भारत में अराजकता फैलाने वाला नवीनतम सोशल मीडिया टूल बन गया है Clubhouse

क्लब हाउस बना 'हिंदूफोबिक हाउस'!

क्लब हाउस

Source- Google

कुछ दिन पहले चैट ऐप क्लब हाउस की एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही थी, जिसमें तथाकथित सोशल मीडिया Influencers, महिलाओं को खासकर हिंदुत्व की विचारधारा का समर्थन करने वालों के खिलाफ आपत्तिजनक यौन टिप्पणी करते हुए पाए गए। फिर कुछ खालिस्तानी भी इसमें शामिल हो गए और हिंदुओं एवं हिंदू देवी-देवताओं को गाली देने लगे। ये सभी खालिस्तानी कनाडा/अमेरिका/ऑस्ट्रेलिया या किसी अन्य देश से हैं। उनमें से कई पाकिस्तान से भी हैं, जिन्होंने सिखों के नाम पर अपना प्रोफाइल बनाया है, ताकि ऐसा लगे कि वे सिख ही हैं। इस ऐप के माध्यम से वे “भारत को कैसे तोड़ें” और “खालिस्तान कैसे प्राप्त करें” जैसे मुद्दों पर बात करते हैं, ताकि हिंदू और सिखों के बीच दरार पैदा किया जा सके। क्लब हाउस की निरंकुश स्वछंदता ने भारत के लिए खतरा पैदा कर दिया है।

क्या है क्लब हाउस?

क्लब हाउस एक इनवाइट ओनली ड्राप इन ऑडियो चैट नेटवर्क है। यह एक तरह का सोशल मीडिया ऐप है, जिसकी मदद से आप किसी भी सेलिब्रिटी और किसी से भी वॉयस चैट रूम की मदद से बात कर सकते है। बता दें ये रूम्स कई बार हजारों लोगों से भरे होते हैं। पूर्ण अजनबियों के साथ बातचीत का मौका देने की इसकी क्षमता ने इसे लोकप्रिय बना दिया। लेकिन अब यह मंच आधुनिक समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक का सामना कर रहा है, वो है- गलत सूचना। यह ऐप लोगों को केवल अभिव्यक्ति हेतु आमंत्रित करने के लिए है। यह आईओएस (ios) और एंड्रॉयड दोनों ही उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है। ड्रेक, ओपरा विनफ्रे और केविन हार्ट जैसी हस्तियां भी इस ऐप पर आ गई हैं, जिससे लोगों को अमीर और प्रसिद्ध हस्तियों के साथ डिजिटल निकटता का दुर्लभ मौका मिलता है।

और पढ़ें: मोदी सरकार द्वारा ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ पर नकेल कसने से ब्रिटेन के राजनेता चिंतित हैं

झूठे सूचनाओं का प्रसार

लेकिन कोरोना वायरस वायरस की झूठी अफवाहों से लेकर 5G उपग्रहों तक के बारे में झूठी अफवाहें इस ऐप पर तेजी से फैल रही है। जो लोग इन झूठे दावों की निंदा करते हैं, उन्हें डिजिटल उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का सामना भी करना पड़ रहा है। यह पहली बार नहीं है, जब गलत सूचना के लिए इस ऐप की आलोचना की गई। यहूदी विरोधी साजिश के सिद्धांतों, स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में झूठे दावे, एलजीबीटीक्यू समुदाय के प्रति अभद्र भाषा और सामाजिक दुराग्रहों की कई अन्य रिपोर्ट भी सामने आई हैं।

क्लब हाउस अपने डिजाइन और उपयोगिता के माध्यम से त्रुटिपूर्ण परिस्थिति को जन्म देता है। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को लाइव चैट रूम में शामिल होने की अनुमति देता है, जो समाप्त होने पर गायब हो जाते हैं। जो space शुरू करते हैं, वे डिफ़ॉल्ट रूप से मॉडरेटर होते हैं और पैनल की देखरेख के लिए दूसरों को नामांकित भी कर सकते हैं। लोगों को बोलने के लिए मॉड्स को एक अनुरोध भेजना होता है। space में बाकी सभी लोग एक निष्क्रिय श्रोता होते हैं।

क्लब हाउस की मूल समस्या

ट्विटर, फेसबुक या इंस्टाग्राम में उपयोगकर्ता टेक्स्ट, फोटो या वीडियो के रूप में अपना एक डिजिटल पदचिह्न छोड़ते हैं। पर, क्लब हाउस में space बंद होने के बाद बातचीत को मिटा दिया जाता है, जिससे लोगों को उनके शब्दों के लिए जवाबदेह ठहराना लगभग असंभव हो जाता है। चैट रूम को रिकॉर्ड करना दिशा निर्देशों के खिलाफ है और आपको ऐप से बाहर कर सकता है। एक space में अधिकतम 5000 लोग जुड़ सकते हैं।

खबरों की मानें तो यह ऐप लोगों को एक भावनात्मक स्थिति में पहुंचा देता है, जहां लोग तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं और तर्क का उपयोग नहीं करते। YouTube की तरह, क्लब हाउस अपनी सामग्री से अधिक संदेश के वितरण को बढ़ाता है। यह तार्किक, निष्पक्ष और तथ्यात्मक सामग्री के बजाय भावनात्मक और प्रेरक वितरण वाले लोगों के आवाज को मजबूत करता है।

क्लब हाउस के संस्थापक पॉल डेविसन और रोहन सेठ ने ऐप बनाते समय सोचा भी नही होगा कि यह ऐप अफवाह और गलत सूचना को प्रसारित करने का माध्यम बन जायेगा। एक प्रवक्ता ने पिछले महीने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि “कंपनी स्पष्ट रूप से नस्लवाद, अभद्र भाषा और दुर्व्यवहार के सभी रूपों की निंदा करती है, जैसा कि हमारे सामुदायिक दिशा निर्देशों और सेवा की शर्तों में उल्लेख किया गया है।” उन्होंने अपने बयान में कहा कि क्लब हाउस ने नए मॉडरेशन संसाधनों को प्राथमिकता देने और पेश करने की योजना भी बनाई है।

और पढ़ें: रीयल-टाइम डिजिटल भुगतान में चीन, अमरीका और ब्रिटेन से आगे निकला भारत

भारत सरकार की योजना और खुफिया एजेंसियों का प्रहार

हालांकि, इस ऐप के माध्यम से देश को तोड़ने और अफवाह फैलाने वाले निकृष्ट लोग अपने निकृष्ट उद्देश्य में कभी सफल नहीं हो पाएंगे, क्योंकि गलत खबरों के तीव्र प्रसार के कारण अब केंद्रीय एजेंसियों ने इसकी जासूसी शुरू कर दी है। खबरों के अनुसार, अनुसंधान और विश्लेषण विंग, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सहित कम से कम एक दर्जन केंद्रीय एजेंसियों को इसके लिए अधिकृत किया गया है।

कई लोगों का मानना ​​है कि क्लब हाउस ऐप, जिसे COVID-19 महामारी के दौरान बोलने और सुनने के लिए बनाया गया था, वह अब इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के अधीन होगा। इनमें से कुछ सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की उप-धारा (1) धारा-69 के तहत सूचना प्रौद्योगिकी के नियम के तहत कार्य करने का अधिकार दिया गया है।

बताते चलें कि मार्च 2020 में एंड्रॉयड और मई 2021 में इस ऐप को भारत में लॉन्च किया गया था। इस ऐप ने अपनी गोपनीयता नीति में स्पष्ट रुप से कहा है कि वह कानून प्रवर्तन और सरकारी अधिकारियो को व्यक्तिगत जानकारी साझा करेगा, क्योंकि यह हमारे और आपके अधिकारों, गोपनीयता, सुरक्षा या संपत्ति की रक्षा करने के लिए आवश्यक है। बताया जा रहा है कि क्लब हाउस ऑडियो बातचीत को रिकॉर्ड करता है और सबटाइटल डाउनलोड करता है, जिसे जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियों को सौंप दिया जाएगा।

और पढ़ें: ब्रिटेन ने खालिस्तानियों पर कसी नकेल, तो बाहर आया “सिख जनमत संग्रह 2020” का झूठ

Exit mobile version