह के नेता मौलाना साद कांधलवी पर दिल्ली पुलिस ने महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा ज़मातियों पर अस्पताल में नर्सों से बदतमीज़ी करने और उनपर थूकने के भी कई मामले सामने आये थे l

यह समूह वास्तव में क्या है?

तब्लीगी जमात (प्रचारकों का समाज) की स्थापना 1926 में भारत के मेवात में एक देवबंदी इस्लाम के जानकार मुहम्मद इलियास अल-कांधलावी ने की थी। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, अल-कांधलावी का लक्ष्य मुस्लिम पुनरुत्थानवादी समाज के रूप में समर्पित प्रचारकों का एक समूह स्थापित करना था। वो समूह जो “सच्चे” इस्लाम को पुनर्जीवित कर सकता था, जिसका उन्होंने देखा कि कई मुसलमानों द्वारा अभ्यास नहीं किया जा रहा था।

अल-कांधलावी ने अपने नए संगठन के लिए जो नारा गढ़ा, उसने उसकी गतिविधियों का सार पकड़ लिया – “ओह मुस्लिम, सच्चे मुसलमान बनो।”

सऊदी अरब के तब्लीगी जमात को आतंकी संगठन बताने के बाद अब भारत में भी इस संगठन को लेकर सरकार द्वारा जागरूकता फ़ैलाने की कोशिश की जानी चाहिए। भारत सरकार को इस मुद्दे को लेकर एक कानून बनाना चाहिए जिससे इस तरह के आतंकी संगठन पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सके। अब सऊदी अरब द्वारा तब्लीगी पर प्रतिबन्ध के बाद लिबरलों का मुँह बंद हो गया है, क्योंकि ये वही लोग हैं जो देश विरोधियों का गुणगान करने पहले आ जाते हैं।

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