लार का PH मान कितना होता है
मुंह में बनने वाली लार हमारी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है इस बारे में हम ध्यान ही नहीं देते लेकिन अगर शरीर में लार की कमी हो जाए तो हमें स्वाद नहीं आएगा. इसके साथ ही कई बीमारियों और संक्रमणों का खतरा हो सकता है. लार ग्रंथियां मुखगुहिका में लार को स्रावित और भोजन के पाचन क्रिया में मदद करती हैं. इसमें 98% जल और 2% जल, श्लेष्म (म्यूसिन), एन्जाइम, इलेक्ट्रोलाइट्स, जीवाणुरोधी यौगिक, बलगम, आदि होता है. आइये इस लेख के माध्यम से लार ग्रंथि, लार का PH मान कितना होता है, उसके प्रकार और कार्य के बारे में अध्ययन करते हैं.
भोजन को रोज 30 मिनट तक चबाकर खाने से मुंह में लार बनती है जो खाते वक्त ही कैर्सिनोजेनिक तत्वों को खत्म करने में मदद करती है. कार्सिनोजेन डाइट के हानिकारक तत्वों के संक्रमण से लार न सिर्फ मुंह को साफ करती है बल्कि 30 मिनट तक पेट में भी यह प्रक्रिया चलती है. कई लोग रात में सोते समय लार टपकाते हैं. वैज्ञानिक भाषा में लार को एक्सोक्राइन ग्रंथि कहा जाता है. मुंह से लार निकलने की समस्या सिर्फ बच्चों में ही नहीं बल्कि बड़ो में भी देखने को मिलती है.
यूं तो मुंह में लार बनने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- खाने-पीने की किसी वस्तु या दवा से एलर्जी होना, मानसिक टेंशन, ड्रग्स या एल्कोहल लेने, नींद की कमी या फिर किसी गंभीर बीमारी का भी संकेत हो सकता है. दिन में जागते समय की तुलना में सोते समय लार का अधिक निर्माण होता है.
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मानव लार का pH मान = 6.5 – 7. होता है.
1909 में जलीय घोल के एच+ आयन की सांद्रता बताने वाले डेनमार्क के बायोकेमिस्ट एस.पी.एल.सोरेनसन (S.P.L Sorenson) ने एक स्केल बनाया जिसे पीएच (pH) के रूप में जाना जाता है| किसी भी घोल का पीएच (pH) एक संख्या होता है जो उस घोल की अम्लता या क्षारता के बारे में बताता है
किसी भी घोल का पीएच (pH) मान हाइड्रोजन आयन (H+) की सांद्रता के विलोम के लघुगणक की संख्या के बराबर होता है. इसलिए, घोल का पीएच (pH) हाइड्रोजन आयन के नकारात्मक लघुगणक के तौर पर जाना जाता है
pH= – log 1/ [H+]
= log1[H+]
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पीएच (pH) मान की मूल अवधारणा
उदासीन घोल – (शुद्ध पानी) का pH: पानी का pH 7 होता है| जब कभी एक घोल का pH 7 हो, तो वह उदासीन घोल होगा. ऐसा घोल किसी भी लिटमस घोल या किसी अन्य संकेतक पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करेगा.
अम्लीय घोल का pH: सभी अम्लीय घोलों का pH 7 से कम होता है| इसलिए जब कभी किसी घोल का pH 7 से कम हो तो वह अम्लीय प्रकृति का होगा और यह नीले लिटमस को लाल रंग में बदल देगा और मिथाइल ऑरेंज को गुलाबी एवं फेनॉल्फथलीन को रंगहीन कर देगा.
क्षारीय घोल का pH: सभी क्षारीय घोलों का pH 7 से अधिक होता है| इसलिए जब कभी भी किसी घोल के pH का मान 7 से अधिक हो तो वह क्षारीय प्रकृति का होगा और लाल लिटमस को नीले रंग में, मिथाइल ऑरेंज को पीला और फिनॉल्फथलीन को गुलाबी रंग का बना देगा.
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