चंडीगढ़ स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के मालिक और अशोका विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता पर CBI ने लगभग 1,626 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के लिए मामला दर्ज किया है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है कि PDL, उसके प्रमोटरों और निदेशकों ने SBI के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ के साथ आर्थिक धोखाधड़ी की है। पैराबोलिक के इस धोखाधड़ी के शिकार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, ICICI बैंक, IDBI बैंक, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्जिम बैंक, केनरा बैंक और सिडबी बैंक है, जिनसे ऋण सुरक्षित करने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।
CBI की छापेमारी में फंसे गुप्ता बंधू
दरअसल, 2014 में स्टेट बैंक ने पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के खातों को ‘नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स’ के रूप में वर्गीकृत किया। इसके तुरंत बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने इसका अनुसरण किया। 31 दिसंबर, 2021 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में चंडीगढ़, पंचकुला, लुधियाना, फरीदाबाद और दिल्ली में 12 स्थानों पर छापेमारी की। CBI का कहना है कि छापेमारी में आपत्तिजनक दस्तावेज, लेख और 1.58 करोड़ रूपए नकद पाए गए। गुप्ता बंधुओं पर आपराधिक साजिश और जालसाजी जैसे आरोप हैं।
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बता दें कि प्रणव गुप्ता पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक थे जबकि विनीत निदेशक थे। प्रणव ने 1996 में पैराबोलिक ड्रग्स की स्थापना की थी। इनके अलावा CBI ने दीपाली गुप्ता, रमा गुप्ता, जगजीत सिंह चहल, संजीव कुमार, वंदना सिंगला, इशरत गिल समेत अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। रेगुलेटरी फाइलिंग के मुताबिक प्रणव और विनीत दोनों अशोका यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। प्रणव अशोका विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक और ट्रस्टी हैं जबकि विनीत संस्थापक और ट्रस्टी हैं। वहीं, अशोका विश्वविद्यालय की वेबसाइट कहती है, “संस्था के विभिन्न पहलुओं की देखरेख और विकास में मदद के लिए विनीत सक्रिय भूमिका निभाते है।”
IPC की धाराओं के तहत मामला हुआ दर्ज
बताते चलें कि पिछले दो वर्षों में, विश्वविद्यालय ज्यादातर गलत कारणों से चर्चा में रहा है और दो व्यक्तियों के खिलाफ CBI की कार्रवाई से इसकी छवि और ख़राब हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषक प्रताप भानु मेहता के एक संकाय सदस्य के रूप में इस्तीफा देने के बाद से विश्वविद्यालय में विवादों की लहर दौड़ गई है। मेहता के इस्तीफे के बाद, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमण्यम ने भी ‘अकादमिक स्वतंत्रता’ की कमी के मुद्दों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। अशोका विश्वविद्यालय प्रांगण प्रोफेसरों के इस्तीफे पर अपने संस्थापकों से स्पष्टीकरण की मांग करने वाले छात्रों का एक विरोध स्थल बन गया है।
गुप्ता बंधुओं पर आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 463 (जालसाजी) के तहत आरोप दर्ज किया गया है। CBI अधिकारी ने कहा कि आरोपियों को जांच में शामिल होने और जांच दल के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है। अधिकारी ने कहा, “इस मामले में उनका क्या कहना है, इस पर हम उनके बयान दर्ज करेंगे। एक बार हमें और सबूत मिल जाएंगे, तो हम उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे।” उन्होंने कहा कि “मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में की जा रही है।”
ऐसे में, जांच का निष्कर्ष जो भी निकले लेकिन इससे एक बात तो स्पष्ट है कि मोदी सरकार अब बैंकों से धोखाधड़ी करनेवालों को माफ करने के मूड में नहीं है। सरकार की जागरूकता और तत्परता ऐसे आर्थिक अपराधियों के मंसूबों को न सिर्फ ध्वस्त कर रही है बल्कि ये भी सुनिश्चित कर रही है कि शैक्षणिक संस्थान राष्ट्र निर्माण का स्तंभ बन सकें।