मालदीव जैसे द्वीप राष्ट्र को भी चीन की चिंता नहीं

कहीं और जाकर भीख मांगो ड्रैगन!

चीन मालदीव
मुख्य बिंदु

चीन भारत के समक्ष सीधे तौर पर अपना आक्रामक रवैया अपनाने में सफल नहीं हो पा रहा है, इसलिए चीन अब दूसरे देशों के सहयोग से भारत के खिलाफ अपना आक्रामक रवैया अपनाने के प्रयास करने में जुट गया है। दरअसल, चीन ने हाल ही में मालदीव को अपने पाले में कर भारत के खिलाफ चीन समर्थित अभियान को बढ़ावा देने की कोशिश की किन्तु मालदीव सरकार ने भारत के खिलाफ चीन समर्थित अभियान को विफल कर दिया है।

चीन ने अपनी तुच्छ कार्यनीति का परिचय देते हुए मालदीव में सोशल मीडिया का प्रयोग कर #IndiaOut नारे का चलन प्रारम्भ करना चाहा था। वहीं, मालदीव सरकार ने इसका बहिष्कार करते हुए #IndiaOut नारे के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में डाल दिया है और यदि कोई इसका इस्तेमाल करने का प्रयास करता पाया गया तो उसे दंड के तौर पर 6 महीने की जेल की सजा का प्रावधान है।

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भारत के खिलाफ एक ठोस अभियान

गौरतलब है कि चीन ने मालदीव में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले स्थानीय समाचार पोर्टल धियारे और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन दोनों की मदद से मालदीव में भारत के खिलाफ अपने अभियान को और बढ़ा दिया है। मालदीव में India Out अभियान को पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा राजनीतिक रूप से संचालित करने का श्रेय जाता है। बता दें कि मालदीव में मीडिया के एक वर्ग ने भारत के खिलाफ एक ठोस अभियान शुरू कर दिया था। ऐसे में, इस अभियान की जड़ों का पता लगाना और अभियान के पीछे के उद्देश्यों को समझना आवश्यक है।

पॉलिसी रिसर्च ग्रुप (PRG) के इनसाइट के अनुसार, ढियारे के संस्थापक अहमद अज़ान के बारे में दो बातें सामने आती हैं। पहला, वह लगातार मालदीव में अधिक से अधिक चीनी उपस्थिति का आह्वान करता रहा है और दूसरा, उसने भारत और देश में उसकी कथित सैन्य उपस्थिति पर हमला करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है।

https://twitter.com/MeghBulletin/status/1487743532035051521

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बताते चलें कि द मालदीव जर्नल की वेबसाइट के अनुसार, अहमद अज़ान एक पत्रकार और लेखक हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बीए किया है और उन्हें ‘धियार’ और ‘द मालदीव जर्नल’ के सह-संस्थापकों में से एक हैं। उन्होंने बीए की पढाई अजरबैजान के एडीए विश्वविद्यालय से की है। उनकी रुचि राजनीति और अर्थशास्त्र में अधिक है। वहीं,  2013 से 2018 तक अब्दुल्ला यामीन की अध्यक्षता के दौरान, मालदीव ने चीन से भारी उधार लिया था, जिससे कर्ज के जाल की स्थिति पैदा हो गई थी।

चीन ने फैलाई भारत-मालदीव संबंधों में दरार

मालूम हो कि मालदीव पर चीन का लगभग 1.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का बकाया है। वर्तमान में ऐसा नहीं है कि अधिकतर संख्या में मालदीव के लोग #IndiaOut के पक्ष में हैं। सोशल मीडिया पर लगभग 210 ट्विटर हैंडल से ही अब तक #IndiaOut का अभियान आगे बढ़ा है। ऐसे में, #IndiaOut हैशटैग को लेकर अज़ान और उनके अनुयायियों का नाम सामने आ रहा है, जो एक विशेष एजेंडा को ध्यान में रखते हुए काम कर रहे हैं और इनका चीनी कनेक्शन भी है। लिहाजा, दुष्प्रचार के इन प्लेटफार्मों पर नजर रखने की जरूरत है क्योंकि उन्होंने भारत-मालदीव संबंधों में दरार पैदा करने की एक उल्लेखनीय क्षमता दिखाई है। यह मालदीव मीडिया और सोशल मीडिया में चीनियों द्वारा की गई खतरनाक घुसपैठ की पहचान करने और उसे बेनकाब करने का समय है, जैसा कि PRG के इनसाइट द्वारा वर्णित है।

जैसा कि मालदीव सरकार ‘India Out’ अभियान पर पूर्णविराम लगाना चाहती है, जिसे पूर्व राष्ट्रपति और चीन समर्थक नेता अब्दुल्ला यामीन द्वारा हवा दी जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाह-हिद ने कहा कि यह पड़ोसी देशों पर हमला करने के लिए विचारहीन है, जो मालदीव को सहायता प्रदान करते आए हैं। उन्होंने कहा कि “माले(मालदीव की राजधानी) एक संतुलित विदेश नीति का पालन कर रहा है। जो देश हमारे देश से लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है, एक लंबे अरसे से वो मालदीव की सहायता भी करता आया है, ऐसे में उस देश पर मौखिक रूप से ऐसा हमला करना, यह एक बहुत ही विचारहीन कार्य है। हमें ऐसी चीज़ों से बचना चाहिए।”

मालदीव ने किया चीन के मकसद को धराशाई

उन्होंने एक स्थानीय समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, “राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की विदेश नीति एक संतुलित नीति है।” ‘India Out’ अभियान और चीन के कथित समर्थन के बारे में पूछे जाने पर, शाहिद ने दोहराया कि “यह मालदीव जैसे राष्ट्र जिसकी एक छोटी अर्थव्यवस्था है, उसके लिए सबसे अधिक फायदेमंद होगा कि वो सभी देशों के साथ मिलकर रहे जो अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों और सिद्धांतों को बनाए रखते हैं और मालदीव के साथ राजनयिक संबंधों में रुचि रखते हैं। इसमें भारत और चीन शामिल हैं। हालांकि, घरेलू विवादों और लक्षित देशों का फायदा उठाने से देश को कोई फायदा नहीं होगा।” 

शाहिद ने कहा कि “भारत के साथ घनिष्ठ संबंध और प्रदान की जा रही सहायता हमेशा समान रही है, भले ही माले में कोई भी पार्टी सत्ता में हो। यह राष्ट्रपति मौमून के प्रशासन के दौरान था कि राष्ट्र आतंकवादी हमले में आया और जब सुनामी संकट आय। माले का जल संकट राष्ट्रपति यामीन के प्रशासन के दौरान हुआ। राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह शासन कर रहे हैं जब कोविड -19 महामारी के दौरान सहायता प्रदान की गई है, भारत ने इनमें से प्रत्येक संकट के दौरान मालदीव की सहायता प्रदान की थी।”

अंततः यह सभी बातें उन सभी तुच्छ मानसिकता के परिचायक लोगों के लिए तमाचा है, जो भारत के संबंध उसके मैत्री देशों से ख़राब कराना चाहते हैं। India Out को असंवैधानिक करार कर देना मालदीव सरकार की अच्छी कूटनीतिक सोच और उसका अपने मैत्री देशों के प्रति आदर और सम्मानभाव को प्रदर्शित करता है। India Out को अपने देश से ही आउट करने के इस निर्णय ने ऐसे देशों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है, जो आपसी भाईचारे प्रेम और सौहार्द में विश्वास रखते हैं।

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