भारत नए वर्ष में नए आर्थिक लक्ष्यों के साथ वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने को तैयार है। कोरोना महामारी के बाद बखूबी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के बाद भारत अब बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। विदेशों की कई कंपनियों ने भारत को बड़ा बाजार मानते हुए भारत में निवेश की योजना बनाई है। वहीं, भारत ने निवेश से जुड़े नियमों का पालन करने की हिदायत देते हुए इन कंपनियों को निवेश करने की अनुमति दी है। इसी संदर्भ में वैश्विक टेक बॉस यानि Apple कंपनी जो भारत में निवेश के उद्देश्य से आई है, उसे भारत सरकार ने एक नया निर्देश दिया है। खबरों के अनुसार, केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स की दिग्गज कंपनी Apple अपने ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए अगले 5-6 वर्षों में भारत में $50 बिलियन का वार्षिक उत्पादन उत्पादन करेगी।
Make In India के तहत बनेगें Apple के प्रोडक्ट्स
दरअसल, इसमें मेड इन इंडिया के तहत iPhone, Macbook, iPad, Air Pod और घड़ियों को शामिल करने के लिए अपने स्थानीय रूप से निर्मित उत्पाद का विस्तार करना शामिल होगा। टिम कुक की अगुवाई वाली कंपनी को भारत में वैश्विक सोर्सिंग बेस के रूप में विकसित करने के लिए कहा गया है, जिसका उपयोग पूरी तरह से निर्मित उत्पादों को निर्यात करने के लिए किया जाएगा।
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दुनिया के शीर्ष सरकारी अधिकारियों और Apple के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक उच्च-स्तरीय बैठक में यह तय किया गया है कि भारत में वैसा उत्पादन किया जाये, जैसा कि वर्तमान में चीन में इस कंपनी द्वारा किया जा रहा है। TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, “Apple के अधिकारियों के साथ हाल ही में बैठक हुई, जिसमें सरकार के वरिष्ठ सदस्य और एक शीर्ष मंत्री सहित कई अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। सरकार ने Apple को बताया कि भारत बड़े पैमाने पर देने के लिए एक सक्षम वातावरण स्थापित कर रहा है। निर्यात पर बड़ी नजर के साथ देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देना होगा और Apple को इस बदलाव में सहयोगी बनना होगा।” हालांकि, Apple के शीर्ष उत्पादन भागीदारों में फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन का नाम शामिल है किन्तु भारत में Apple का विनिर्माण इसकी वैश्विक उत्पादन की तुलना में कम है।
भारत सरकार का उचित कदम
वहीं, चीन में Apple के अधिकांश उत्पादन का योगदान है, जबकि अनुमानित 95% माल वहां से प्राप्त किया जाता है। इसके अलावा भले ही फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन पहले से ही भारत में Apple के लिए निर्माण कर रहे हैं लेकिन चीन में उनके निर्माण की तुलना में यह संख्या ‘नगण्य के करीब’ है। TOI के खबर अनुसार, “सक्षम वातावरण में कंपनियों को भारत में निवेश करने और विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, पूंजीगत सब्सिडी योजनाएं दी जा रही हैं। सेमीकंडक्टर निर्माण को गति देने के लिए एक बड़ी रकम को आवंटित किया गया है। निवेश करने के इच्छुक लोगों के लिए सरकार ने $ 10 बिलियन का समर्थन राशि बढ़ाया है।”
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इसमें कोई दोराए नहीं है कि भारत कच्चे माल से परिपूर्ण एक देश है और यहां बिजली की कोई बड़ी समस्या नहीं है, जो की विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का एक अहम माध्यम है। ऐसे में, कहा जा सकता है कि मेक इन इंडिया के साथ-साथ मेड इन इंडिया को भी प्रोत्साहन दिए जाने के लक्ष्य से प्रेरित होकर भारत सरकार ने इस दिशा में उचित कदम उठाया है।