दो खबर देखिये।
खबर 1:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 339 करोड़ रुपये की लागत से काशी-कॉरीडोर परियोजना का लोकार्पण किया।
खबर 2:- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जामा मस्जिद ‘कॉरीडोर’ में सुधार के लिए सरकारी कार्ययोजना तैयार की।
यह दोनों खबर आपके नेताओं की नीति और नियति दर्शाती है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की नींव पीएम मोदी ने 8 मार्च, 2019 को रखी थी। यह राष्ट्र के गौरव, सांस्कृतिक इतिहास के साथ-साथ आतताइयों के प्रतिरोध स्वरूप स्थापित किया गया। कोविड महामारी के बावजूद इस योजना को निर्धारित समयावधि से तीन महीने पहले ही पूरा कर लिया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना की परिकल्पना तीर्थयात्रियों के लिए काशी विश्वनाथ दर्शन हेतु मार्ग को सुलभ बनाने के लिए की गई थी, जिन्हें गंगा में डुबकी लगाने और महादेव का जलाभिषेक करने के लिए भीड़ भाड़ वाली सड़कों से गुजरना पड़ता था।
देश की बहुप्रतीक्षित योजना का हुआ शुभारंभ
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना में मंदिर के आसपास की 300 से अधिक संपत्तियों की खरीद और अधिग्रहण शामिल है। इस प्रयास में करीब 1,400 दुकानदारों, किरायेदारों और मकान मालिकों का पुनर्वास सौहार्दपूर्ण ढंग से किया गया। पुरानी संपत्तियों को नष्ट करने की प्रक्रिया के दौरान, 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोजा गया। इन मंदिरों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण करते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि मूल संरचना में कोई बदलाव न हो।
इसमें 23 इमारतों जैसे पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम, व्यूइंग गैलरी, फूड कोर्ट का उद्घाटन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के हिस्से के रूप में किया गया। यह परियोजना लगभग 5 लाख वर्ग फुट में फैली हुई है, जबकि पहले परिसर लगभग 3,000 वर्ग फुट तक ही सीमित था। मंदिर के लिए जानेवाली सड़कों पर स्थित इमारतों के मुखौटे हल्के गुलाबी रंग में चित्रित किए गए हैं।
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केजरीवाल कर रहे हैं जामा मस्जिद कॉरीडोर का निर्माण
वहीं, केजरीवाल जामा मस्जिद कॉरीडोर का निर्माण सिर्फ हिंदुओं और राष्ट्र के पीड़ा पर नमक छिड़कने के लिए कर रहें है। केजरीवाल बखूबी जानते हैं कि जामा मस्जिद एक धार्मिक स्थल से ज्यादा राजनीतिक चौपाल है। यहीं से नागरिकता कानून का विद्रोह शुरू हुआ और यहीं से ओसामा का बचाव अभियान भी शुरू हुआ था। इमाम बुखारी को कौन नहीं जानता। फ़तवा पॉलिटिक्स की शुरुआत भी यहीं से हुई थी। केजरीवाल इसी का फायदा उठाना चाहते हैं। केजरीवाल इस बात से परिचित हैं कि वो इसलिए जीत रहे हैं क्योंकि वो मुसलमानों को अराजकता फैलाने की खुली छूट दे रहें है और हिंदुओं में स्वयं विकास का भरम फैला रहें है। ऊपर से वो सिर्फ बोलेंगे, करेंगे कुछ नहीं। सिर्फ ढोंग करेंगे, स्वांग रचेंगे और अपनी स्वार्थ सिद्धि करेंगे।
जामा मस्जिद मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा वर्ष 1650 और 1656 के बीच बनाया गया था। इसे सिर्फ मुग़ल राजघरानों के नमाज़ अदा करने के लिए विशेष रूप से निर्मित किया गया था। इतिहास में इस भवन को मुगलिया संप्रभुता का प्रतीक स्वरूप माना गया है। ऊपर से इसका उद्घाटन इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी ने किया था। ये इमाम साहब भारत से नहीं बल्कि बुखारा, उज्बेकिस्तान से बुलाये गए थे क्योंकि उस समय परिवर्तित हुए हिंदुओं अर्थात भारतीय मुसलमानों को नीची दृष्टि से देखा जाता था। निर्माण की देखरेख मुख्य रूप से शाहजहां के शासनकाल के दौरान वज़ीर (प्रधानमंत्री) सदुल्लाह खान और शाहजहां के घर के नियंत्रक फ़ाज़िल खान द्वारा की गई थी।
हिंदू-मुस्लिम की राजनीति कर रहे हैं केजरीवाल
लोकपाल के नाम पर राजनीति में आए केजरीवाल अब हिन्दू-मुस्लिम राजनीति करने का हर संभव प्रयास कर रहें है। ‘काशी के दरबार’ से घबराये केजरीवाल अब मुस्लिम तुष्टीकरण के नाम पर जामा-मस्जिद का सौंदर्यीकरण करना चाहते है। इसी तरह का हिन्दू-मुस्लिम विवाद उन्होंने द्वारका में हज़ हाउस बनाने के निर्णय को लेकर किया। हज़ हाउस निर्माण में अति करते हुए केजरीवाल ने तो आवासीय इलाके द्वारका में मुसलमानों के इस धार्मिक और सामूहिक भवन को इजाज़त भी दे दी।
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तुष्टीकरण से चल रही है केजरीवाल की सरकार!
केजरीवाल के छल पर अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुहर लगा दी है। आप लोगों को याद होगा कि ये वही केजरीवाल सरकार है, जिन्होंने दिल्ली दंगे के दौरान मुस्लिम चरमपंथियों को खुली छूट दे रखी थी। आम आदमी पार्टी के अमानतुल्ला खान, शाहरुख पठान और ताहिर हुसैन जैसे नेताओं ने खुले आम नरसंहार को अंजाम दिया। मुसलमानों को खुली छूट देने का पुरस्कार केजरी को दिल्ली विधानसभा जीत के रूप में मिला।
ज़रा सोचिए, विकास की जब इतनी ही बयार बह रही तो दिल्ली शिक्षा सुधार के कथित पुरोधा मनीष सिसोदिया हारते- हारते नहीं बचते और ना ही अमानतुल्लाह खान इतने भारी मतों से जीतते। कोर्ट ने भी साफ-साफ कहा कि दिल्ली दंगे हिंदुओं में भय व्याप्त करने के लिए किए गए थे। केजरीवाल जामा मस्जिद का सौंदर्यीकरण कराकर मुस्लिम तुष्टीकरण से चुनाव जीतना चाहते हैं। लगता है केजरी सरकार मुसलमानों के वक्फ़ बोर्ड में परिवर्तित हो गयी है!