देश के 5 राज्यों में आने वाले कुछ ही हफ्तों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक गलियारों में हलचलें काफी तेज हैं। पंजाब को छोड़कर अन्य राज्यों में राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से अपनी तैयारियों में लगी है, ऐसा नहीं है कि पंजाब में तैयारियां नहीं चल रही, लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि पंजाब चुनाव में कांग्रेस की लड़ाई कांग्रेसी नेताओं से ही है। ऐसा हम नहीं कर रहे हैं, दरअसल कांग्रेसी नेताओं की हरकतें खुद ही ये बयां करती दिख रही है। पंजाब में सिद्धू और चन्नी की लड़ाई अलग ही लेवल पर पहुंच चुकी है, जो कांग्रेस आलाकमान में फूट का कारण भी बन सकती है।
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश से भी रोमांचक और उत्तेजक राजनीति पंजाब में हो रही है। पंजाब पाकिस्तान की सीमा से लगने वाला ऐसा प्रदेश है, जो कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है। पंजाब में खालिस्तानी प्रभाव पुनः बढ़ रहा है और प्रदेश में कोई राजनीतिक दल अभी इस स्थिति में नहीं है कि अपने बल पर सरकार बनाने का दावा ठोक सके। सत्ता में बैठी कांग्रेस पार्टी गुटबाजी के गिरफ्त में है और इन सभी परिस्थितियों ने पंजाब के पॉलिटिकल ड्रामा को विस्फोट के स्तर तक पहुंचा दिया है।
पंजाब में चल रही राजनीतिक उठा पटक गांधी परिवार में टकराव का कारण बन सकती है, क्योंकि प्रदेश में एक ओर राहुल गांधी के चहेते नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के सर्वमान्य नेता बनना चाहते हैं, तो वहीं दूसरी ओर वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी प्रियंका गांधी के पाले में चले गए हैं, जो सीधे तौर पर प्रियंका गांधी को ही रिपोर्ट कर रहे हैं।
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सिद्धू से पुराने कांग्रेसी हैं चन्नी
वर्ष 2021 के सितंबर माह तक उत्तर प्रदेश के चुनाव ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर रखा था। किंतु सितंबर माह में पंजाब कांग्रेस का आंतरिक कलह बहुत अधिक बढ़ गया और कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। तब कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच हो रही खींचतान मीडिया में सुर्खियां बटोर रही थी। नवजोत सिंह सिद्धू स्वयं को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। कैप्टन जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के विरुद्ध बगावत कर चुके नवजोत सिंह सिद्धू को राहुल गांधी का सीधा समर्थन प्राप्त था। कैप्टन के विरोध के कारण सिद्धू मुख्यमंत्री नहीं बन सके और एक कठपुतली के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी को कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह मुख्यमंत्री बना दिया गया!
किंतु चरणजीत सिंह चन्नी अधिक दिनों तक कठपुतली बनकर नहीं रहना चाहते थे। चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब कांग्रेस के पुराने नेता है। वो अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। जब सिद्धू भाजपा में अपनी राजनीति चमका रहे थे, तब चरणजीत सिंह चन्नी उस समय पंजाब विधानसभा में कांग्रेस विधायक के रुप में विपक्षी दल के नेता थे। इस लिहाज से देखा जाए तो चन्नी सिद्धू से पुराने कांग्रेसी हैं।
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सुरक्षा चूक पर प्रियंका गांधी को किया रिपोर्ट
कैप्टन के विरुद्ध सिद्धू ने जब चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने पर हामी भरी थी, तो सिद्धू को लगा था कि वो चन्नी को अपनी कठपुतली बना लेंगे। किंतु चन्नी ने जल्द ही स्पष्ट कर दिया कि वो किसी भाजपा से आयातित नेता की कठपुतली बनने वाले नहीं हैं। विवाद इतना बढ़ गया कि एक प्रदर्शन के दौरान सिद्धू कैमरे पर चन्नी को अपशब्द कहते हुए देखे गए। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि मुझे मुख्यमंत्री बनाया जाए तो मैं दिखाऊंगा की सफल प्रदर्शन क्या होता है।
पंजाब के एक फ्लाइओवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को रोके जाने और उनकी सुरक्षा में हुई चूक के बाद जब विवाद तेज हुआ, तो चन्नी ने इसकी पूरी रिपोर्ट प्रियंका गांधी को दी। चन्नी ने ऐसा करके एक स्पष्ट राजनीतिक चाल चली है। चन्नी ने प्रियंका को फोन किया अथवा प्रियंका ने चन्नी को फोन किया यह वही जानें, लेकिन मूल बात यह है कि चन्नी ने पूरे विवाद की जानकारी राहुल गांधी के बजाय प्रियंका गांधी को दी।
पंजाब में राहुल VS प्रियंका होना तय!
स्पष्ट है कि नवजोत सिंह सिद्धू को राहुल गांधी से मिल रहे समर्थन के कारण चरणजीत सिंह चन्नी, प्रियंका गांधी से जा मिले हैं। मौजूदा समय में प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में प्रचार अभियान में लगी है। हालांकि, उत्तर प्रदेश में सफलता की उम्मीद न के बराबर है, किंतु उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रियंका गांधी को अपनी छवि एक जुझारू नेता के रूप में बदलने का मौका दे रहा है। यह छवि राहुल गांधी की नहीं है, क्योंकि वह अक्सर चुनाव से पहले बैंकॉक, इटली आदि जगहों की यात्रा करने निकल जाते हैं, जबकि प्रियंका गांधी जमीन पर काम कर रही हैं।
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पहले ही राहुल गांधी के नेतृत्व का विरोध कर चुके हैं। ऐसे में यह भी संभव है कि कांग्रेस में प्रियंका गांधी का बढ़ता कद, राहुल गांधी के लिए समस्या बन सकता है। बताते चलें कि गांधी परिवार में आपसी कलह नई बात नहीं है। आपातकाल के समय संजय गांधी और इंदिरा गांधी के बीच विवाद हुआ था। संजय गांधी की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी और मेनका गांधी का विवाद इतना बढ़ गया था कि मेनका गांधी को उनके बच्चे, वरुण के साथ, जो उस समय बहुत छोटे थे, इंदिरा गांधी ने घर से निकाल दिया था। ऐसे में पंजाब की यह कलह गांधी परिवार में फूट का कारण भी बन सकती है।
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