भारत की एंटीट्रस्ट एजेंसी, कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने अमेज़न और फ्यूचर ग्रुप के बीच वर्ष 2019 में हुए समझौते को निरस्त कर दिया है। इतना ही नहीं CCI ने अमेजन पर 200 करोड़ का जुर्माना भी लगाया है। हालांकि, जुर्माने से बड़ा नुकसान अमेजन के लिए यह है कि अब वह रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की संभावित डील को भी कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकेगा।
करीब 1 माह पूर्व फ्यूचर ग्रुप के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर ने CCI को पत्र लिखकर वर्ष 2019 में हुए समझौते को रद्द करने की मांग की थी और अमेरिकी कंपनी पर आरोप लगाया था कि उसने भारत के रेगुलेटरी नियमों से बचने के लिए झूठे दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। इस पत्र की एक प्रति SEBI के प्रमुख के साथ-साथ भारत के वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को भी दी गई थी।
फ्यूचर ग्रुप फर्म ने खुद CCI के समक्ष शिकायत दर्ज कर अनुमोदन पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था। वहीं, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसमें CCI की कार्रवाई में तेजी लाने की मांग की गई थी। जिसके परिणामस्वरूप आयोग द्वारा कार्रवाई पूरी करने के लिए दो सप्ताह की समय सीमा तय की गई थी। भारतीय व्यापारियों के दबाव के कारण CCI को 1 महीने में ही अपना फैसला सुनाना पड़ा है।
रिलायंस ने 2020 में किया था अधिग्रहण का ऐलान
CCI ने इस मामले में जांच के आदेश दिए, जिसके बाद इस समझौते को रद्द कर दिया गया है। समझौता रद्द करके सरकार ने अमेजन और रिलायंस ग्रुप के बीच चल रहे विवाद को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। अगस्त 2019 में Amazon ने फ्यूचर ग्रुप की गैर-सूचीबद्ध फर्म “फ्यूचर कूपन लिमिटेड” से 49 प्रतिशत इक्विटी शेयर खरीदने के लिए सहमत हो गया था, जिसमें 3 से 10 साल की अवधि के बाद प्रमुख फ्यूचर रिटेल में निवेश का अधिकार भी शामिल था।
किंतु वर्ष 2020 में रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप ने घोषणा करते हुए स्पष्ट किया कि रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (RRVL) 24,713 करोड़ रुपये में फ्यूचर ग्रुप से पूरे रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउसिंग कारोबार का अधिग्रहण करेगी। योजनानुसार, फ्यूचर रिटेल, फ्यूचर कंज्यूमर, फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्यूशंस, फ्यूचर लाइफस्टाइल फैशन, फ्यूचर ब्रांड्स और फ्यूचर मार्केट नेटवर्क जैसी फ्यूचर ग्रुप की विभिन्न कंपनियों को पहले फ्यूचर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (FEL) में विलय कराना था। अर्थात् इस डील के बाद रिलायंस के पास जिओ मार्ट को पूरे देश में फैलाने के लिए बना बनाया लॉजिस्टिक ढांचा प्राप्त हो जाता।
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ऑनलाइन रिटेल बाजार का होगा स्वदेशीकरण
रिलायंस फ्यूचर ग्रुप की डील के बाद रिलायंस ऑनलाइन शॉपिंग के मामले में अमेजन के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता, क्योंकि रिलायंस के पास पहले ही अपनी टेलीकॉम कंपनी जिओ के कारण बड़े स्तर पर उपभोक्ता उपलब्ध हैं। जिओ के पास वर्तमान में 42.48 करोड़ उपभोक्ता हैं। इसकी तुलना में अमेज़न के पास 10 करोड़ पंजीकृत उपभोक्ता हैं। अर्थात् रिलायंस के पास अपनी शुरुआत में ही अमेज़न से 4 गुना अधिक उपभोक्ता मौजूद होते।
ऐसे में अमेजन ने इसी खतरे को टालने के लिए रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के डील को कोर्ट में चुनौती दी। सितंबर माह में यह मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुम्बई बेंच के समक्ष गया था, जहां NCLT ने फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस के साथ समझौता करने की अनुमति दे दी थी। किंतु इस आदेश के बाद अमेजन ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने समझौते पर अस्थाई रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट की रोक तब तक रहने वाली थी, जब तक कानूनी विवाद सुलझ नहीं जाता।
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किंतु अब भारत सरकार ने विवाद की जड़ पर चोट करते हुए अमेजन का शस्त्र ही छीन लिया है। सरकार ने उस डील को ही निरस्त कर दिया है, जिसके माध्यम से अमेजन अपनी कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। इस प्रकार भारत सरकार ने ऑनलाइन रिटेल बाजार में स्वदेशीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का मार्ग खोल दिया है। एक ऐसे समय में जब हम आत्मनिर्भर भारत का सपना देख रहे हैं, एक अमेरिकी कंपनी को ऑनलाइन मार्केट पर कब्जा करने नहीं दिया जा सकता। वह भी तब जब इस कंपनी पर आए दिन भारतीय कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगता रहता है।
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