अभी भी ‘गोरी चमड़ी’ के आगे सिर झुकाता है भारत का विपक्ष, TATA की जगह Tesla को चुनना इसी का प्रमाण है

इन्हें स्वदेशीकरण नहीं, विदेशीकरण पसंद है!

Tesla Tata
मुख्य बिंदु

पिछले दिनों Elon Musk से एक भारतीय टि्वटर यूजर ने प्रश्न किया कि Tesla भारत में अपनी इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों को कब उतार रहा है? उसके उत्तर में Elon Musk ने लिखा कि “Tesla अभी भी सरकार के साथ कई चुनौतियों का सामना कर रही है।” Elon Musk का संकेत भारत सरकार द्वारा Tesla के समक्ष रखी गई शर्तों से था। सरकार ने अमेरिकी कंपनी को यह स्पष्ट कह दिया है कि यदि उसे भारत में व्यापार करना है, तो भारत में ही विनिर्माण इकाइयों की स्थापना करनी होगी।

इसके अतिरिक्त भारत सरकार यह भी चाहती है कि इसके पूर्व की एक विदेशी कंपनी भारत के इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करे अर्थात कोई भारतीय कंपनी Tesla की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो जाए। वहीं, भारत की टाटा कंपनी इस हेतु प्रयासरत भी है किंतु भारतीय राजनीति में विपक्षी खेमे को स्वदेशीकरण से अधिक लगाव विदेशियों से है।

देश का विपक्षी खेमा Tesla को अपना रहा है

दरअसल, जब Elon Musk ने एक ट्विटर यूजर को ट्ववीट में यह कहा कि भारत सरकार द्वारा उनके समक्ष चुनौतियां प्रस्तुत की जा रही है, तब एक के बाद एक विपक्षी नेता ट्वीट कर उन्हें अपने राज्य में निवेश के लिए आमंत्रित करने लगे। यह आमंत्रण तेलंगाना, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की सरकार की ओर से दिया गया। हालांकि, यह बात और है कि आज पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस, Tesla को प० बंगाल में निवेश का आमंत्रण दे रही है, किन्तु इसी दल ने 2008 में टाटा को पश्चिम बंगाल में अपना प्लांट बंद करने पर मजबूर कर दिया था। वहीं, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने भी Tesla को आमंत्रित किया है। यह वही शिवसेना है, जिसके विरोध के चलते मेट्रो से लेकर बुलेट ट्रेन तक कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अटक गए थे, जो महाराष्ट्र के विकास के लिए अति आवश्यक थे।

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इन सरकारों द्वारा Tesla को निमंत्रण केवल इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि Tesla के भारत में निवेश का विरोध केंद्र की मोदी सरकार कर रही है। मोदी सरकार की योजना इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के क्षेत्र में भारतीयकरण को बढ़ावा देने की है। भारतीय कंपनी टाटा वित्तीय वर्ष 2022 23 में 50,000 इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के निर्माण का लक्ष्य बना चुकी है। टाटा की योजना इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के निर्माण को 125000 से लेकर डेढ़ लाख गाड़ियां के निर्माण की वार्षिक दर तक पहुंचाना है। यदि टाटा अपने लक्ष्य में सफल होती है तो इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के निर्माण के क्षेत्र में वह भारत की प्रथम अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बन जाएगी किंतु विपक्षी दलों की गुलाम मानसिकता के कारण उन्हें यह स्वीकार्य नहीं हो रहा है।

आंतरिक उद्योग के लिए किसी खतरे से कम नहीं

पंजाब सरकार की ओर से कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने भी ट्वीट किया और Elon Musk से अनुरोध किया कि लुधियाना को Tesla के लिए अगला पड़ाव माना जाए। सिद्धू ने ट्वीट कर कहा, “मैं @elonmusk को आमंत्रित करता हूं, पंजाब मॉडल लुधियाना को इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी उद्योग के लिए हब के रूप में बनाएगा, जिसमें निवेश के लिए समयबद्ध सिंगल विंडो क्लीयरेंस होगा, जो पंजाब में नई तकनीक लाता है, हरित रोजगार पैदा करता है, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।”

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वहीं, पंजाब के बाद दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के उद्योग विभाग मंत्री थंगम थेनारासु ने ट्विटर पर टिप्पणी कर Elon Musk को अपने यहां आमंत्रित किया। उन्होंने लिखा, “हाय मिस्टर एलोन @elonmusk मैं तमिलनाडु से हूं। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कुल नियोजित निवेश में तमिलनाडु की हिस्सेदारी 34% है। भारत की ईवी राजधानी में आपका स्वागत है। साथ ही तमिलनाडु दुनिया के शीर्ष नौ नवीकरणीय ऊर्जा बाजारों में से एक है।” 

ऐसे में, Elon Musk को आमंत्रित कर विपक्षी खेमा स्वयं को उद्योग प्रेमी राजनेता पेश करने पर तुला है। Elon Musk की Tesla कंपनी के विपरीत, टाटा भारत में मध्यम वर्ग के लिए अत्यधिक प्रभावी है। भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है। वहीं, ​​भारत के विपक्षी दलों का विदेशियों (गोरी चमड़ी) के प्रति उमड़ता लगाव देश के आंतरिक उद्योग के लिए किसी खतरे से कम नहीं है।

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