Chakravarti byaj ka formula
आज के लेख में हम चक्रवृद्धि ब्याज का फार्मूला (Chakravarti byaj ka formula) सविस्तार बताने जा रहे है और आशा करते है कि यह उत्तर आपको पसंद आएगा. चक्रवृद्धि ब्याज गणित में सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली चैप्टर है. स्कूलों से लेकर प्रतियोगिता के एग्जाम की तैयारी तक यह विषय छात्रों को पढ़ाया जाता है. इसकी तैयारी व्यक्तिगत जीवन और एग्जाम दोनों में कारगर सिद्ध होती है. वहीं ये एसएससी, बैंक, रेलवे, आदि परीक्षाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक होता है.
चक्रवृद्धि ब्याज क्या है?
जब किसी समय पर अभी तक संचित किए हुए ब्याज को मूलधन में मिलाकर, मिश्रधन पर ब्याज की गणना की जाती है, तो उसे चक्रवृद्धि ब्याज कहते हैं. जिस अवधि के बाद ब्याज की गणना करके उसे मूलधन में जोड़ा जाता है, उसे चक्रवृद्धि अवधि कहते हैं.
इसके विपरीत साधारण ब्याज उस प्रकार की ब्याज गणना का नाम है जिसमें मूलधन अपरिवर्तित रहता है. कुछ छोटे-मोटे मामलों को छोड़कर व्यावहारिक जीवन के प्रायः सभी क्षेत्रों में चक्रवृद्धि ब्याज ही लिया/दिया जाता है
Chakravarti byaj ka formula:
चक्रवृद्धि ब्याज (Chakravarti byaj ka formula) = (1 + दर / 100 )^समय – मूलधन
Chakravarti byaj ka formula = मूलधन [(1 + दर / 100)^समय – 1]
Chakravarti byaj ka formula = मिश्रधन – मूलधन
मिश्रधन = मूलधन × (1 दर / 100)^समय
मिश्रधन = मूलधन + ब्याज
यदि चक्रवृद्धि ब्याज अर्द्ध वार्षिक अथार्त जोड़ने की अवधि छमाही हो, तो वर्ष की संख्या को दोगुना और ब्याज की वार्षिक दर को आधा कर दिया जाता हैं.
क्योंकि एक वर्ष = 2 × छः माह और ब्याज की वार्षिक दर r होने पर, छमाही दर r/2,
यदि चक्रवृद्धि ब्याज त्रैमासिक अर्थात ब्याज जोड़ने की अवधि तिमाही होने पर वर्ष की संख्या को चार गुना और ब्याज की वार्षिक दर को चौथाई भाग कर दिया जाता हैं.
क्योंकि 1 वर्ष = 4 × तीन माह और ब्याज की वार्षिक दर r होने पर, तिमाही दर = r/4.
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चक्रवृद्धि ब्याज कि शर्ते
1. वार्षिक शर्ते
2. अर्ध्दवार्षिकशर्ते
3. त्रैमासिक शर्ते
वार्षिक शर्ते : ब्याज का हिसाब 1 वर्ष से करके प्राप्त ब्याज मूलधन मेजोडना.
अर्ध्दवार्षिक : ब्याज का हिसाब वर्ष मे दो बार करके प्राप्त ब्याज को मूलधन मेजोडना.
जब शर्त अर्द्धवार्षिक हो तो दर का आधा व समय को दोगुना कर देगे.
Chakravarti byaj ka formula : नयी दर = R/2 तथा नया समय = 2T
त्रैमासिक/तिमाही : ब्याज का हिसाब वर्शमे 4 बार करके ब्याज को मूलधन मेजोडना. जब शर्त त्रैमासिक/तिमाही हो तो दर को एक चौथाई व समय को 4 गुना करते है.
Chakravarti byaj ka formula : नयी दर = R/4 और नया समय = 4T
जहाँ:-
P = मूलधन ( Principal)
r = ब्याज की वार्षिक दर ( Rate of Interest)
n = एक वर्ष में कुल ब्याज-चक्रों की संख्या
t = कुल समय (Time)
A = t समय बाद मिश्रधन (Amount)
CI = चक्रवृद्धि ब्याज ( Compound Interest )
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ब्याज किसे कहते हैं
जब व्यक्ति किसी बैंक या अन्य व्यक्ति से रूपये उधार लेता हैं तो उस उधार लिए गए धन को अपने प्रयोग में लाने के हाद वापस बैक या व्यक्ति को लौटाता है.तो उस लौटाए गए रकम के साथ वह कुछ अतिरिक्त धन भी देता हैं. यह अतिरिक्त धन ही ब्याज कहलाता हैं.
ऋणदाता :- वह बैंक या व्यक्ति जिससे हम रुपया उधार लेते हैं, ऋणदाता या साहूकार कहलाता हैं.
मूलधन :- उधार लिया गया धन मूलधन कहलाता है.
समय :- वह निश्चित अवधि जब तक के लिए रुपया उधार लिया गया हो समय कहलाता है.
मिश्रधन :- वापस की गई राशि अर्थात मूलधन और ब्याज के सम्मिलित रूप को मिश्रधन कहते हैं.
दर :- किसी धन पर ब्याज की राशि मूलधन, समय की अवधि तथा ब्याज की दर पर निर्भर करती हैं.
मूलधन, समय तथा ब्याज की दर में निम्न प्रकार सम्बन्ध हैं.
ब्याज = (मूलधन × समय × दर )/100
मिश्रधन = मूलधन + ब्याज
ब्याज प्रायः एक वर्ष, छः माह या तीन माह के या तीन माह के अंत में दिया जाता हैं, तब हम इसे क्रमशः संयोजित प्रतिवर्ष, संयोजित प्रति छमाही या प्रति तिमाही कहते हैं. आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा ऐसे ही लेख और न्यूज पढ़ने के लिए कृपया हमारा ट्विटर फॉलो करें.