इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की और कब?
दुनिया में प्रत्येक वस्तु 3 कणों से मिलकर बनी होती है. जिसे इलेक्ट्रान , प्रोटॉन और न्यूट्रॉन कहते हैं. यह मिलकर एक परमाणु बनाते है. इनमे 2 कण न्यूट्रॉन और प्रोटॉन नाभिक मे होते है. वहीं इलेक्ट्रान उनके चारों ओर गमन करता है. आईये जानते है इलेक्ट्रॉन के बारें में साथ ही इलेक्ट्रॉन की खोज किसने कब और किस प्रकार की थी? आशा करते है कि यह लेख आपको पसंद आएगा
इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी?
इलेक्ट्रान कि खोज ब्रिटिश भौतिक शास्त्री जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) ने 1897 में की थी.
इलेक्ट्रॉन की खोज किसने और कैसे की?
19वीं शताब्दी की शुरुआत में, जॉन डाल्टन ने परमाणुवाद का अपना सिद्धांत प्रस्तुत किया. जो काफी समय तक सर्वमान्य था. उनके अनुसार पदार्थ की सबसे छोटी संरचनात्मक इकाई परमाणु है जो अविभाज्य और अविनाशी है. लेकिन अप्रैल, 1897 में, ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी जे.जे. थॉमसन ने “क्रुक्स नलिका” (Crookes tube) पर कार्य करते हुए एक नए कण की खोज की जो ऋणावेशित था.
जिस नलिका पर प्रयोग थॉमसन ने किया था. वह शीशे की नलिका थी. जिसमें धातु के दो इलेक्ट्रोड जुड़े थे. इस नली में वायु या गैस को बाहर निकालने के लिए वैक्यूम पंप की व्यवस्था थी. जब नली में दबाव मिलीमीटर के 1000वें भाग के बराबर था तथा इलेक्ट्रोड के सिरे दस हजार वोल्ट से जुड़े थे. तो इससे पाया गया कि कैथोड से एक प्रकार की रोशनी उत्पन्न होती हैं. ये रोशनी सीधी रेखा में चलती है. तथा एनोड प्लेट के बीच में स्थित छिद्र से कुछ किरणें आगे धनात्मक प्लेट की ओर मुड़ जाती हैं. इससे निष्कर्ष निकला कि ये कण ऋणावेशित हैं. चूंकि ये कैथोड से उत्पन्न थे. इसलिए उन्हें ‘कैथोड किरणें’ कहा जाता है.
थॉमसन ने ट्यूब में इलेक्ट्रोड और गैस की धातु को बार-बार बदलकर इस प्रयोग को दोहराया. लेकिन हर बार उन्हें एक ही बात देखने को मिली. इसलिए इन कणों को ‘इलेक्ट्रॉन’ नाम दिया गया और बाद में इनका आवेश और द्रव्यमान भी ज्ञात हुआ जो क्रमशः 1.6 × 10−19 कुलम्ब (C) एवं 9.109 × 10−31 कि. ग्रा. (kg) प्राप्त हुआ.
दो वर्षों के बाद फोटोइलेक्ट्रिक यानी धातुओं के फोटोइलेक्ट्रिक और थर्मोइलेक्ट्रिक प्रभाव से उत्पन्न कणों के लिए भी द्रव्यमान एवं आवेश का मान स्थिर एवं उपरोक्त प्रयोग जैसा ही पाया गया. इस प्रकार यह सिद्ध हुआ कि इलेक्ट्रॉन किसी भी तत्व की मूल रचनात्मक इकाई है. वहीं जे जे थॉमसन को उनकी वैज्ञानिक उपलब्धि के लिए वर्ष 1906 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
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परमाणु के अन्य कणों की खोज
इलेक्ट्रॉन की खोज के पश्चात ही एक अन्य वैज्ञानिक लार्ड रदरफोर्ड ने यह अनुमान लगाया कि परमाणु में यदि ऋण-आवेशित इलेक्ट्रॉन हैं तो इनके आवेश को निष्प्रभावी करने के लिए उतनी ही धनात्मक आवेशवाली कोई वस्तु अवश्य होनी चाहिए क्योंकि परमाणु वस्तुतः आवेशहीन होते हैं. कुछ ही परमाणुओं की मोटाई वाली सोने की परत पर जब अल्फा-कणों की बौछार डाली गई तो औसतन 8000 अल्फा-कणों में से कम-से-कम एक कण ऐसा निकला जो पलटकर लगभग उसी पथ पर वापस आ गया.
लार्ड रदरफोर्ड ने बिल्कूल सही अनुमान लगाया कि परमाणु में एक नाभिक भी होता है जिसमें धनात्मक विद्युत-आवेश होना चाहिए. इस प्रकार परमाणु के नाभिक की खोज हुई थी. ज्ञात यह भी हुआ कि नाभिक का आकार परमाणु के आकार से भी लगभग 1 लाख गुना छोटा होता है. परमाणु का 99.9 प्रतिशत द्रव्यमान इसी नाभिक में समाहित है. नाभिक के चारों ओर ज्यादातर स्थान खाली होता है जहां इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं. नाभिक में मौजूद धनावेशित कणों को प्रोटॉन कहा गया.
1970 के दशक में टाऊ नामक कण का पता चला जो आवेश में इलेक्ट्रॉन के बराबर किन्तु द्रव्यमान में 3500 गुना भारी होता है. म्युआन तथा टाऊ को भारी इलेक्ट्रॉन कहते हैं. वैज्ञानिक इलेक्ट्रॉन, म्युआन, टाऊ एवं न्यूट्रिनो को संयुक्त रूप से ‘लेप्टन’ कहते हैं.
Electron क्या है?
इलेक्ट्रॉन एक ऐसा ऋण आवेशित कण है, जो परमाणु के अन्दर उसके नाभिक के चारो और अपने कक्षकों में वृत्ताकार पर गति करता है.
• इलेक्ट्रॉन को e से प्रदर्शित करते हैं.
• किसी भी परमाणु की भीतरी कक्षा में स्थित इलेक्ट्रॉन को “कोर इलेक्ट्रॉन” कहा जाता हैं.
• इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1094×10-31 Kg होता है.
• इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन से बहुत कम होता है
• इलेक्ट्रॉन पर आवेश का मान 1.6 ×10-19 C होता है वहीं इसकी प्रकृति ऋणात्मक होती है.
• परमाणु में प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है.
• इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का 1/1837 गुना होता है.
• इलेक्ट्रॉन में कणों और तरंगों के गुण होते है. वे प्रकाश की तरह फैल सकते हैं. तथा अन्य कणों के साथ टकरा भी सकते है.
• अगर परमाणु की सबसे बाहरी कक्षाएं बढ़ जाती है तो परमाणु स्थिर होगा और कम क्रियाशील होगा.
• किसी भी परमाणु कि बाहरी कक्षा में स्थित इलेक्ट्रॉन “संयोजी इलेक्ट्रॉन” कहलाता है.
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