भारत एक सहिष्णु देश है। भारत में सभी धर्मो को पूरी आज़ादी है और लोगों को धार्मिक अनुष्ठान के लिए भी विशेष जगह सुनिश्चित की गई है। इसके अतिरिक्त धर्म विशेष के कुछ लोग सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ पढ़ते हैं। गुरुग्राम में पिछले कुछ महीनों से लोग सार्वजनिक भूमि पर नमाज़ अदा करने के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बीते शुक्रवार को विरोध के बीच सार्वजनिक नमाज़ पर अस्थायी निलंबन की घोषणा करते हुए कहा कि, “खुली जगहों पर नमाज़़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
सार्वजानिक स्थलों पर नमाज़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी
CM खट्टर ने मीडिया से कहा कि “सार्वजनिक नमाज़ के लिए दिए गए सभी पिछले प्रतिबंधों को रद्द कर दिया गया था और राज्य सरकार अब एक सौहार्दपूर्ण समाधान करेगी, जो सभी अधिकारों को बनाए रखेगी और कोई अतिक्रमण या शोषण सुनिश्चित नहीं करेगी।” खट्टर ने आगे कहा, ‘मैंने पुलिस से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा है। लोगों को निर्धारित जगहों पर नमाज़ या पूजा करने में कोई दिक्कत नहीं है।”
इसके लिए धार्मिक स्थल निर्धारित किए गए हैं लेकिन खुले में नमाज़ पढ़ने की हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाएगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर का बयान आने के बाद गुरुग्राम प्रशासन ने कहा कि “कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति या उसी के बारे में कोई तनाव नहीं होना चाहिए। हमें पता चला कि समूहों के बीच एक बैठक हुई थी और कुछ स्थानों पर सहमति या आवंटन हुआ था, लेकिन हम तत्काल प्रभाव से सभी को वापस ले लेंगे और जल्द ही एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे।”
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CM खट्टर ने अपने वक्तव्य में साफ कहा कि “धार्मिक स्थल इसी मकसद से बनाए जाते हैं कि लोग वहां जाएं और पूजा-अर्चना करें। इस तरह के कार्यक्रम खुले में नहीं होने चाहिए।” उन्होंने कहा कि, “खुली जगहों पर नमाज़ पढ़कर टकराव से बचना चाहिए। हम टकराव (दो पक्षों के बीच निर्माण) की भी इजाजत नहीं देंगे।” बता दें कि पिछले कुछ महीनों में, कुछ हिंदू संगठनों के सदस्य उन जगहों पर इकट्ठा हो रहे हैं, जहां मुस्लिम समुदाय खुले स्थान पर ‘नमाज़’ पढ़ता है और वहीं, ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए जा रहे हैं।
साल 2018 से हो रहा है खुले में नमाज़ पढ़ने का विरोध
लगभग तीन साल पहले, जिला प्रशासन ने गुड़गांव शहर में मुसलमानों के लिए शुक्रवार की नमाज़ अदा करने के लिए 37 स्थलों को नामित किया था, जिसके बाद कुछ हिंदू समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। कुछ महीने पहले भी एक समूह ने खुले में नमाज़ अदा करने के विरुद्ध विरोध शुरू कर दिया था, जिसके बाद पिछले कई हफ्तों से गुरुग्राम में प्रत्येक शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है, जब खट्टर ने इस मुद्दे पर अपनी बात कही है। साल 2018 में, हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा था कि “सार्वजनिक स्थानों के बजाय मस्जिदों, ईदगाह या अन्य निर्दिष्ट स्थानों पर नमाज़ अदा की जानी चाहिए।”
ऐसे में, खुले में सार्वजनिक स्थानों पर शुक्रवार की नमाज़ का विरोध साल 2018 से गुरुग्राम में हो रहा है। उसी वर्ष, प्रशासन ने मुसलमानों के लिए शुक्रवार की नमाज़ अदा करने के लिए 37 स्थलों को नामित किया। हालांकि, इस साल नवंबर में दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों द्वारा विरोध और नमाज़ को बाधित करने के बाद साइटों की संख्या को घटाकर 20 कर दिया गया था। हालांकि, मुसलमानों ने कहा है कि “उन्हें सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि शहर में पर्याप्त मस्जिदें नहीं थीं।” वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री का बयान सामने आने के बाद से उम्मीद की जा सकती है कि यह मुद्दा जल्द सुलझ जाएगा।