सत्ता में आने के बाद अपने कार्यकाल के पहले दिन से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अलग-अलग और दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने के लक्ष्य के प्रति अत्यधिक समर्पण के साथ काम किया है। मोदी सरकार ने ही जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के लिए राजनीतिक दृढ़ता दिखाई और पीएम मोदी ने ही पूर्वोत्तर को भारत की राजनीतिक मुख्यधारा में लाने के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पूर्वोत्तर अब एक अलग क्षेत्र की तरह न दिखे। त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय, यह तीनों राज्य 21 जनवरी को अपना 50 वां स्थापना दिवस मनाते हैं और पीएम मोदी के शासन और समावेशी एजेंडे ने यहां अभूतपूर्व विकास को प्रेरित किया है।
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मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय का 50वां स्थापना दिवस
21 जनवरी पूर्वोत्तर के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इसी दिन, उत्तर पूर्व पुनर्गठन अधिनियम, 1971 लागू किया गया था। इस अधिनियम के लागू होने से पहले, मेघालय असम राज्य का हिस्सा हुआ करता था, जबकि मणिपुर और त्रिपुरा केंद्र शासित प्रदेश थे। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों ने अंततः राज्य का दर्जा प्राप्त किया और यही कारण है कि तीनों राज्य इस दिन को अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि “मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा के लोगों को उनके स्थापना दिवस पर बधाई। ये राज्य भारत के विकास में जीवंत योगदान दे रहे हैं। उनकी निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना।”
पीएम मोदी के विजन से मिली अभूतपूर्व विकास में मदद
मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर राज्यों के स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण हुए, लेकिन इन तीनों राज्यों ने पिछले आठ वर्षों में ही अभूतपूर्व विकास को देखा है। पूर्वोत्तर के लिए पीएम मोदी के विजन से तीनों राज्यों को काफी फायदा हुआ है। अपने कार्यकाल की शुरुआत में, पीएम मोदी ने घोषणा करते हुए कहा था कि “यदि देश का पश्चिमी क्षेत्र विकसित हो सकता है, यदि देश के अन्य क्षेत्रों का विकास हो सकता है, तो मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि देश का उत्तर पूर्व क्षेत्र विकसित क्यों नहीं हो सकता है। मुझे यह भी विश्वास है कि पूर्वोत्तर सहित सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास होने पर ही भारत आगे बढ़ सकता है। रणनीतिक कारणों से भी पूर्वोत्तर क्षेत्र हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और यह मेरा विश्वास है कि हमें इस क्षेत्र को देश के अन्य विकसित क्षेत्रों के बराबर लाना है।”
ध्यान देने वाली बात है कि पीएम मोदी ने इस क्षेत्र में पर्याप्त फंडिंग कर आर्थिक धारा बहाई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूर्वोत्तर में विकास तेजी से हो। दरअसल, पीएम मोदी न सिर्फ पूर्वोत्तर के विकास को राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यधारा में शामिल कर रहे हैं, बल्कि इसे दुनिया के साथ जोड़ने का भी प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने कहा था कि “उत्तर-पूर्व भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है और हमें इसका लाभ उठाने की जरूरत है। हम अपने पड़ोसी देशों के लिए सड़क और रेल मार्ग दोनों खोल रहे हैं। इससे क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति मिलनी चाहिए।”
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विकास के एजेंडे से मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा को मिल रहा फायदा
पीएम मोदी इन तीनों राज्यों के विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं का अनावरण करते रहे हैं। उदाहरण के लिए, वर्ष 2017 में पीएम मोदी ने मेघालय में शिलांग-नोंगस्टोइन-रोंगजेंग-तुरा सड़क का उद्घाटन किया। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि “यह सड़क पूर्व-पश्चिम गलियारे के रूप में काम करेगी। यह आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और राज्य के महत्वपूर्ण शहरों शिलांग और तुरा के बीच सीधा संपर्क स्थापित करेगा। यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा। यह हमारे आदर्श वाक्य ‘परिवहन द्वारा परिवर्तन’ को साकार करेगा।”
पीएम मोदी ने यह भी घोषणा करते हुए कहा था कि “हम मेघालय को एक शीर्ष पर्यटन स्थल बनाना चाहते हैं। भारत सरकार ने राज्य में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए लगभग 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। भाजपा का एजेंडा त्वरित और सर्वांगीण विकास है।” मणिपुर और त्रिपुरा के मामले में भी विकास कार्य प्रभावशाली गति से आगे बढ़ रहे हैं। हाल ही में, प्रधानमंत्री ने इम्फाल में 4,800 करोड़ रुपये से अधिक की 22 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उन्होंने दो विकास परियोजनाएं शुरू करने के अलावा अगरतला में महाराजा बीर बिक्रम हवाई अड्डे पर नए एकीकृत टर्मिनल भवन का भी उद्घाटन किया।
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बताते चलें कि पीएम मोदी पूर्वोत्तर में प्रमुख सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कई हजार करोड़ रुपये आवंटित कर रहे हैं। सरकार की योजना पूर्वोत्तर में मजबूत परिवहन बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के अलावा इस क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से निर्बाध तरीके से जोड़ने की है। यह क्षेत्र की पर्यटन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के अनुरूप है कि पूर्वोत्तर को अब एक अलग-थलग क्षेत्र के रूप में नहीं माना जाता है। इसलिए मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय राज्यों के लिए 50वां स्थापना दिवस उनके पूर्ण राज्यों के रूप में 50 साल की स्वावलंबन यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी की देखरेख में 8 साल के अभूतपूर्व विकास का प्रतीक है।