आपने वामपंथियों को विकास की हर योजना का विरोध करते देखा होगा। किंतु किसी वामपंथी ने सरकार द्वारा विकास योजना को आगे बढ़ाने की उत्सुकता दिखाई हो, ऐसा काफी कम ही देखने को मिलता है। यदि किसी स्थान पर आपको ऐसा होता दिखे, तो प्रसन्न होने के स्थान पर आपको चौकन्ना हो जाना चाहिए, क्योंकि यदि वामपंथी संगठन किसी विकास परियोजना की वकालत करने लगे तो इसका अर्थ होता है कि वहां बड़ा घोटाला होने वाला है। मौजूदा समय में लेफ्ट शासित केरल में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है, जिसका जमकर विरोध भी हो रहा है। मेट्रोमैन ई श्रीधरन भी केरल सरकार की सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट का विरोध करते दिख रहे हैं।
सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट
दरअसल, केरल की विजयन सरकार केरल के विकास के लिए एक सेमी हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट शुरू करने वाली है। प्रस्तावित सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट, उत्तरी केरल को दक्षिणी केरल से जोड़ने वाला है। सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट की कुल लागत 63,940 करोड़ रुपए होने वाली है और इसके द्वारा 529.45 किलो मीटर लंबी रेल लाइन बिछाई जाएगी। जिसमें 11 स्टेशनों के माध्यम से 11 जिलों को शामिल किया गया है, अर्थात् सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट उत्तरी केरल और दक्षिणी केरल के 11 स्टेशन को जोड़ेगा।
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ऊंची नीची पहाड़ियों पर टेढ़ी-मेढ़ी रेल पटरियों वाले राज्य में ट्रेन की औसत गति 45 किलो मीटर प्रति घंटा होती है, किंतु सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट के अंतर्गत ट्रेन 200 किलो मीटर प्रति घंटा की औसत रफ्तार पर चलेगी। सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट तिरुवनंतपुरम और कासरगोड के बीच की 12 घंटे की यात्रा को 4 घंटे की यात्रा में बदल देगा। केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (KRDCL) के इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 2025 तक का समय निर्धारित किया गया है। KRDCL या K-Rail, केरल सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
ध्यान देने वाली बात है कि इस प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण करने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए कुल 1,383 हेक्टेयर का अधिग्रहण करने की आवश्यकता है। जिसमें से 1,198 हेक्टेयर निजी भूमि होगी। सरकार की केंद्रीय निवेश शाखा केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB) से 2,100 करोड़ रुपये प्राप्त करने की प्रशासनिक मंजूरी को भी मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना के कारण 9 हजार बिल्डिंग गिराई जाएंगी और करीब 10 हजार परिवार को फिर से रिलोकेट किया जाना है, जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है। लोग इस प्रोजेक्ट पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे है, साथ ही इसे एक बड़ा स्कैम भी बताया जा रहा है!
मेट्रोमैन ई श्रीधरन कर रहे हैं विरोध
सुनने में यह प्रोजेक्ट बहुत आकर्षक लगता है। सरकार का कहना है कि सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट केरल को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री पी विजयन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और इस प्रोजेक्ट के लिए उनसे निजी हस्तक्षेप का निवेदन किया है। किंतु स्थानीय लोगों, एनजीओ सहित सभी विपक्षी दलों द्वारा इस प्रोजेक्ट का विरोध किया जा रहा है। वैसे तो विरोध का कारण राजनीतिक स्वार्थ भी हो सकता है, किंतु जब विरोध भारत के मेट्रोमैन ई श्रीधरन जैसे व्यक्ति द्वारा किया जा रहा हो, तो पुनर्विचार आवश्यक हो जाता है। ई श्रीधरन भारत के सबसे सफल मेट्रो प्रोजेक्ट, दिल्ली मेट्रो के शिल्पकार हैं। किसी रेलवे प्रोजेक्ट के आर्थिक पहलुओं को उनसे अच्छा कोई नहीं समझ सकता।
विशेषज्ञ सिल्वर लाइन रेल प्रोजेक्ट का विरोध इस आधार पर कर रहे हैं कि केरल के आर्थिक पिछड़ेपन में रेलवे की धीमी गति कभी महत्वपूर्ण कारक नहीं रही थी। वस्तुतः देखा जाए तो केरल का आर्थिक पिछड़ापन, सरकार द्वारा निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने में असफल होने के कारण है। केरल में कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रभाव के कारण मजदूर संगठन बहुत मजबूत हैं। अधिकांश ऐसे संगठन, किसी संगठित माफिया गिरोह की तरह कार्य करते हैं। वहां मजदूर संगठन माफिया गिरोह की तरह रंगदारी वसूलते हैं! हाल ही में इसरो के एक ट्रक को रोककर 10,00,000 रुपये की रंगदारी मांगी गई थी।
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केरल पर पहले से ही है बहुत अधिक ऋण
केरल के आर्थिक पिछड़ेपन का दूसरा महत्वपूर्ण कारण कानून व्यवस्था की बदतर स्थिति है। तीसरा महत्वपूर्ण कारण यह है कि केरल में औद्योगीकरण के लिए आवश्यक वातावरण है ही नहीं। केरल की भौगोलिक बनावट, लद्दाख, पूर्वोत्तर राज्यों की तरह ही औद्योगिक विकास के अनुकूल नहीं है। केरल की आर्थिक तरक्की का रास्ता टूरिस्ट सेक्टर और भारतीय औषधि विज्ञान क्षेत्र में है। इन दोनों सेक्टर के विस्तार के लिए हाई स्पीड रेलवे आवश्यक अवयव नहीं है।
ध्यान देने वाली बात है कि केरल राज्य पर पहले से ही बहुत अधिक ऋण है, उसके बावजूद विजयन सरकार द्वारा सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट जैसा बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने से इस ऋण में और बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही यह प्रोजेक्ट केरल की पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। इस प्रोजेक्ट के कारण केरल के जंगल और चारागाहों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट देखने में सुंदर भले हो, लेकिन यह राज्य के आर्थिक विकास के बजाए, आर्थिक पंगुता का कारण बन सकता है।