सिलाव खाजा क्या है?
मिठाई का नाम सुनकर तो हम सब के मुंह में पानी आ जाता है.और क्यों ना आए वो होती ही इतनी स्वादिष्ठ है. ऐसी ही एक मिठाई के बारे में हम आपको बताने जा रहें हैं.जिसे हाल ही में भौगोलिक संकेत (GI) दिया गया है. हम आपकों आज बिहार की मशहूर मिठाई सिलाव का खाजा (Silao Khaja) के बारे में बताने जा रहें हैं. वैसे तो , बिहार बहुत सारी अनोखी चीजों के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है, परन्तु सिलाव खाजा (Silao Khaja) की बात ही निराली है.
Silao Khaja Meaning in Hindi
खाजा का वास्तविक अर्थ “खूब खा” और “जा” है जिसकी उत्पत्ति का इतिहास काफी पुराना है. बिहार की यह पारंपरिक मिठाई इस क्षेत्र की विशिष्टता को दर्शाने में अहम भूमिका निभाती हैं. सिलाव खाजा (Silao Khaja) अपने स्वाद, कुरकुरापन और बहुस्तरीय उपस्थिति के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है.
सिलाव खाजा 52 परतो में बना होता है. जो एक दूसरे के ऊपर होती हैं. इस हल्के पीले रंग की मिठाई में सामग्री के रूप में गेहूं का आटा, चीनी, मैदा, घी, इलायची और सौंफ होते हैं. वर्तमान में यह व्यंजन बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश इत्यादि में काफी लोकप्रिय है. बिहार के नालंदा जिला में इसकी बड़ी महत्त्व है, यही कारण है मांगलिक कार्य में इसका इस्तेमाल खूब होता है.
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Silao Khaja Global Indicator
बिहार में मिलने वाले मिष्ठान सिलाव खाजा (Silao Khaja) को हाल ही में भौगोलिक संकेत (Global Indicator) दिया गया है. ऐसा नाम उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है. जीआई उत्पाद दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों, बुनकरों शिल्पों और कलाकारों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाता है.
सिलाव बाजार में बनने वाले खाजा की बिक्री और लोकप्रियता का इतिहास पुराना है. सिलाव के पास ही नालंदा है, जहां हमेशा देश-विदेश के पर्यटक आते हैं. इसलिए न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी सिलाव के खाजा की पहुंच बनी हुई है. इसकी लोकप्रियता को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे और अथक प्रयासों के कारण, खाजा के व्यवसाय को वर्ष 2015 में उद्योग का दर्जा मिला. सिलाओँ के खाजा को उद्योग का दर्ज़ा प्राप्त होने के बाद इसके व्यवसाय में वृद्धि देखी गयी है.
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History of Silao Khaja in Hindi
बिहार के इतिहास का अध्ययन करने से पता चलता है कि सिलाव खाजा (Silao Khaja) बुद्ध काल में शुरू हुआ था, जो अभी भी जारी है, सिलाव खाजा अद्भुत कला का प्रदर्शन करता है जो इसे सभी मिठाइयों से अलग बनाता है.ऐसा माना जाता है कि काली शाह के परिवार ने खाजा की परंपरा को बरकरार रखा, आज भी इस परिवार के लोग खाजा के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. काली शाह के नाम से कई खाजा दुकानें हैं, जो काली शाह के रिश्तेदार हैं.
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कुशवाहा परिवार ने भी खाजा व्यवसाय को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इस मिठाई की लोकप्रियता को देखते हुए अब यह मिठाई ऑनलाइन पर भी उपलब्ध है. नालंदा के सिलाव का खाजा अब सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कई शहरों और यहां तक कि विदेशों में भी पहुंचने लगा है. सिलाव में खाजा बनाने के कारोबार से जुड़े काली शाह की दुकान के संचालकों की मानें तो पिछले हफ्ते से ही खाजा की ऑनलाइन सप्लाई शुरू की गई है.
अगले कुछ दिनों में यह सॉफ्टवेयर पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा, जिसके बाद देश-दुनिया में कहीं से भी सिलाव खाजा (Silao Khaja) मंगवाया जा सकेगा. अभी यह खाजा विदेशों में जहां लंदन, दुबई और पेरिस भेजा गया है, वहीं देश में कोलकाता, बनारस, लखनऊ, कानपुर, मुंबई समेत अन्य कई शहरों में ऑर्डर की सप्लाई की गई है.
कैसे बनता है सिलाव का खाजा देखे इस वीडियो में
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