हिंदू महिला पत्रकार ने BSP/SP समर्थित बॉस पर जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया

'जिहादी' बॉस पर होनी चाहिए सख्त से सख्त कार्रवाई!

News Action Network

Source- TFIPOST

नौकरी में छेड़खानी के मामलें आपने बहुत सुने होंगे। इन मामलों के कारण ही सर्वोच्च न्यायालय को विशाखा गाइडलाइन जारी करना पड़ा था। सर्वोच्च न्यायालय की यह सोच थी कि भारत में महिलाओं के साथ शारीरिक उत्पीड़न रुके और कार्यस्थल पर उनके साथ अत्याचार न हो, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय मानसिक उत्पीड़न के बारे में बात करना भूल गया! सच्चाई तो यही है कि आज भी भारत समेत दुनिया के कई हिस्से में कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ मानसिक उत्पीड़न होता है। हालांकि, भारत का वर्क कल्चर धीरे-धीरे बढ़िया हो रहा है और सुधार किए जा रहे हैं, लेकिन सच यह है कि भारत में अभी भी बदलाव की बहुत सारी गुंजाइश है।

अब हाल ही के इस मामले को ले लीजिए। दिल्ली के मीडिया हाउस में एक हिन्दू महिला पत्रकार को इस्लाम धर्म स्वीकारने के लिए मजबूर किया गया है। 26 जनवरी को, एक महिला पत्रकार की वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई, जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसके पिछले नियोक्ता ने उसे इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए मजबूर किया था।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि प्राथमिकी दर्ज करने के दो महीने बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। वायरल हो रही वीडियो में, महिला ने कहा कि वो एक ऑनलाइन YouTube-आधारित समाचार चैनल, न्यूज़ एक्शन नेटवर्क के लिए काम करती थी, जिसका दिल्ली के प्रीत विहार में एक कार्यालय है। महिला के मुताबिक चैनल का मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) शान चौधरी, महिला पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाता था। महिला की शिकायत के अनुसार, उसने कथित तौर पर उसका वेतन बढ़ाने के बहाने उसे धर्म परिवर्तन के लिए लुभाने की कोशिश की।

और पढ़े: धर्मांतरण के लिए मजबूर लावण्या ने की आत्महत्या अब उसके परिवार पर तमिलनाडु की मीडिया कर रही है हमला

25 हजार से 1 लाख तक वेतन बढ़ाने का प्रलोभन

Organiser ने इस मामलें पर ट्वीट करते हुए लिखा,“दिल्ली के प्रीत विहार स्थित एक Youtube न्यूज़ चैनल की एक महिला पत्रकार ने एक चौंकाने वाले खुलासे में आरोप लगाया कि न्यूज़ पोर्टल के एमडी ‘शान चौधरी’ ने उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित करने के लिए मजबूर किया।”

दूसरी ओऱ वीडियो में महिला ने कहा, “मैं पेशे से एक पत्रकार हूं। मैं न्यूज एक्शन नेटवर्क के साथ काम कर रही थी, जो कि एक ऑनलाइन यूट्यूब चैनल है। चैनल के एमडी शान चौधरी ने मुझ पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया।” महिला के मुताबिक, शान कहता था, तुम मुस्लिम लड़की की तरह दिखती हो। यदि तुम इस्लाम धर्म अपनाती हो, तो मैं तुम्हारा वेतन 25,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दूंगा।

महिला ने आगे बताया कि उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया, लेकिन कंपनी ने उसका वेतन 45 दिनों के लिए रोक दिया। 47वें दिन उन्हें वापस ऑफिस बुलाया गया। महिला ने बताया, “जब मैं वहां पहुंची तो मुझे शान चौधरी के कार्यालय में बुलाया गया, जहां रिया गुप्ता, रोशनी और मिश्रा पहले से मौजूद थे। शान ने मुझे गालियां दी और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। यहां तक ​​कि उसने मुझे जान से मारने की धमकी भी दी। उसके बाद मैं किसी तरह अपने साथियों की मदद से ऑफिस से निकल कर प्रीत विहार थाने पहुंच पाई। मैंने प्रीत विहार पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करने की कोशिश की, लेकिन ASI सोहागीर ने मेरी प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया।” वीडियो में महिला ने बताया कि चौधरी के राजनीतिक संबंध हैं और वह हसनपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ने वाला है।

मामले पर संज्ञान नहीं ले रही है पुलिस

हालांकि, शान चौधरी समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाला है या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन न्यूज एक्शन नेटवर्क द्वारा अपलोड किए गए कुछ वीडियो में शान को ‘फ्यूचर एसपी कैंडिडेट’ बताया गया है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि वो बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकता है। वहीं, दूसरी ओर अधिकारियों से कोई मदद नहीं मिलने की वजह दिल्ली की यह युवा हिंदू महिला पत्रकार आत्महत्या के कगार पर है। मास कम्युनिकेशन में डिग्री करने वाली इस महिला पत्रकार पर उसके नियोक्ता द्वारा इस्लाम स्वीकार करने के लिए दबाव डाला गया और मना करने पर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, लेकिन पुलिस मामले को संज्ञान में नहीं ले रही है। एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजेश भसीन ने अपने फेसबुक पेज पर एक लाइव वीडियो अपलोड किया, जिसमें महिला ने मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की यातनाओं का वर्णन किया है।

और पढ़े: धर्मांतरण और नक्सलवाद का प्रकोप झेल रहा छत्तीसगढ़ अब Islamism का ‘सुपर स्प्रेडर’ बनता जा रहा है

पुलिस ने की मामले की लीपापोती!

हालांकि, स्थानीय पुलिस का कहना है कि ‘असली मुद्दा’ वेतन का भुगतान न करना था, लेकिन पीड़िता ने इससे इनकार किया है और स्पष्ट किया है कि मूल कारण क्या है? इस हिंदू महिला पत्रकार ने कहा कि वो इतनी शिक्षित है कि अवैतनिक वेतन की वसूली के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकती है। बुरी तरह उदास और आंसुओं में उन्होंने कहा कि वह सिर्फ अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए न्याय चाहती है।

भले ही हम पुलिस के इस सिद्धांत पर विश्वास करें कि विवाद सिर्फ वेतन न देने का है, फिर भी उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कर वसूली के लिए शनवास चौधरी (शान) के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? ऐसे में सवाल उठता है कि जब जनता की रक्षा करने वाले रक्षक ही अपने कर्तव्य पथ से विमुख हो जाए, तो आखिर लोग अपनी परेशानी लेकर कहां जाएंगे?

बताते चलें कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर तुष्टिकरण भारत में कोई नई बात नहीं है। इसपर स्पष्टीकरण मांगना ही गलत होगा, क्योंकि एक लंबे समय तक भारत में तुष्टिकरण को धर्मनिरपेक्षता समझकर बेचा गया है! उत्तरप्रदेश में जहां धर्मांतरण को गैर कानूनी बनाया गया, वहीं अभी भी लगातार सामने आ रहे ऐसे मामलों के बीच अति आधुनिक दिल्ली में हिंदुओं को उनके हाल पर छोड़कर सरकार आंख मूंदकर बैठी है!

Exit mobile version