पति की मृत्यु के अवसाद से एक दृढ़ निश्चयी CEO तक: कैसे मालविका हेगड़े ने CCD को डूबने से बचा लिया

अपने आप में एक अद्भुत मिसाल हैं मालविका हेगड़े!

मालविका हेगड़े CCD CEO

Source- TFIPOST

भारत की सबसे बड़ी कॉफ़ी चेन कैफ़े कॉफ़ी डे (CCD) के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ ने 1996 में इसकी शुरुआत की थी। दुनिया भर में कॉफी कल्चर को देखते हुए कर्नाटक के रहने वाले सिद्धार्थ ने कॉफी शॉप खोलने का प्लान बनाया। तमाम कठिनाइयों के बाद कॉफी शॉप शुरू हुई। तब लोगों ने उनसे कहा कि उनका बिजनेस नहीं चलेगा, लेकिन लोगों की सलाह के इतर उन्होंने CCD को वो ऊंचाई प्रदान की, जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। वर्ष 2019 में वीजी सिद्धार्थ ने आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद उनकी पत्नी मालविका हेगड़े ने कंपनी का स्वामित्व अपने हाथों में लिया।

उस समय कंपनी भारी कर्ज में डूबी हुई थी। एक ओर उन्हें अपने पति की मृत्यु का सदमा पहुंचा था, तो दूसरी ओर उन्हें अपनी हजारों करोड़ के कर्ज में डूबी हुई कंपनी को पुनः बाजार में सबसे बड़े खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना था। कैफे कॉफी डे, भारत में कॉफी रिटेल बाजार का सबसे बड़ा ब्रांड और उसकी मालकिन मालविका हेगड़े की कहानी अपने आप में एक मिसाल है।

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भारत का सबसे बड़ा कॉफी सर्विंग ब्रांड है CCD

दरअसल, वर्ष 2019 में भारत को यह दुखद खबर मिली कि भारत के सबसे बड़े कॉफी ब्रांड और कॉफी शॉप चेन के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने आत्महत्या कर ली। दिसंबर 2020 में मालविका हेगड़े कैफे कॉफी डे (CCD) इंटरप्राइजेज लिमिटेड की सीईओ बनी। परिस्थितियां उनके विरुद्ध थी, किंतु उन्होंने सफलता की अद्भुत मिसाल कायम की। बताते चलें कि 29 जुलाई 2019 को सिद्धार्थ अपने ड्राइवर के साथ अपनी गाड़ी से मंगलौर के पास एक ब्रिज तक पहुंचे।

वहां उन्होंने ड्राइवर को रुकने को कहा और गाड़ी से उतरकर पैदल निकल गए। 29 जुलाई की शाम से सिद्धार्थ गायब हो गए। जिसके बाद 31 जुलाई को मैंगलुरु के पास बहने वाली नेत्रवती नदी के किनारे 3 मछुआरों को उनकी लाश मिली। फिर ANI द्वारा एक टाइप राइटर से लिखा हुआ नोट मीडिया में प्रकाशित किया गया, जिसमें सिद्धार्थ एक लाभदायक बिजनेस मॉडल बनाने में असफल होने के कारण माफी मांग रहे थे। उन्होंने नोट में कहा था कि निजी इक्विटी भागीदारों और अन्य ऋणदाताओं का दबाव तथा आयकर विभाग का उत्पीड़न असहनीय हो गया था।

यह भारत के उद्योग जगत के लिए विशेष रुप से शहरी भारत के लिए एक अचंभित करने वाली खबर थी कि सीसीडी के मालिक को अपनी कंपनी के नुकसान के कारण आत्महत्या करनी पड़ी। सीसीडी भारत के शहरी संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन चुका है। सीसीडी भारत के 165 शहरों में 572 कैफे संचालित कर रहा है। साथ ही CCD 333 एक्सप्रेस कीओस्क चलाता है, अर्थात् ऐसे कैफे जहां लोग रेडी टू टेक आर्डर खरीदते हैं। मौजूदा समय में 36,326 वेंडिंग मशीन के साथ सीसीडी भारत का सबसे बड़ा कॉफी सर्विंग ब्रांड है।

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मालविका के बेहतरीन नेतृत्व का दिख रहा असर

जब मालविका हेगड़े ने सीसीडी के सीईओ का पद संभाला, तो कंपनी कर्ज में डूबी हुई थी। 31 मार्च 2019 तक कंपनी के ऊपर 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। भारत में कई ऐसे उद्योगपति हुए, जो इससे ज्यादा भारी भरकम कर्ज  लेकर विदेश भाग गए और वहां की नागरिकता लेकर छिप गए, लेकिन मालविका हेगड़े डरने वालों में नहीं थी। उन्होंने अपने पति के सपने, उनकी कंपनी को आगे बढ़ाने का निर्णय किया। साथ ही वो सीसीडी में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की जिम्मेदारी और उनके हालात को भी बखूबी समझ रही थी।

मालविका ने न केवल साहस का परिचय दिया, बल्कि उन्होंने CEO के रूप में अपनी क्षमता का प्रदर्शन भी किया। जो कर्ज 2019 में 7000 करोड़ रुपये था, वह मार्च 21 तक घटकर 1779 करोड़ रुपये रह गया है। कंपनी पर कुल लोन 1779 करोड़ रह गया, जिसमें 1263 करोड़ दीर्घकालिक लोन और 516 करोड़ शॉर्ट टर्म लोन है। CCD पुनः बाजार में वापस आ चुकी है और धीरे-धीरे कंपनी की वित्तीय हालत सुधर रही है। कोरोना का प्रभाव जैसे-जैसे कम होगा, इसमें और सुधार होना तय है। भारतीय उद्योग जगत के लोगों के लिए मालविका हेगड़े की कर्मठता एक अद्भुत उदाहरण है।

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