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111 वर्ष बाद रचा इतिहास, झांसी राजस्व न्यायालय ने ‘संस्कृत’ में सुनाया अपना निर्णय

संस्कृत का उत्थान केवल बातों से नहीं, उसके दैनिक प्रयोग से होगा!

Deeksha Negi द्वारा Deeksha Negi
9 January 2022
in चर्चित
111 वर्ष बाद रचा इतिहास, झांसी राजस्व न्यायालय ने ‘संस्कृत’ में सुनाया अपना निर्णय

PC: Navbharat Times

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14 फ़रवरी आने वाला है l विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों से लेकर, घर के बढ़े-बूढों तक, सबको पता है कि युवा पीढ़ी में इस दिन के लिए कितना उतावलापन रहता है l वैलेंटाइन डे तो छोड़िये 7 फ़रवरी से प्रारंभ होने वाले ‘वैलेंटाइन वीक’ में किस दिन चॉकलेट डे, कब टेडी डे आता है, ये तो अब 10-12 वर्ष के बच्चों तक को मुंहजुबानी रटा रहता हैl लेकिन यदि चलते-फिरते किसी व्यक्ति से पूछ लिया जाए कि ‘हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?’ तो वो आपको ऐसे घूरेंगे मानो आपने कोई पाप कर दिया हो या ये पूछ लिया हो कि 2 अक्तुबर को विजय और उसका परिवार पंजी गए थे या नहीं? लेकिन इससे भी अधिक बुरी स्थिति तब हो सकती है जब आप किसी से ये पूछ ले कि ‘संस्कृत दिवस कब मनाया जाता है?’

बुरी स्थित इसलिए क्योंकि सामने वाले को उत्तर न आने पर ये प्रतीत होगा कि आपने उसका उपहास उड़ने के लिए यह सवाल पूछा है l उत्तर देने वाला/ वाली अधिक तेजस्वी हो तो आपको ये भी सुनने को मिल सकता है कि, “क्या बेकार सवाल है! ये किसे पता होगा, अब संस्कृत बोलता ही कौन है?” क्रोध में निकला यही प्रश्न मूलभूत प्रश्न भी है कि ‘अब संस्कृत बोलते ही कितने लोग हैं?’

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प्रति वर्ष संस्कृत को सम्मान देने की बात की जाती है, वर्ष में एक दिन को संस्कृत दिवस बता उस दिन भाषण प्रतियोगिता, संगोष्टियों का आयोजन किया जाता है, जो सराहनीय प्रयास है लेकिन संस्कृत से ये प्रेम केवल इस एक दिन तक ही सीमित रहा जाता है l अन्य सभी दिन संस्कृत अपने अस्तित्व के लिए मुट्ठीभर लोगों के साथ संघर्ष करती रह जाती है l बहराल, झाँसी में शुक्रवार को जो हुआ उससे संस्कृत के मान-सम्मान का यह युद्ध थोड़ा और सशक्त हुआ है, क्योंकि वर्षों बाद झांसी की राजस्व अदालत ने अपना निर्णय संस्कृत में सुनाया है l

111 वर्षों में पहली बार झाँसी राजस्व अदालत में संस्कृत में सुनाया निर्णय

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनाती के दौरान अपने विशेष कार्यों के लिए प्रसिद्द हुए IAS अधिकारी डॉ. अजय शंकर पांडेय ने 7 जनवरी, 2022 (शुक्रवार) को 111 साल पुराने झांसी न्यायालय में इतिहास रच दिया l उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के अभियान में झांसी मण्डलायुक्त डॉ. पांडेय ने एक बड़ा कदम उठाया है l उन्होंने राजस्व और शस्त्र अधिनियम (Arms Act) के दो मामलों में अपना निर्णय देवभाषा संस्कृत में दिया।

देश की स्वतंत्रता के बाद से राज्य के किसी भी राजस्व न्यायालय के आदेश में संस्कृत भाषा का प्रयोग नहीं किया गया है। इससे पहले सभी फैसले अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू भाषा में ही लिखे गए थे। झांसी में ब्रिटिश शासन के समय में बने कमिश्नरेट के भवन में 111 साल बाद इतिहास रचा गया है। कमिश्नरेट कोर्ट में राजस्व एवं शस्त्र अधिनियम के मामलों की सुनवाई करते हुए मण्डलायुक्त डॉ. अजय शंकर पांडेय ने दो निर्णय संस्कृत भाषा में लिखे l जानकारों का मानना ​​है कि राज्य भर की राजस्व अदालत में यह पहला फैसला है, जिसे संस्कृत भाषा में लिखा गया है। इस सबके बाद फैसला देने वाले मण्डलायुक्त चर्चा में हैं। देशभर में उनकी प्रशंसा की जा रही हैl

झांसी के मण्डल आयुक्त अजय पाण्डेय द्वारा संस्कृत भाषा में निर्णय लिखा pic.twitter.com/6oYEVQWhZh

— डॉ. कमलकान्तबालाण: (@kamalkantbalan) January 9, 2022

Jhansi's court commissionerate passes a decision in #Sanskrit. Commissioner Dr Ajay Shankar Pandey said : Sanskrit is a mandatory subject & a root language, it should be utilized But after judgment in Sanskrit, I was surprised that advocates & clients understood it. @ShefVaidya pic.twitter.com/2VV67k9sQj

— Shastri Kosalendradas (@Kosalendradas) January 8, 2022

ANI से बातचीत के दौरान डॉ अजय शंकर पांडेय ने कहा कि, “संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। अधिकांश लोगों की यह धारणा है कि संस्कृत एक कठिन भाषा है, जबकि यह एक वैज्ञानिक भाषा है। गणित के बाद संस्कृत भाषा को सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है। अपने अध्यापन काल में मैंने संस्कृत विषय में अध्ययन किया था। संस्कृत एक अनिवार्य विषय और मूल भाषा है, इसका उपयोग किया जाना चाहिए। मेरे संस्कृत फैसले के बाद, मुझे आश्चर्य हुआ कि अधिवक्ताओं और मुवक्किलों ने इसे समझा और इसकी प्रशंसा कीl”

UP | Jhansi's court commissionerate passes a decision in Sanskrit

Sanskrit is a mandatory subject & a root language, it should be utilized. But after my Sanskrit judgment y'day, I was surprised that the advocates & clients understood it:Jhansi Commissioner Dr Ajay Shankar Pandey pic.twitter.com/zm9eLQcrux

— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 8, 2022

 

भारत में संस्कृत केवल शिक्षा और धार्मिक कर्मकांडों या किताबी पाठ्यक्रम तक ही सीमित है इसलिए ऐसे प्रयास प्रभात की पहली किरण के समान मन को शांति और उम्मीद प्रदान करते हैंl
झाँसी मण्डलायुक्त ने अपने दोनों निर्णयों को संस्कृत भाषा में लिखा और फिर अधिवक्ताओं को हिंदी में इसका अर्थ भी समझाया। न्यायलय के अभिलेखपाल प्रमोद तिवारी ने कहा कि उपरोक्त दोनों निर्णय देवभाषा में लिखे गए हैं और अब हर कोई संस्कृत भाषा नहीं समझता है। इसलिए इसके लिए मण्डलायुक्त ने इसका हिंदी में अनुवाद कराकर पत्र पर रखने के निर्देश दिए हैं l अधिवक्ता राजीव नायक ने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए आयुक्त की पहल प्रशंसनीय है l

संस्कृत में फैसला दिए जाने के बाद, यह पता लगाने के लिए कि इससे पहले संस्कृत में कोई निर्णय दिया गया है या नहीं, अभिलेखपाल दिलीप कुमार ने पुराने अभिलेखों की जांच की l झांसी आयुक्तालय ब्रिटिश काल से चल रहा है और अभिलेखों के अनुसार, इससे पहले संस्कृत (सुरभारती) में आयुक्त कार्यालय द्वारा कोई निर्णय नहीं दिया गया था।

केस-1 : चक्कीलाल बनाम राजाराम

धारा-207 अधिनियम, उ0प्र0 राजस्व संहिता-2006 के तहत केस नंबर -1296/2021 दर्ज किया गया थाl
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पक्षकारों को सुनवाई और साक्ष्य का उचित अवसर देते हुए देवभाषा में दो पृष्ठ का निर्णय पारित किया गया। उक्त प्रकरण में अपीलार्थी के अधिवक्ता देवराज सिंह कुशवाहा ने डॉ. अजय शंकर पाण्डेय को संस्कृत भाषा में पारित निर्णय के लिए धन्यवाद कहा।

बहस सुनने के बाद लिखा गया निर्णय

“अतः अपीलस्य (प्रत्यावेदनस्य) ग्राहयता स्तरे एवं अवर न्यायालयेन 20-10-2021 इति दिनांके निगर्तम् आदेशं निरस्तीकृत्य प्रकरणमिदम् एतेन निर्देशन सह प्रतिप्रेषितम् क्रियते यद् अपीलकर्ता 29-01-2020 इति दिनांके प्रस्तुते रिस्टोरेशन प्रार्थना-पत्र विषये उभयोःपक्षयोः पुनः श्रवणाम् अवसरं विधाय गुणदोषयोश्च विचार्य एकमासाभ्यन्तरम् निस्तारणं करणीयम् वाद प्रतिवाद पत्रावली च कार्यालये सुरक्षिता करणीया।”

केस-2 : रहीश प्रसाद यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य सरकार

शस्त्र लाइसेंस (Arms License) से संबंधित केस संख्या-1266/2021 भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा-18 के तहत केस दर्ज किया गया था।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दो पेज का फैसला सुनाया गया जिसमें पक्षकारों को सुनवाई और साक्ष्य का उचित मौका दिया गयाl उक्त प्रकरण में अपीलार्थी के अधिवक्ता हरि सिंह यादव एवं प्रतिवादी के अधिवक्ता राहुल शर्मा ने संस्कृत भाषा में पारित निर्णय का स्वागत किया।

यह है निर्णय

”एतासु परिस्थितिषु अवर न्यायालयेन 06-9-2021 दिनांकेः निगर्ते आदेशाविषये प्रतिक्षेपाय (हस्तक्षेपाय) औचित्य भवित्येव। अतः अस्य प्रतिवेदनस्य (अपीलस्य) विलम्बतः प्रस्तुतिविषये ”विलम्बं सम्मषर्यन्” अपीलस्य (प्रतिवेदनस्य) ग्राह्यतास्थितौः एव स्वीकृत्य झाॅसी स्थावर न्यायालयेन/जनपद मजिस्ट्रेट महोदयेन 06-9-2021 दिनांकः निगर्तः आदेशः निरस्तीक्रियते। अपीलकतुर्ः रिवाल्वर शस्त्र सम्बन्धित मनुज्ञापत्रम्-”7698” सम्प्रवतिर्तं क्रियते। यदि आगामिनि समये कदापि शस्त्रानुज्ञाश्रयिजनस्य शस्त्रस्य दुरूपयोगे शस्त्रानुज्ञानबन्धविषये वा समुल्लंघमस्य परिस्थितिः समायादि तदा अवर न्यायालयात्, पुलिस विभागात् मजिस्ट्रेट महोदयात् सारगभिर्तां तथ्ययुक्तामाख्याम् (रिपोर्ट) च सम्प्राप्य गुणावगुणविषये क्रियान्वयम्विधातुं सक्षमः स्वतन्त्राश्च भविष्यन्ति। शस़्त्रस्य अनुज्ञानुबन्धस्य निरन्तरम् निरीक्षणं-परीक्षणम् च भवेदिति निदेर्शयन् अस्य आदेशस्य प्रतिकृतिः (प्रतिलिपिः) अवरन्यायालयाय प्रत्यावतर्नीया। वादस्य आवश्यकी कायर्वाही अपील पत्रावली (प्रतिवेदन पत्रावली) अभिलेखागारे सुरक्षिता भवितत्या/काणीया।“

देवभाषा के उत्थान के लिए यह प्रयास सराहनीय है क्योंकि केवल संस्कृत के महत्त्व पर निबंध लिखकर हम संस्कृत को बढ़ावा नहीं दे सकते l उसके लिए  हमें अपने भीतर के डॉ अजय शंकर पांडेय को जगाने की आवश्यकता हैl संस्कृत को दैनिक जीवन में, हर छोटी-बड़ी क्रिया में शामिल करने की आवश्यकता हैl

Tags: उत्तरप्रदेशझाँसी न्यायलयदेवभाषासंस्कृत
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