चावल के निर्यात के मामले में भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। साल 2019-20 में बासमती तथा गैर-बासमती चावल का निर्यात 9.49 मिलियन टन था, जो साल 2020-21 में 87 फीसदी बढ़कर 17.72 मिलियन टन हो गया है। मूल्य के मामले में देखें, तो भारत का निर्यात 6,397 मिलियन यूएस डॉलर से 38 फीसदी बढ़कर 8,815 मिलियन यूएस डॉलर हो गया है। रुपए में तुलना करने पर यह वृद्धि 44 फीसदी की है। पिछले वर्ष भारत का चावल निर्यात 45,379 करोड़ रुपए था, जो इस वर्ष बढ़कर 65,298 करोड़ रुपए हो गया है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के चावल निर्यात में यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है, जब कोरोना वायरस के कारण वैश्विक सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने बंदरगाहों के विस्तार के साथ ही अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने का कार्य किया है। बंदरगाहों तक अनाज की तीव्र आपूर्ति और बंदरगाहों पर स्टोरेज की क्षमता बढ़ाई गई है।
इसके साथ ही नए बाजार खोजने के लिए सरकार ने लगातार प्रयास किए हैं। इन सब प्रयासों का लाभ स्पष्ट रूप से सामने आया है और भारत ने अफ्रीका, एशिया तथा यूरोपीय यूनियन के देशों को चावल निर्यात शुरू किया है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ने का लाभ भारत को मिला है और इस समय भारत चावल निर्यात में 33 फीसदी के उछाल के साथ दुनिया में सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है।
और पढ़ें: भारत ने पाकिस्तान को अपने “चावल-जाल” में फंसा लिया है, और वो कराहने के अलावा कुछ नहीं कर सकता
दुनिया के 125 में चावल का मुख्य निर्यातक है भारत
वर्तमान समय में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई खाड़ी देशों और अफ्रीकी देशों को भारत निर्यात कर रहा है। भारत दुनिया के 125 देशों में चावल का प्रमुख निर्यातक है। खाड़ी देश अन्न के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर हैं और भारत उनकी खाद्य सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण देश बन चुका है। सितंबर 2021 में ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि भारत वैश्विक चावल निर्यात में 45% चावल निर्यात करेगा। भारत के बाद निर्यात के मामले में थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान का नाम आता है। लेकिन इन तीनों देशों का कुल निर्यात एक साथ मिलाने पर भी भारतीय निर्यात से कम रह जाता है।
बता दें कि दुनिया के कुल चावल निर्यात में पहले थाइलैंड की हिस्सेदारी 38 फीसदी थी, जबकि भारत की हिस्सेदारी 26 और अमेरिका की 19 फीसदी थी। लेकिन अब चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ कर 33 फीसदी हो गई।
भारत का चावल निर्यात का मुख्य पोर्ट आंध्र प्रदेश के काकिनाडा में है। एक रिपोर्ट के अनुसार इसी वर्ष फरवरी माह तक काकिनाडा डीप वाटर पोर्ट प्रतिमाह 6,50,000 टन चावल का निर्यात कर रहा था। इस वर्ष के प्रारंभ में पहले सूखे और बाद में तेज बारिश के कारण वियतनाम और थाईलैंड में चावल की फसल प्रभावित हुई थी। साथ ही कोरोना महामारी के फैलाव ने भी इन देशों में चावल उत्पादन को प्रभावित किया था। ऐसे में वैश्विक सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हो सकती थी, लेकिन भारत ने दुनिया को इस गंभीर संकट से बचा लिया।
और पढ़ें: ‘हम वापस आ चुके हैं’, पीयूष गोयल के अनुसार निर्यात और आयात के क्षेत्र में आसमान छू रहा भारत
गैर बासमती चावल के निर्यात में हुई है जबरदस्त वृद्धि
भारत ने तिमोर-लेस्त (Timor-Leste), पापुआ न्यू गिनी, जिंबाब्वे, बुरुंडी, ब्राज़ील, म्यांमार, स्वाजीलैंड या किंगडम ऑफ एस्वातीनी नामक पश्चिम अफ्रीकी देश सहित कई अन्य देशों में पहली बार निर्यात किया है। इसके पूर्व यदि इन देशों में निर्यात हुआ भी था, तो वह बहुत छोटे स्तर पर हुआ था। इन सभी देशों को गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया है। गैर बासमती चावल का निर्यात 4,018 मिलियन डॉलर से बढ़कर 4,796 मिलियन डॉलर हो गया है। वहीं, दूसरी ओर सऊदी अरब, UAE, यमन, अमेरिका, ब्रिटेन, इराक, ईरान, कतर, ओमान और कुवैत आदि देशों को भारत ने बासमती चावल का निर्यात किया है। भारत के बासमती चावल का 80 फीसदी निर्यात इन्हीं देशों को किया गया है।
भारत का चावल निर्यात वैश्विक खाद्य सुरक्षा की दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। कई ऐसे देश हैं जो कोविड-19 के कारण खाद्य संकट का सामना कर सकते थे, लेकिन भारत में कृषि उत्पादन में वृद्धि ने दुनिया को खाद्य संकट से बचा लिया है। वहीं, भारत सरकार ने भी चावल निर्यात को बढ़ाने के लिए नए अवसर खोजने का प्रयास लगातार जारी रखा था।
सरकार ने APEDA और BEDF के साथ मिलकर किया काम
बता दें कि चावल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की संस्था Agricultural and Processed Food Products Exports Development Authority (APEDA) ने विभिन्न राज्य सरकारों तथा अन्य महत्वपूर्ण पक्षों के साथ मिलकर कार्य किया। केंद्र सरकार ने APEDA के अधिकार क्षेत्र में Rice Export Promotion Forum खोला। इस फोरम के अंतर्गत भारत के प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना आदि के साथ मिलकर कार्य किया गया। बासमती चावल के निर्यात के लिए, बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) का भी सहयोग लिया गया।
BEDF ने विभिन्न राज्य सरकारों तथा देश में स्थापित अलग-अलग कृषि महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से संपर्क किया। संस्था द्वारा चावल उत्पादन से संबंधित 75 ट्रेनिंग प्रोग्राम और जागरूकता अभियान संचालित किए गए। बासमती चावल का उत्पादन करने वाले किसानों का सरकारी वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन हुआ। इस प्रकार केंद्र सरकार ने चावल निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत प्रयास किया है, सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में जो ढांचा तैयार कर लिया है, उससे न केवल इस वर्ष बल्कि आने वाले वर्षों में भी चावल का निर्यात बढ़ेगा। एक अनुमान के अनुसार अगले वर्ष चावल का निर्यात इस वर्ष के रिकॉर्ड को तोड़कर और ऊपर जाने की संभावना है।
और पढ़ें: भारतीय निर्यात पहली बार 100 अरब डॉलर के पार पहुंच गया हैै