Private sector Vs PSU में ज्यादा बेहतर कौन? मोतीलाल ओसवाल के सर्वे से उजागर हुई सच्चाई

कमाई के मामले में फिसड्डी रही है सरकारी कंपनियां!

मोतीलाल ओसवाल रिपोर्ट

Source- TFIPOST

देश की आर्थिक नीतियों को तय करते समय जो प्रश्न सबसे अधिक बार उठता है, वह यह है कि निजीकरण अथवा सरकारी नियंत्रण, अर्थव्यवस्था की इन दो व्यवस्थाओं में कौन सी व्यवस्था श्रेष्ठ है। सवाल यह भी है कि आर्थिक गतिविधियों को संचालित करने, तकनीकी विकास के आर्थिक समावेशन को विस्तृत करने और सबसे बढ़कर रोजगार सृजन हेतु सरकारी कंपनियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए अथवा निजी कंपनियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसी बीच मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विस की एक वार्षिक रिपोर्ट ने इस सच्चाई को सबके सामने रख दिया है। इस सर्वे ने स्पष्ट कर दिया है कि निजी क्षेत्र और PSU में बेहतर कौन है और देश की अर्थव्यवस्था को किससे ज्यादा सहयोग मिल रहा है।

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टॉप-10 में नहीं है एक भी सरकारी कंपनी

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विस ने अपने 26 वें वार्षिक रिपोर्ट (2016-21) में इस बारे में सर्वे के आधार पर महत्वपूर्ण जानकारियां प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पिछले 5 वर्षों से भारत में सबसे ज्यादा कमाई की और यह कंपनी लगातार तीसरी बार शीर्ष स्थान पर रही है। रिलायंस कंपनी ने इस दौरान कुल 9.7 लाख करोड़ रुपये जोड़े और पहले स्थान पर रही। IT दिग्गज टाटा कंसल्टिंग सर्विसेज 7.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर रही। वहीं, HDFC बैंक ने इस दौरान 5.2 लाख करोड़ रुपये जोड़े।

हिंदुस्तान यूनिलीवर 3.4 लाख करोड़ रुपये और इंफोसिस ने 3.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति सृजित की है। इसके बाद बजाज फाइनेंस, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और HCL टेक्नोलॉजीज, 2016-21 तक शीर्ष-10 धन निर्माताओं में शामिल हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि मोतीलाल ओसवाल रिपोर्ट में शीर्ष-10 संपत्ति निर्माता कंपनियों में सरकारी कंपनी तो छोड़िए, सरकारी बैंक तक शामिल नही हैं। शीर्ष-10 में स्थान बनाने वाले सभी बैंक ‘प्राइवेट बैंक’ हैं। इतना ही नहीं, पिछले 5 वर्षों में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली शीर्ष-100 कंपनियों में मात्र 2 सरकारी कंपनियां, एक गुजरात गैस और दूसरी इंद्रप्रस्थ गैस, सम्मिलित है।

सरकारी नियंत्रण से अर्थव्यवस्था को मुक्त करना चाहती है सरकार

यह सर्वे इस बात का प्रमाण है कि भारत सरकार क्यों बार-बार अत्यधिक सरकारी नियंत्रण से अर्थव्यवस्था को मुक्त करना चाहती है। भारत की समृद्धि का आधार सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन न होकर, निजी कंपनियों की सफलता है। टेलीकॉम से लेकर IT तक भारत ने जिन क्षेत्रों में विकास किया है, उन सभी क्षेत्रों के विकास में निजी कंपनियों का ही योगदान रहा है। जिन क्षेत्रों में केवल सरकारी कंपनी ही कार्य कर रही है, उन क्षेत्रों में तो हम केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते रहे जा रहे हैं। रक्षा क्षेत्र इसका प्रमुख उदाहरण है, जहां भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा आयातक बन चुका है।

भारत सरकार निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना लेकर आई है। फूड प्रोसेसिंग से लेकर टेलीविजन तक हर छोटे बड़े क्षेत्र में निजी कंपनियों को बढ़ावा मिल रहा है। सरकार बैंकिंग व्यवस्था में निजी भागीदारी को बढ़ावा देना चाहती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों का विस्तार हो सके। ऐसे में आने वाले समय में सभी राजनीतिक दलों को इस सत्य को स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए कि सरकारी कंपनियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी ही भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का एकमात्र उपाय है!

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