आतंकवाद के कई रूप है। कुछ आम जनता को समझ में आते है कुछ नहीं। हाल के दिनों में वैश्विक पटल पर चीन एक आर्थिक आतंकी बन कर उभर रहा है! यह देश आर्थिक संसाधन का प्रयोग कर क्षेत्र में असंतुलन पैदा करने, छोटे देशों को धमकाने, उन्हें ऋण जाल में फंसाने और विकसित देशों के निवेशकों का पैसा डूबाने के लिए कर रहा है। किंतु पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने इन पर नकेल कसनी शुरू कर दी है। आयकर (आईटी) विभाग ने चीनी फोन निर्माताओं Oppo और Xiaomi के साथ-साथ उनके वितरण भागीदारों और कुछ अनुबंध निर्माण कंपनियों के कार्यालयों में छापेमारी की है।
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Oppo, OnePlus और Xiaomi के 15 ठिकानों पर रेड
चेन्नई के पेरुंगुडी में ओप्पो मुख्यालय के साथ-साथ अन्य कार्यालयों में भी बीते दिन बुधवार से ही IT की छापेमारी चल रही है। चेन्नई के साथ-साथ दिल्ली, मुंबई और तमिलनाडु जैसे अन्य बड़े शहरों में भी कंपनी के 8 अधिकारियों के खिलाफ जांच चल रही है। खबरों के मुताबिक ओप्पो के एक प्रतिनिधि ने संक्षिप्त रूप से कहा, “भारत में एक निवेश भागीदार के रूप में हम देश के कानून का बहुत सम्मान करते हैं और उसका पालन करते हैं। हम प्रक्रिया के अनुसार संबंधित अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग करना जारी रखेंगे।”
बता दें कि कंपनी ने न तो आईटी रेड और अधिकारियों के खिलाफ जांच की पुष्टि की और न ही इनकार किया है। कंपनी ने उनके परिसर में होने वाले नुकसान के किसी सूचना को भी साझा नहीं किया है। ET के मुताबिक, Oppo, OnePlus और Xiaomi के खिलाफ दिल्ली एनसीआर और कर्नाटक में कुल 15 जगहों पर तलाशी ली जा रही है। कथित तौर पर गुप्त आय और कर चोरी के खुफिया इनपुट के आधार पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
ZTE का मामला
इससे पहले अगस्त 2021 में चीनी सरकार द्वारा नियंत्रित एक दूरसंचार विक्रेता ZTE की तलाशी ली गई थी। तब कंपनी के कॉरपोरेट कार्यालय, विदेशी निदेशक के आवास, कंपनी सचिव के आवास, खाता, व्यक्ति और कंपनी के कैश हैंडलर सहित ZTE के कुल पांच परिसरों में तलाशी ली गई थी। ZTE पर खोज के दौरान बिक्री बिलों और आयात बिलों की जांच से पता चलता है कि उपकरण के व्यापार पर लगभग 30 फीसदी का सकल लाभ हुआ था। हालांकि, कंपनी वर्षों से “भारी” घाटे को प्रदर्शित कर रही थी, ताकि कर देने से बच सके।
जांच से पता चला कि कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के संबंध में फर्जी खर्चों के माध्यम से कंपनी द्वारा घाटा दिखाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, सरकार द्वारा ऐसे कुछ और कंपनियों की पहचान की गई है, जिन्होने वर्षों से पर्याप्त खर्च दर्ज किया है, जबकि इन संस्थाओं को न के बराबर कार्यरत पाया गया है। चीन भारत से पैसा तो कमाना चाहता है, लेकिन कर नहीं चुकाना चाहता। वो भारत का सिर्फ आर्थिक दोहन करना चाहता है। चीनी कंपनियां आज के ईस्ट इंडिया की तरह व्यवहार कर रही है, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि ये 21वीं सदी का भारत है, जो उनके हर सवाल का माकूल जवाब दे सकता है।
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