वुहान वायरस के फैलाव ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विभिन्न प्रकार से अपना प्रभाव डाला है और भारतीय अर्थव्यवस्था भी इससे अछूती नहीं रही है। एक व्यवसाय जो चीनी वायरस के फैलाव के कारण सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है, वह शिक्षा व्यवसाय है। हालांकि, भारत में परंपरागत रूप से शिक्षा को व्यवसाय नहीं माना गया है, किंतु एक यह भी सत्य है कि पिछले कुछ वर्षों में कोचिंग संस्थाओं और निजी विद्यालयों ने शिक्षा को एक बड़े धंधे के रूप में बदल दिया है। वुहान वायरस के फैलाव से पहले तक भारत के लगभग हर शहर में निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट कार्य कर रहे थे, लेकिन महामारी के फैलाव के बाद शिक्षा जगत का एकमात्र विकल्प ऑनलाइन एजुकेशन सेक्टर रह गया है।
ऑनलाइन एजुकेशन के क्षेत्र में व्यवसायिक गतिविधियां कितनी तेजी से और कितने वृहद स्तर पर चल रही है, इसका प्रमाण हाल ही में स्टडी IQ और अड्डा 247 के बीच हुए एक समझौते से परिलक्षित होता है। स्टडी IQ, UPSC की तैयारी कराने वाला ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म है, जिसे अड्डा 247 ने 150 करोड़ में खरीद लिया है। अड्डा 247 स्वयं एक बड़ा ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफार्म है। इस समझौते के बाद अड्डा 247 सिविल सर्विस की परीक्षाओं के लिए भी शैक्षणिक कोर्स उपलब्ध कराएगा।
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वर्ष 2025 तक $4 बिलियन तक पहुंच सकता है भारतीय एडटेक उद्योग
बता दें कि एक अन्य ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफार्म BYJU’S ने वर्ष 2020 में कुल 51 करोड़ रुपए का लाभ कमाया था। यह विश्व की सबसे बड़ी ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म बन चुकी है, जिसकी कुल कीमत लगभग 2,434 करोड़ रुपए है। एक अनुमान के अनुसार भारतीय एडटेक उद्योग का मूल्य वर्ष 2020 में 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और वर्ष 2025 तक 39.77 फीसदी के चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्ध दर से इसे 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। अर्थात् वर्ष 2025 तक भारत में ऑनलाइन एजुकेशन का उद्योग 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत का होगा।
एक तथ्य यह है कि अभी दो कारक इस उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस महामारी के कारण विद्यालय शिक्षा ऑफलाइन मोड में नहीं चल पा रहे हैं। ऐसे में ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म इस अवसर का लाभ उठाकर विद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में, जिसके अंतर्गत किंडर से 12वीं तक की शिक्षा को रखा जाता है, उसका तेजी से विस्तार कर सकते हैं। पहले ही BYJU’S जैसी बड़ी कंपनी K-12 क्षेत्र में कार्यरत है।
इस क्षेत्र के विस्तार की है असीमित संभावनाएं
डेटा अनुसंधान और विश्लेषक कंपनी TRACXN के अनुसार, भारतीय एडटेक फर्मों ने वर्ष 2021 में अब तक 5.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर की फंडिंग जुटाई है। जुटाई गई कुल राशि में से 99 मिलियन अमेरिकी डॉलर K-12 शिक्षा में व्यावसायिक विस्तार के लिए जुटाई गई। वर्ष 2018 से अब तक 4,800 से अधिक K-12 एडटेक स्टार्ट-अप वैश्विक स्तर पर लॉन्च किए गए हैं, जिसमें अकेले भारत में 1,782 स्टार्ट-अप हैं। अगर इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ाया जाए और भारत के राज्य शिक्षा बोर्ड एवं CBSE के साथ सहयोग किया जाए, तो इस क्षेत्र के विस्तार की असीमित संभावनाएं हैं।
दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष भारतीय शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से विदेशी बच्चों को भी पढ़ाने का चलन है। भारत के शिक्षकों द्वारा विदेशों में पढ़ रहे प्राइमरी व जूनियर स्कूल के बच्चों को गणित पढ़ाए जाने का चलन है। इसपर BBC ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी कि कैसे पंजाब के शिक्षक ब्रिटेन के विद्यालयों के बच्चों को गणित पढ़ा रहे हैं।
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गौरतलब है कि भारतीय कंपनियां दूसरे देशों के विद्यालयी पाठ्यक्रम को समझकर, उसके विशेषज्ञ तैयार करके ऑनलाइन माध्यम से विदेशों में भी शैक्षणिक सेवाओं का विस्तार कर सकती हैं। इससे भारत में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। भारत के पास ऑनलाइन एजुकेशन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक हब बनने का अवसर और सामर्थ्य दोनों है, सरकार और निजी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यह भारत को आर्थिक लाभ पहुंचाएगा और साथ ही भारत की कूटनीतिक शक्ति अर्थात् सॉफ्ट पावर में भी वृद्धि करेगा।