लिखित भाषा किसे कहते हैं
लिखित भाषा किसे कहते हैं? – जब कोई व्यक्ति अपने विचारों को पत्र लिखकर, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, कहानी, लेख, संस्मरण, कंप्यूटर पर काम करना, ई-मेल, एस० एम० एस० आदि. लिखकर प्रकट करता है. और दूसरा व्यक्ति पढ़कर उसकी बात समझता है. तो भाषा के इस रूप को लिखित भाषा कहते हैं.
भाषा :- ‘भाषा’ शब्द संस्कृत की भाष धातु से बना है. जिसका अर्थ-बोलना होता है. हम बोलकर और लिखकर अपने मन के भावों को अभिव्यक्त करते हैं और सुनकर व पढ़कर दूसरों के भावों को ग्रहण करते हैं. भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य आपस में अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं.
भाषा कितने प्रकार के होते हैं
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
- सांकेतिक भाषा
मौखिक भाषा
मौखिक भाषा वह भाषा होती है जिसमे कोई व्यक्ति अपनी भावनाओ, मनोदशा, भावों, स्थिति, परिस्थिति को मुह से बोल कर शब्दों से वाक्य का निर्माण करके किसी अन्य व्यक्ति को बताता है. इसमें एक व्यक्ति बोलने वाला होता है. और दूसरा सुनने वाला होता है. सुनने वाले व्यक्ति एक से ज्यादा भी हो सकते है.
लिखित भाषा किसे कहते हैं?
जब व्यक्ति अपने विचारों को लिखकर प्रकट करता है तो भाषा के इस रूप को लिखित भाषा कहते हैं.
लिखित भाषा किसे कहते हैं? लिखित भाषा के उदाहरण
भाषा के लिखित रूप के द्वारा मनुष्य के विचार भविष्य के लिए भी सुरक्षित रखे जा सकते हैं. युगों पूर्व हुए विद्वानों और महापुरुषों के विचारों को लिखित रूप में पुस्तकों में आज भी पढ़कर जाना जा सकता है. वेद, पुराण, गीता, रामायण, महाभारत आदि इसके प्रमाण हैं.
- समाचार-पत्र,
- पत्रिकाएँ,
- कहानी,
- लेख,
- संस्मरण,
- ई-मेल,
- एस० एम० एस०
- ब्लॉग,
- स्क्रिप्ट,
- जर्नल,
- निबंध
लिखित भाषा की विशेषताएँ
(1) यह भाषा का स्थायी रूप है.
(2) इस रूप में हम अपने भावों और विचारों को अनंत काल के लिए सुरक्षित रख सकते हैं.
(3) यह रूप यह अपेक्षा नहीं करता कि वक्ता और श्रोता आमने-सामने हों.
(4) इस रूप की आधारभूत इकाई ‘वर्ण’ हैं जो उच्चरित ध्वनियों को अभिव्यक्त करते हैं.
(5) यह भाषा का गौण रूप है.
सांकेतिक भाषा
जब व्यक्ति अपने विचारों को संकेतों के द्वारा प्रकट करता है तो भाषा के इस रूप को सांकेतिक भाषा कहते हैं; जैसे- मूक-बधिर लोग संकेतों (इशारों) और मुख-भंगिमाओं के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हैं; तथा सड़क पर यातायात पुलिसकर्मी हाथ के इशारे से लोगों को रुकने या जाने के लिए कहता है.
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भाषा के कितने रूप होते हैं
विश्व में भाषाओं की संख्या 7000 के लगभग मानी गई हैं. परन्तु भाषा के रूप या भेद या प्रकार तो मुख्य तीन ही माने जाते हैं.
भाषा के कितने रूप होते हैं उनके नाम बताइए
भाषा मनुष्य की वह आंतरिक अभिव्यक्ति है जो उसके मनोगत विचारों एवं भावों को सुव्यवस्थित रूप से बोलकर या लिखकर व्यक्त किया जाता है. बात भाषा के रूप या भेद या प्रकार की हो रही है. तो भाषा के 3 रूप पूरी दुनिया में प्रचलित हैं. फिर चाहे भाषा हिंदी हो या फिर अंग्रेजी , उसके रूप तो तीन ही होगी.
भाषा के मुख्य रूप कौन-कौन से हैं
भाषा मुख्य रूप से निम्न प्रकार की होती है.
सामान्य बोलचाल की भाषा – इस प्रकार की भाषा का प्रयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते है, यह आम बोलचाल की भाषा होती है जिसके माध्यम से हम एक दुसरे के विचार को समझ पाते है. साथ ही उनका जवाब दे पाते है.
मानक भाषा – मानक भाषा किसी भाषा के उस रूप को कहते हैं, जो उस भाषा के पूरे क्षेत्र में शुद्ध माना जाता है तथा जिसे उस प्रदेश का शिक्षित और शिष्ट समाज अपनी भाषा का आदर्श रूप मानता है और प्रायः सभी औपचारिक स्थितियों में, लेखन में, प्रशासन और शिक्षा के माध्यम के रूप में यथासाध्य उसी का प्रयोग करता है.
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