Rashtriya Ekta Diwas क्यों मनाया जाता है?
भारत को एक करने का काम भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने किया था. इसलिए हर साल 31 अक्टुबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती पर इस दिन को नेशनल यूनिटी डे या राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) के रूप में मनाया जाता है.
इस साल सरदार वल्लभ भाई पटेल की 146वीं जयंती है. दरअसल, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 560 रियासतों को भारत संघ में एकीकृत करने में अहम भूमिका निभाई थी.उनके इन्ही कार्य को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलिअर्पित करने के लिए इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) के रूप में मनाने का फैसला किया गया है.
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2014 में 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) के रूप में मनाने का फैसला किया था. वहीं भारत के लोह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है.
इस दिन का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नई दिल्ली में किया था. मोदी जी ने सरदार पटेल जी की प्रतिमा पर मालार्पण किया और ‘रन फॉर यूनिटी’ मैराथन की शुरुवात की. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सरदार पटेल द्वारा देश को एकजुट करने के प्रयास को देश-दुनिया के सामने उजागर करना था.
राष्ट्रीय एकता दिवस की आवश्यकता एवं महत्व
किसी भी देश का आधार उसकी एकता एवं अखंडता में ही छिपा होता हैं. भारत देश कई वर्षो तक गुलाम बना रहा. इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारतीयों में एकता की कमी का होना था. उसी एकता की कमी के कारण भारत गुलामी की जंजीरों मे पड़ा रहा. साथ ही अखंड भारत पर कई संस्कृतियों ने राज किया.
शासन बदलते रहने के कारण एवं विचारो में भिन्नता के कारण मतभेद उत्पन्न होता गया और देश में सबसे बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने राज किया और इन्होने भारतीयों की इसी कमी का फायदा उठाकर फूट डालों एवं राज करो की नीति अपनाई. इसी एक हथियार के कारण अंग्रेजों से भारत पर 200 वर्षो की गुलामी की. इससे पता लगाया जा सकता है कि किसी देश में एकता कितना महत्वपूर्ण स्थान रखती है. कौमी लड़ाई देश को खोखला बना देती हैं.
आज हम कहीं न कहीं जातिवाद में फसकर देश की एकता को कमजोर कर रहें है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण सन 1857 की क्रांति के विफल होने का है. इसलिए इन सब से हमें बाहर आकर देश की अखंडता और राष्ट्रहित के बारे में सोचना होगा.
और पढ़े: भारत का सच्चा इतिहास जो वामपंथियों ने छिपाये रखा
इस समस्या को समझते हुए कई महान स्वतंत्रता सेनानीयों ने पहले इस मुश्किल काम को कम करने की कोशिश की. उन्होने आजादी के लिए एकता के महत्व को बताया. रेड़ीओ और समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों में आजादी की लौं जलाई साथ ही सबको एकता का पाठ भी पढ़ाया.
जिसके चलते 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली. राष्ट्र को एक करने एंव उसको अखंड बनाने के लिए लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का योगदान सर्वोपरि है. उन्ही को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्टैच्यू आफ यूनिटी का अनावरण 2018 में किया गया था. सरदार पटेल की यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है और यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है. सरदार पटेल जी के इसी महान योगदान को याद करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस का पावन पर्व मनाया जाता है।
आज के समय में एकता खंडित हो चुकी हैं क्यूंकि आज परिवारों में ही एकता नहीं हैं. इसी कारण समाज में एकता नही हैं और अगर समाज में एकता नहीं होगी तो गाँव, शहर, राज्य एवं देश में कैसे हम एकता की उम्मीद रख सकेंगे.
एकता के लिए जरुरी हैं आज की पीढ़ी एवं पहले की पीढ़ी आपसी विचारों को व्यक्त करे, एवं एक दुसरे को अपनी-अपनी स्थिती से अवगत करायें. आज के समय में परिवारों का टूट जाना तो आसान हैं. उनका एक साथ रहना मुश्किल हैं. इसलिए आपसी विवादों को आपस में निपटाएं और एक होकर रहें. क्योंकि राष्ट्र को एक हम तभी कर सकते हैं जब आपसी परिवारों में एकता होगी और तभी राष्ट्र विकास की नई ऊंचाईयों के छू सकता है. Rashtriya Ekta Diwas से जुड़ा हमारा यह लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद और ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए हमने सब्सक्राइब करना ना भूले