हरियाणा के गुरुग्राम में सार्वजनिक जगहों पर खुले में नमाज़ अदा करने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इसी बीच बीते दिन शुक्रवार को गुरुग्राम के सेक्टर-37 के मैदान में एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। अब इस मैदान में कीर्तन और भंडारा हो रहा है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद हैं। दरअसल, कुछ समय पहले गुरुग्राम में मुस्लिम समुदाय के लोगों को खुले में नमाज़ अदा करने की इजाजत मिली थी, जिसे लेकर वहां तनाव पैदा हो गया था।
नमाज़ वाली जगह पर हुआ भजन-कीर्तन
हाल ही में, सेक्टर 37 थाना के बाहर खांडसा, मोहम्मदपुर झारसा, बेगमपुर गांव के स्थानीय लोगों व कुछ दक्षिणपंथी सदस्यों ने नमाज़ के स्थान पर उन लोगों ने CDS बिपिन रावत और वहां हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए अन्य सहयोगियों के लिए शोक सभा का आयोजन किया था। इन समूहों द्वारा आयोजित शोक सभा के कारण यहां शुक्रवार की नमाज़ नहीं हो सकी। वहीं सेक्टर 37 के मैदान में एक बार फिर हिंदू लोगों ने कीर्तन और भंडारे का आयोजन किया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे।
सेक्टर 47, सेक्टर 12 ए और अब सेक्टर 37 में जिला प्रशासन द्वारा चिन्हित स्थानों पर पिछले तीन माह से खुली नमाज़ का विरोध किया जा रहा है। विरोध के चलते शहर में जुमे की नमाज़ की संख्या घटकर आधी रह गई है। जानकारी के मुताबिक पहले जहां शुक्रवार को शहर में 37 जगहों पर नमाज़ अदा की जाती थी, वहीं अब यह संख्या घटकर 19 हो गई है।
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बताते चलें कि इस महीने की शुरुआत में सेक्टर-37 में नमाज़ के विरोध में वहां तनाव की स्थिति थी। पुलिस ने इस मामले में करीब आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार भी किया था। खुली नमाज़ का विरोध करते हुए हिंदू संगठनों का कहना है कि “जिस सार्वजनिक जगह पर नमाज़ पढ़ी जाती है, उस पर बाद में एक खास धर्म के लोग ‘कब्जा’ कर लेते हैं।” काफी विवाद के बाद गुरुग्राम पुलिस ने सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ की जगह तय कर दी थी। कहा जाता था कि इन जगहों का फैसला हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों ने आपसी समझ के बाद किया है।
सुप्रीम कोर्ट से है मामले के जल्द सुलझने की उम्मीद
वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस मुद्दे पर कहा कि “सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ अदा करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।” यहां तक कि जिला प्रशासन ने 20 निर्दिष्ट स्थलों पर पिछले शुक्रवार की नमाज़ की अनुमति वापस ले ली है। उन्होंने अपने वक्तव्य में आगे कहा था कि “इस तरह के कार्यक्रम (नमाज़) खुले में नहीं होने चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ अदा करने की इस प्रथा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा क्योंकि इससे विवाद और टकराव हो रहा है। हमने पुलिस और प्रशासन को मामले को सौहार्दपूर्ण तरीके से इस मामले सुलझाने के निर्देश दिए हैं। हम किसी भी टकराव की अनुमति नहीं देंगे, और इसे हल करने का प्रयास करेंगे।”
आपको बता दें कि देश में इतनी धार्मिक आज़ादी होने के बाद भी कुछ विशेष समुदाय के लोग खुले में नमाज़ पढ़ने की जिद्द करते हैं। खुले में नमाज़ अदा करने से आमजनमानस को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है ,लेकिन अब हरियाणा सरकार द्वारा सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ की अनुमति वापस लेने के साथ हीं दोनों समुदाय में अराजक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हालांकि, अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और अब कोर्ट के दिशानिर्देश से हीं इस मामले के जल्द सुलझने की उम्मीद है।
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