गलवान और बुद्ध: चीनी प्रोपेगेंडा मशीनरी के लिए वास्तव में बहुत बुरा सप्ताह

चीन की शामत आई हुई है!

मुख्य बिंदु

वर्ष 2022 के शुरुआत से ही चीन एक बार फिर अपने रणनीतिक मंसूबे को पूरा करने के लिए भारत पर धावा बोल रहा है। इसी क्रम में चीन ने एक ओर एक झूठा वीडियो जारी कर भारत को चुनौती देने का कार्य किया है। वहीं, दूसरी ओर तिब्बती क्षेत्र में भगवान बुद्ध की 99 फुट की प्रतिष्ठित मूर्ति को ध्वस्त किया है। हालांकि,  भारत सरकार ने वीडियो में किए गए चीनी दावों को खारिज कर दिया है।

दरअसल, बीजिंग ने 1 जनवरी को लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी ध्वजारोहण का एक वीडियो जारी किया था। इस वीडियो के माध्यम से चीन दुनिया के सामने लद्दाख के गलवान पर अपने कब्जे को प्रदर्शित करना चाह रहा था। जिसके बाद चीनी सोशल मीडिया साइट Weibo पर चीन का यह झूठा राग फैल गया। चीनी जनता को आखिरकार पता चल ही गया कि साम्यवादी शासन ने इस झूठे ध्वजारोहण के लिए चीनी अभिनेताओं को काम पर रखा था।

चीनी प्रोपेगेंडा 1: गलवान ध्वजारोहण

मीडिया सूत्रों के अनुसार, चीन की साम्यवादी पार्टी ने इसके लिए अभिनेता वू जंग और उनकी पत्नी झी नान को नियुक्त किया, जो एक टीवी एंकर भी हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि यह वीडियो ऐसे समय में प्रकाशित हुआ जब एक ओर चीन विवादास्पद भूमि सीमा कानून को लागू कर रहा था और दूसरी ओर चुशुल में भारतीय पक्ष के साथ मिठाई का आदान-प्रदान कर अपने आक्रामक विस्तारवादी नीति को छुपा रहा था।

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बता दें कि 24 दिसंबर को निर्देशकों, कनिष्ठ अभिनेता वू जिंग, अभिनेत्री ज़ी नान और कुछ PLA अधिकारियों के साथ गलवान में ध्वजारोहण को अंजाम देने के लिए फिल्मांकन स्थान पर आई थी। इसे शूट करने में चार घंटे लगे। फिल्म को 1 जनवरी, 2022 को रिलीज़ किया गया। Weibo उपयोगकर्ताओं द्वारा अभिनेताओं के नाम उजागर किए जाने के तुरंत बाद सभी अभिनेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स निलंबित कर दिए गए।

शेन शिवेई और साम्यवादी शासन के समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स द्वारा प्रदान की गई वीडियो 45-सेकंड की थी, जिसके बाद राहुल गांधी सहित कुछ मीडिया आउटलेट, पत्रकार और विपक्षी राजनेता देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वहीं, भारत सरकार ने वीडियो में किए गए चीनी दावों को खारिज कर दिया है। भारत के अनुसार यह वीडियो चीनी क्षेत्र के अंदर फिल्माया गया था।

चीनी प्रोपेगेंडा 2: तिब्बत का बौद्ध मंदिर ध्वस्त

अब साम्यवादी शासक के भय और उस भय से जनित दूसरा निरंकुश और निकृष्ट कृत्य देखिये। चीनी अधिकारियों ने सिचुआन के एक तिब्बती क्षेत्र में भगवान बुद्ध की 99 फुट की प्रतिष्ठित मूर्ति को ध्वस्त कर दिया। ऊपर से उन्होंने तिब्बती भिक्षुओं को यह विनाश देखने के लिए भी मजबूर किया। चीनी अधिकारियों के अनुसार यह विध्वंस ‘तिब्बतियों को सबक सिखाने’ के लिए किया गया था। ड्रैकगो मठ के पास खड़े किए गए 45 विशाल प्रार्थना चक्रों को हटा दिया गया और प्रार्थना झंडों को भी जला दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में इस खबर के फैलते ही चीन ने इसे नकार दिया। पर जब रेडियो फ्री एशिया ने वाणिज्यिक उपग्रह इमेजरी के विश्लेषण से मूर्ति के विनाश की पुष्टि की तब चीनी अधिकारी मंदिर ध्वस्त करने के पीछे बेबुनियाद तर्क देने लगे।

चीन का प्रोपेगेंडा वार

हालांकि, तिब्बती संगठनों ने कहा कि मूर्ति का निर्माण 2015 में स्थानीय चीनी अधिकारियों की स्वीकृति से किया गया था। लेकिन छह वर्षों के बाद, तिब्बती स्वायत्त प्रान्त ने अचानक इस अनुमोदन आदेश को ‘अमान्य’ कर दिया और यह कहकर प्रतिमा को ध्वस्त करने का निर्णय लिया कि इस क्षेत्र में इतनी ऊंची प्रतिमा को अनुमति नहीं है।

आप स्वयं सोचिए, चीन की ये दोनों हरकत उसे किस श्रेणी में खड़ा करती है? चलिये हम बताते हैं। चीन की ये हरकत उसे पाकिस्तान और तालिबान के समतुल्य खड़ा करती है। जिस तरह पाकिस्तान भी भारत से युद्ध नहीं जीत पाने के कारण ‘प्रोपेगेंडा वार’ पर उतर जाता है, ठीक उसी तरह चीन भी भारत के वीर सैनिकों से मार खाने के बाद ‘प्रोपेगेंडा वार’ पर उतर गया है। ध्वजारोहण के अपने झूठे और निकृष्ट कृत्य से चीन एक साथ दो निशाना साधने के फिराक में है।

चीन के लक्षण महाशक्ति बनने के लायक नहीं

पहला, इस झूठ के सहारे वह भारत में बैठे अपने वामपंथी दोस्तों के बल पर अस्थिरता फैलाना और भारतीय सेना के शूरवीरता और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाना चाहता है। दूसरा, इस तरह के वीडियो से वह अपने नागरिकों को भ्रम में रखता है ताकि वो हमेशा परतंत्रता के सुसुप्तावस्था में रहें। लेकिन, उसके अपने नागरिकों ने ही उसे बेनकाब कर दिया है। गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों के नाम उजागर ना करने के कारण चीन में कम्यूनिस्ट सरकार के खिलाफ गुस्सा उबल रहा है।

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जहां तक तिब्बत के बौद्ध मंदिर में स्थापित 99 फीट ऊंची बुद्ध प्रतिमा ध्वस्त करने का प्रश्न है, तो यह घटना चीनियों को तालिबान के समकक्ष खड़ा करती है। यह घटना हमें अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा बमियान के बुद्ध प्रतिमा को ध्वस्त करने की घटना याद दिलाती है और हमें यह सोचने पर विवश करती है कि क्या ये निकृष्ट आचरण और प्रोपेगेंडा किसी राष्ट्र को वैश्विक पटल पर महाशक्ति की उपाधि तो दूर सम्मान का एक क्षण भी दिला पाएगी। ऐसे में, कहा जा सकता है, लोकतन्त्र विहीन, विविधता विहीन, धर्म विहीन, अधिकार विहीन और सहिष्णुता विहीन चीन निश्चित ही ऐसे आचरणों से कभी महाशक्ति नहीं बन पाएगा।

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