कुछ दिनों पहले दो युवाओं द्वारा स्थापित Zepto नाम के एक स्टार्टअप ने हाल ही में सीरीज़ सी फंडिंग से $100 मिलियन जुटाए, इस फंडिंग से इस फर्म का कुल मूल्यांकन $225 मिलियन से $570 मिलियन हो गया। Zepto ने 10 मिनट से कम समय में किराने का सामान पहुंचाने का वादा किया है। इस मॉडल पर भारत में कम ही कंपनियों ने काम किया है और Zepto उन पहली कंपनियों में से एक है, जो ऐसा प्लान लेकर सामने आई है। Zepto की सफलता ने देश भर में ‘डार्क स्टोर्स’ के महत्व को उजागर किया है। इस आर्टिकल में हम विस्तार से समझेंगे कि आखिर यह डार्क स्टोर है क्या?
डार्क स्टोर क्या हैं?
‘डार्क स्टोर’ शब्द सुनते ही एक आम आदमी को सबसे पहले नकारात्मक ख्याल ही आएगा। हालांकि, इस शब्द का उपयोग केवल एक चारदीवारी स्टोर को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, जिसे कुछ समय पहले बंद कर दिया गया था, लेकिन फिर से कुछ कामों की पूर्ति के लिए दोबारा आरंभ किया गया। अपने आस-पास के ‘किराना’ स्टोर की कल्पना करें, जो महामारी के दौरान बंद था। दुकानदार ने अब सामने से शटर बंद कर दिए हैं और अपनी दुकान के गोदाम को पूरी तरह से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की पूर्ति करने वाली दुकान में बदल दिया है। नाम से तो डार्क स्टोर ऐसा प्रतीत होता है, जहां अलमारियों में सामान मिलता है और लोग खरीदने जाते हैं। हालांकि, ये शॉपिंग मॉल या हाई स्ट्रीट्स में स्थित नहीं है। ये स्टोर ऐसे स्थान पर होते हैं, जहां सड़क कनेक्शन अच्छा है। ऐसे में अधिकांश ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म 10 मिनट से कम समय में सामान पहुंचाने के लिए अब संघर्ष कर रहे हैं।
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एक डार्क स्टोर का संचालन
एक सामान्य डार्क स्टोर लगभग 10,000 से 20,000 वर्ग फुट की जगह को कवर करता है, जिसमें लगभग 15 से 20 कर्मचारी एक शिफ्ट के दौरान काम करते हैं। डार्क स्टोर एक साथ कई ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं को भी पूरा कर सकते हैं, जिससे खुदरा विक्रेताओं को अचल संपत्ति खर्च बचाने में मदद मिलती है। डार्क स्टोर्स बिजनेस मॉडल पर चलने वाली कंपनियों का सुझाव है कि ग्राहक के अधिक ऑर्डर और कम समग्र लागत के कारण, डार्क स्टोर्स को अपनाने से उनके फायदे में 3 से 4 प्रतिशत की वृद्धि होती है। डार्क स्टोर्स को उपभोक्ताओं के व्यवहार पर नजर रखने और ग्राहकों की प्राथमिकताओं के अनुरूप डेटा की समीक्षा के लिए एनालिटिक्स सिस्टम की आवश्यकता होती है। ऐसे स्टोर खोलने की योजना बनाते समय एसओपी, सुरक्षा और वेयरहाउस हैंडलिंग नियमावली निर्धारित की जाती है।
महामारी में डार्क स्टोर्स व्यवसाय मॉडल को मिली गति
डार्क स्टोर पहले से ही अस्तित्व में था, लेकिन महामारी के कारण स्थानीय रूप से इसके उभरने में तेजी आई है। जब कोरोना के समय दुनिया थम सी गई, लगभग सभी दुकानें बंद हो गई और लोग अपने घरों में कैद हो गए, तब लोगों को भोजन, किराना, प्रसाधन सामग्री जैसी दैनिक आवश्यक वस्तुओं की जरुरत महसूस हुई, लेकिन वायरस के डर ने उन्हें बाहर निकलने नहीं दिया। यहीं से डार्क स्टोर्स का प्रचलन बढ़ा और अब इनका महत्व पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। इसने खुदरा विक्रेताओं की मदद की और अब यह एक पूर्ण बाजार बनता जा रहा है।
बताते चलें कि मार्च 2021, के अंत तक भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 825.30 मिलियन का आंकड़ा पार कर गई है। वहीं, देश की लगभग आधी आबादी ऑनलाइन शॉपिंग पर भरोसा करने लगी है। नतीजतन, महामारी के दौरान ऑनलाइन खुदरा खरीदारी कई गुना बढ़ गई। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2021 में भारत में खुदरा बिक्री नवंबर 2019 में पूर्व-महामारी स्तरों की तुलना में 9 प्रतिशत बढ़ी है। बड़ी कंपनियां जो अभी भी बड़े शहरों या टियर-2, टियर-3 शहरों के कोनों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, वे अब अपने संचालन को आगे बढ़ाने के लिए डार्क स्टोर व्यवसाय मॉडल का उपयोग कर रही हैं। डार्क स्टोर प्रभावी रूप से उन्हें अपने व्यवसाय का विस्तार करने और ग्रे जोन में रहने वाली आबादी को साथ लाने में मदद कर सकता है।
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