विराट के चाटुकार करना चाहते हैं सौरव गांगुली को BCCI से बाहर

सौरव गांगुली के आसपास भी नहीं है विराट कोहली!

विराट कोहली गांगुली

विराट कोहली का क्रिकेट पर कम और Wokeism पर अधिक ज्ञान देने के कारण उनका टी-20 के बाद वनडे टीम की कप्तानी से पत्ता कटना तय था, परंतु कोहली की हठधर्मिता के कारण ये प्रक्रिया अधिक जटिल एवं अपमानजनक हो गई। विराट कोहली को लगभग धक्के मारकर कप्तान के पद से हटाया गया और रोहित शर्मा को आगामी दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का वनडे टीम नया कप्तान बनाया गया। अब विराट केवल टेस्ट टीम की कप्तानी करेंगे और यह सुनते ही सभी विराट समर्थकों का ग्रेटा मोड ऑन हो गया।

विराट के अंधे समर्थकों का ट्विटर पर हल्लाबोल

वहीं, विराट कोहली के वनडे कप्तान से हटाए जाने के बाद सौरव गांगुली को निशाने पर लिया जाना कोई नई बात नहीं है। पिछले कई दिनों से उन्हें विलेन बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ठीक वैसे ही, जैसे आम आदमी पार्टी के समर्थक अपने थर्ड क्लास सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल को श्रेष्ठतम सिद्ध करने हेतु नरेंद्र मोदी को वर्षों से विलेन बनाते आए हैं। लेकिन हद तो तब हो गई जब #KickOutShahGanguly ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा, यानि जब तक सौरव गांगुली को BCCI के अध्यक्ष पद से नहीं हटाया जाएगा, तब तक न्याय नहीं होगा।

सच में, कोई सेंस है इस बात की? आप ही बताइए। कुछ तो क्लासिक ‘हाथी चले बाज़ार कुत्ते भौंके हज़ार’ की शैली वाले मीम्स पोस्ट कर रहे थे, तो कुछ विराट कोहली के कथित पुरस्कार के नाम पर अकड़ने लगे!

https://twitter.com/ReignOfVirat/status/1469902388601311232

https://twitter.com/aggresive_18/status/1469944169099579393

लेकिन कुछ लोगों ने निर्लज्जता की सभी सीमाएं लांघते हुए अपमानजनक पोस्ट करना शुरू कर दिया। एक व्यक्ति ने मीम के रूप में विराट कोहली को अंबानी द्वारा संचालित  ‘मुंबई माफिया’ के विरुद्ध लड़ता हुआ दिखाया, जो भारतीय क्रिकेट को अपने इशारों पर चलाना चाहते हैं।

https://twitter.com/TrollvkH/status/1469926744811622402

सुनो बंधु, न तो विराट कोहली कपिल देव जितने विलक्षण प्रतिभा वाले क्रिकेटर हैं और न ही उन्होंने देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की है, जो उनके पीछे कथित ‘मुंबई माफिया’ हाथ धोके पड़ जाएंगी। कुछ तो ऐसे भी भावुक हुए कि वे ऐसे मीम पोस्ट करने लगे। लेकिन ये तो प्रारंभ है, वीरू शर्मा नामक एक चाटुकार ट्वीट करते हैं कि “विराट कोहली ने रोहित शर्मा के रहते हुए ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी जीती है, जो किसी भी भारतीय कप्तान के उपलब्धियों से बहुत बड़ी है।”

रिकॉर्ड्स में विराट पीछे हैं और गांगुली आगे

एक ट्वीट में सौरव गांगुली और जय शाह [BCCI उपाध्यक्ष] की तुलना डस्टबिन से भी की गई है। यानि विराट कोहली और अरविन्द केजरीवाल के समर्थकों में एक बात तो समान है – दोनों दिमाग से तो बिल्कुल नहीं सोचते। लेकिन सौरव गांगुली को अपमानित करके विराट कोहली के अंधे समर्थकों ने इस बार वो किया है, जो उन्हें कभी नहीं करना चाहिए था।

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ये आज कल के छोकरे जानते भी हैं कि किस व्यक्ति को अपमानित कर रहे हैं? ये उस व्यक्ति को अपमानित कर रहे हैं, जिसके कारण आज भारतीय क्रिकेट टीम सर उठाकर दुनिया में घूम सकती है, ये वो व्यक्ति है जिसने भारत को दुनिया भर में जीतना सिखाया और हर व्यक्ति के अंदर छुपे जीत की भावना को बाहर निकाला है। जिस व्यक्ति के कारण देश को ज़हीर ख़ान, आशीष नेहरा, महेंद्र सिंह धोनी, वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, अजीत अगरकर, वीरेंद्र सहवाग, इरफान पठान इत्यादि जैसे दमदार खिलाड़ी मिले हों, उसे बताएंगे कि क्रिकेट कैसे संभालना चाहिए?

वहीं, रही बात रिकॉर्ड्स की, तो जिसे थाली में सजाकर वस्तुएं मिलेंगी, वो क्या जानेगा कि मेहनत क्या चीज होती है? वास्तविक रिकॉर्ड्स तो सौरव गांगुली ने बनाए हैं, जिसकी बराबरी शायद ही विराट कोहली अपने जीवन में कभी कर सकें। आज भी विराट कोहली कभी गर्व से नहीं कह सकते कि उन्होंने अपने प्रथम टेस्ट मैच में शतक ठोका था, जबकि सौरव गांगुली ने ये करिश्मा वर्ष 1996 में ही किया और वो भी क्रिकेट के तीर्थ यानि लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउन्ड, लंडन में।

विराट कभी सौरव गांगुली नहीं बन सकते!

अरे! ये तो कुछ भी नहीं है। सौरव गांगुली ने भारत को साल 2002 में ICC चैंपियंस ट्रॉफी के फ़ाइनल मुकाबले तक ले गए, वो भी तब-जब श्रीलंका अपने चरम पर हुआ करती थी। 2003 के विश्व कप फाइनल में हम भले ही ऑस्ट्रेलिया से पराजित हुए, परंतु हमारी टीम एक बेहतरीन टीम थी, जिसने कम से कम अपने देश का आत्मसम्मान तो दांव पर नहीं लगाया।

क्या इस बात की गारंटी कोहली समर्थक दे सकते हैं? कभी नहीं! सौरव गांगुली विश्व के उन छह क्रिकेटरों में सम्मिलित हैं, जिन्होंने 10,000 से अधिक रन बनाए हैं, 100 से अधिक विकेट लिए हैं और 100 से अधिक कैच पकड़े हैं। भले ही कोहली के पास इनसे रन थोड़े अधिक हों, पर इसके आधे भी विकेट हों, तो बहुत बड़ी बात होगी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सौरव गांगुली के पूरे टेस्ट करियर में किसी भी वर्ष उनका बैटिंग औसत 40 के नीचे नहीं गया जबकि विराट कोहली का तो दो ही वर्ष में टेस्ट क्रिकेट में 30 से नीचे का औसत रहा है।

वास्तव में, यदि विराट कोहली आज कप्तानी से हटाये गए हैं तो अपनी अकर्मण्यता के कारण, इसलिए नहीं कि BCCI को उनसे निजी शत्रुता है। ऐसे में, जिस प्रकार से विराट कोहली के अंधे समर्थकों ने सौरव गांगुली का अपमान किया है, उससे स्पष्ट होता है कि विराट कोहली के समर्थक भी विराट कोहली की भांति लॉजिक से कोसों दूर रहते हैं। वैसे सच बताओ कोहली के दीवानों!

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