कुछ लोग उपलब्धियों को अपनी सीढ़ी मानकर आगे बढ़ते हैं, तो कुछ जीवन से प्राप्त अनुभव के सहारे आगे बढ़ते हैं। लेकिन कुछ लोग विवादों को ही अपनी उपलब्धियों की सीढ़ी मानकर आगे बढ़ जाते हैं। इसी श्रेणी में हैं भारतीय टीम के टेस्ट कप्तान विराट कोहली, जिनके लिए विवाद ही उनका टॉनिक है और उनकी यह प्रवृत्ति दिन प्रतिदिन भारतीय टीम के लिए हानिकारक होती जा रही है!
हाल ही में संपन्न फ्रीडम ट्रॉफी में बेहतर स्थिति में होकर भी भारत को दक्षिण अफ्रीका के हाथों तीन मैचों के टेस्ट सीरीज में 2-1 से पराजय का सामना करना पड़ा। राहुल द्रविड़ के कोच होने के बाद भी टीम में एकता की कमी स्पष्ट दिखाई दी और कप्तान विराट कोहली के प्रदर्शन पर भी गंभीर सवाल उठे। इसके अलावा जिस प्रकार वो एक विवादित निर्णय पर स्टम्प माइक पर चीखते हुए दिखाई दिए, उससे स्पष्ट पता चलता है कि उनकी प्राथमिकता क्रिकेट खेलना तो कतई नहीं था।
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तीसरे टेस्ट में मचा था बवाल
दरअसल, भारत और साउथ अफ्रीका के बीच केपटाउन में खेले गए सीरीज के निर्णायक मैच के तीसरे दिन यह घटना हुई। रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर साउथ अफ्रीकी कप्तान डीन एल्गर के पैड से टकराई। भारतीय टीम ने LBW की जोरदार अपील की। मैदानी अंपायर मरे एरासमस ने उंगली उठा दी। हालांकि इस फैसले को एल्गर ने चुनौती दी। पहली नजर में देखने पर यह आउट लग रहा था।
रीप्ले में देखने पर भी मैदानी अंपायर का फैसला सही ही लगा। लेकिन बॉल-ट्रैकिंग में दिखा कि यह गेंद स्टंप्स के ऊपर से जा रही है। इसे देखकर सभी को हैरानी हुई। भारतीय टीम के खिलाड़ियों को यह फैसला सही नहीं लगा। भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने प्रसारणकर्ता के खिलाफ खुलकर अपना गुस्सा और निराशा जाहिर की। विराट कोहली ने स्टंप माइक पर कहा, ‘अपनी टीम पर भी ध्यान दो सिर्फ विपक्षी टीम पर ही नहीं। तुम्हारी नजर सिर्फ दूसरे लोगों पर ही रहती है।’
कोहली के इस हरकत की क्रिकेट जगत में जमकर आलोचना हो रही है। कई पूर्व भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों ने इस मामले पर कोहली को आड़े हाथों लिया है और आईसीसी से उन्हें सस्पेंड करने की मांग भी कर डाली है। हालांकि, कोहली का कहना है कि “हम सभी मैदान के अंदर थे और हमें पता था कि वहां पर क्या चल रहा है और जो लोग बाहर हैं, उन्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है।”
कोहली का रहा है विवादों से गहरा नाता
लेकिन क्या यह पहली बार हुआ है? क्या विराट कोहली इससे पहले विवादों में भी नहीं पड़े? असल में विवाद तो विराट कोहली का पर्याय है, या यूं कहें कि विराट कोहली के लिए विवाद एक टॉनिक समान है और ये आज से नहीं वर्ष 2017 से है, जब उनके व्यवहार के कारण भारतीय टीम अच्छी स्थिति में होने के बावजूद आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल हार गई और अनिल कुंबले को कोच के पद से त्यागपत्र देने पर विवश होना पड़ा था। लेकिन यह बात यहीं नहीं रुकी। गुटबाज़ी, Wokeism समेत अन्य कारनामों के सहारे विराट कोहली ने मानो भारतीय क्रिकेट को अपना लिविंग रूम बना दिया।
TFI Post के एक विश्लेषणात्मक अध्ययन के अनुसार शायद इसीलिए, “नेतृत्व के नकारेपन ने इस दल को दिशा विहीन कर दिया! विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज, गेंदबाज, क्षेत्ररक्षक, अनुभवी और युवाओं से सजी इस टीम के पास हारने का सिर्फ यही एक कारण था। टीम के कप्तान अगर दिवाली, पर्यावरण जैसे मुद्दे पर भारत की परंपरा और धर्मनिरपेक्षता को ट्रोल करने के बजाए, अपनी कप्तानी और बल्लेबाजी पर ध्यान देते तो परिस्थिति कुछ और होती!”
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कप्तानी से हटाए जाने पर मचाया था बवाल
हाल ही में विराट कोहली को टी20 और वनडे की कप्तानी से हटा दिया गया, जिसके बाद जमकर बवाल भी मचा था। अनेक वैश्विक टूर्नामेंट में भारत को लज्जित कराने से भी जब कोहली तृप्त नहीं हुए, तो इस मामले पर उन्होंने तुरंत BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली को निशाने पर ले लिया। पिछले कुछ हफ्तों से हमने देखा कि कैसे भारतीय टीम के वर्तमान टेस्ट कप्तान विराट कोहली अपने आप को निर्दोष सिद्ध करने पर तुले हुए हैं और BCCI, विशेषकर भारतीय क्रिकेट ऑफ कंट्रोल बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष सौरव गांगुली को झूठा सिद्ध करना चाहते हैं।
परंतु, विराट के झूठ को उजागर करने के लिए स्वयं BCCI ने मोर्चा संभाल लिया। टीम के प्रमुख चयनकर्ताओं में से एक चेतन शर्मा ने उजागर किया है कि विराट कोहली पर BCCI की ओर से कोई दबाव नहीं था, उलटे टी-20 की कप्तानी को लेकर स्वयं BCCI के अफसरों ने उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा था। चेतन शर्मा ने स्पष्ट रुप से कहा कि जब विराट ने टी20 की कप्तानी छोड़ने का निर्णय लिया, तो सभी ने उन्हें अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा। इतना ही नहीं, विराट कोहली को वनडे की कप्तानी से हटाए जाने की सूचना उन्हें 8 दिसंबर को ही दे दी गई थी, न कि दक्षिण अफ्रीका दौरे से मात्र डेढ़ घंटे पहले, जैसा कि विराट ने दावा किया है।
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दरअसल, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विराट कोहली ने दावा किया कि बीसीसीआई ने उन्हें कभी टी20 की कप्तानी छोड़ने पर पुनर्विचार करने को नहीं कहा था और साथ ही साथ उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्हें वनडे की कप्तानी से हटाए जाने की सूचना दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टीम की घोषणा से मात्र 90 मिनट पूर्व मिली। गौरतलब है कि विराट कोहली जब आए थे, तब गाजे बाजे के साथ आए थे, क्योंकि वे जूनियर विश्व विजेता थे और अब जब जायेंगे, तो गाजे बाजे के साथ ही जाएंगे, परंतु फर्क इतना होगा कि उन्होंने देश को अपने उपर गर्व करने की कोई वजह नहीं दी है, ऐसे में इस बार कोई भी उन पर गर्व नहीं करने वाला!