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क्या ‘किसान आंदोलन’ में वास्तव में 700 किसानों की मौत हुई? सच अब सामने है

किस-किस को उल्लू बनाएंगे फर्जी किसान!

Shikhar Srivastava द्वारा Shikhar Srivastava
13 January 2022
in चर्चित
Farmers protest

Source- Google

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जब से मोदी सरकार ने कृषि कानून वापस लिए हैं, तभी से किसान संगठनों और विपक्षी दलों के पास मोदी सरकार को घेरने तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान विरोधी दिखाने के लिए कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है। ऐसे में किसान संगठनों तथा विपक्षी दलों द्वारा यह झूठी अफवाह फैलाई जा रही है कि 1 वर्ष से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मृत्यु हुई थी। किसानों की मृत्यु के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

इस प्रोपेगेंडा के अनुसार, केंद्र सरकार ने जो कृषि कानून लागू किए थे, उसके विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान विभिन्न कारणों से हुई किसानों की मौत की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। इसी आधार पर केंद्र सरकार से 700 किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की बात कही जा रही है। हालांकि, यह सभी आरोप उसी प्रकार बेबुनियाद है, जिस प्रकार यह धारणा बेबुनियाद थी कि कृषि कानून के विरुद्ध बैठे लोग साधारण किसान हैं। खोजी पत्रकार और एक्टिविस्ट विजय पटेल ने इस प्रोपेगेंडा को ध्वस्त करने का काम किया है। ट्वीट की एक श्रृंखला के माध्यम से उन्होंने बताया कि यह सफेद झूठ किस प्रकार फैलाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने तथ्यों के आधार पर पूरे झूठ का पर्दाफाश किया है।

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किसानों की मौत की गुत्थी सुलझी

पत्रकार विजय पटेल ने बताया कि किसान संगठनों द्वारा जारी किए गए 733 मृतक किसानों की सूची में से 702 किसानों के नाम के बारे में ही मूलभूत जानकारी उपलब्ध है। अर्थात् 702 किसान ही ऐसे हैं, जिनकी कोई वास्तविक पहचान मिली है। इन 702 मृतक किसानों में भी सभी की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है अथवा हत्या या हिट एंड रन जैसे मामलों में हुई है। लिस्ट में उन लोगों के नाम भी शामिल हैं, जो आंदोलन स्थल से अपने घर जा चुके थे और वहां उनकी मृत्यु हुई।

लिस्ट में ऐसे लोगों के नाम भी शामिल हैं, जो आंदोलन स्थल तक पहुंचने के लिए घर से निकले और रास्ते में हुई दुर्घटना में ही उनकी मृत्यु हो गई। जिन लोगों की मृत्यु के पीछे आत्महत्या को कारण बताया जा रहा है, उनके बारे में भी झूठ फैलाया गया है। जैसे एक किसान के बारे में यह कहा गया कि सरकार से त्रस्त होकर उस व्यक्ति ने आत्महत्या की है। किन्तु उसके चेहरे पर मौजूद चोट के निशान यह बताते हैं कि उस व्यक्ति के साथ मरने से पहले मारपीट हुई थी। विजय पटेल ने लिखा कि यदि इस मामले की गहराई से जांच होती, तो पूरी सच्चाई सामने आ सकती थी।

A Super Exclusive Thread That You Should Not Miss

1. Decoding propaganda of '700-750 farmers died in farmer protest' claim

There are so many fact-checkers in India. But, none of them had fact-checked this claim.

— Vijay Patel🇮🇳 (@vijaygajera) January 12, 2022

और पढ़ें: 3 कृषि कानून खत्म नहीं हो रहे हैं, उनका सिर्फ स्वरुप बदल रहा है

इन कारणों से हुई थी किसानों की मौत

बताते चलें कि विजय पटेल ने अपनी खोज के आधार पर एक लिस्ट जारी की है, जिसके अनुसार 307 व्यक्तियों की मृत्यु ऐसे कारणों से हुई है, जिसका पता नहीं लग सका है। संभवतः यह लोग कोरोना वायरस के कारण मरे थे, क्योंकि किसान संगठनों द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों को इस क्षेत्र में घुसने नहीं दिया जा रहा था, इस कारण इसकी जानकारी भी बाहर नहीं आ सकी। इनमें से 203 लोगों की मृत्यु हृदय गति रुक जाने के कारण हुई, 78 लोग दुर्घटना में मारे गए। कोरोना और ठंड लगने के कारण 12-12 लोगों की मृत्यु हुई एवं 11 लोगों की मृत्यु हिट एंड रन मामले में हुई। कई लोग पेट में हुए इन्फेक्शन जैसी छोटी बीमारियों से भी मरे हैं। कुल मिलाकर केवल 39 लोग ऐसे हैं, जिनकी मृत्यु का संभावित कारण आत्महत्या बताया जा सकता है। हालांकि, इनमें भी किसी के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है।

गौरतलब है कि किसान आंदोलन के दौरान धरना स्थल पर जिस प्रकार की अराजकता फैली हुई थी, उसे देखते हुए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि बहुत से लोगों की आपसी मारपीट में हत्या की गई होगी। कथित किसानों के हिंसक स्वभाव की जानकारी पूरे प्रशासन को थी। आंदोलन स्थल से रेप जैसी खबरें भी मीडिया में आती रही है। विजय पटेल की रिपोर्ट देखकर यह कहा जा सकता है कि यदि अब कोई किसान संगठन सरकार से मुआवजे की मांग करता है, तो सरकार को पहले हर किसान की मृत्यु के कारणों की गहराई तक जांच करनी चाहिए। अगर एक बार भी सरकार ने जांच की बात की, तो ऐसे संगठन स्वयं पीछे हट जाएंगे, क्योंकि धरना स्थल पर मौजूद लोगों की वास्तविकता से कथित किसान संगठन भी अच्छी तरह से परिचित है।

और पढ़ें: कृषि के क्षेत्र में दुनिया का पावरहाउस बनने जा रहा है भारत, शीर्ष 10 निर्यातक देशों में शामिल

Tags: किसान आंदोलनकोरोना वायरलविजय पटेल
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