मुख्य बिंदु
- दवाओं/API उत्पादों पर सभी विवरणों के साथ QR कोड रखना अनिवार्य
- एक स्कैन के द्वारा ग्राहक को दवाओं के शिपिंग विवरण, बैच, लाइसेंस संख्या और आयात लाइसेंस के बारे में सब कुछ पता चल जाएगा
- नकली दवाइयों की आड़ में करोड़ो का अवैध व्यापार चलता है, जिस पर भारत सरकार अब अंकुश लगाने के लिए तैयार
भारत में अब अवैध दवाई निर्माताओं की खैर नहीं है। एक दौर था जब लगभग 20% दवाइयां भारत में नकली बना करती थीं। तकनीकी आधुनिकीकरण के इस युग में भारत आने वाले समय में पारदर्शिता के मामलें में सर्वश्रेष्ठ देश बन जाएगा। हाल ही में, नकली दवाओं पर बड़ी कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने API/मेडिसिन निर्माताओं के लिए दवाओं/API उत्पादों पर सभी विवरणों के साथ QR कोड रखना अनिवार्य कर दिया है। एक स्कैन के द्वारा ग्राहक को दवाओं के शिपिंग विवरण, बैच, लाइसेंस संख्या और आयात लाइसेंस के बारे में सब कुछ पता चल जाएगा।
अब QR कोड से होगी दवाइयों की पहचान
दरअसल, सरकार ने दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स पर QR कोड डालना अनिवार्य कर दिया है। नया नियम 1 जनवरी 2023 से लागू होगा। उसके बाद API (सक्रिय औषधि सामग्री) में QR कोड डालना अनिवार्य होगा। इस नए नियम से असली और नकली दवाओं के बीच अंतर करना काफी आसान हो जाएगा चूंकि बाजार में बेची जाने वाली प्रत्येक दवाई और सिरप के लिए एक ही नंबर होगा। इसलिए एक उपभोक्ता दिए गए नंबर पर एक संदेश भेजकर आसानी से दवाओं की प्रामाणिकता की जांच कर सकता है और इस दवा के निर्माता की जानकारी सहित बैच नंबर, समाप्ति डेटा आदि का विवरण प्राप्त कर सकता है।
और पढ़ें: “तुम्हें लाइसेन्स किसने दिया?” दवाइयों की जमाखोरी कर रहे सोनू सूद जैसी हस्तियों को कोर्ट ने लताड़ा
बता दें कि API दवाइयों का कच्चा माल है। टैबलेट, कैप्सूल और सिरप बनाने के लिए ये मुख्य कच्चे माल हैं। API किसी भी दवा के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है और इसके लिए भारतीय कंपनियां काफी हद तक चीन पर निर्भर है।
BIG Crackdown On Fake Medicines; Modi Govt makes it Mandatory for API/Medicine manufacturers to have QR code with all details on Medicines/API products.
With a single scan, will tell customer everything about medicines, even shipping details, batch, licenece no.& import licence pic.twitter.com/kfo5HWdWh0
— MeghUpdates🚨™ (@MeghBulletin) January 20, 2022
दवाइयों के क्षेत्र में क्रांति
इस नए कानून के चलते फार्मास्युटिकल फर्म का पता लगाना आसान हो जाएगा और यह बताने में भी सुलभता होगी कि कहीं फॉर्मूले के साथ कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है। साथ ही इससे कच्चे माल की उत्पत्ति और उत्पाद कहां जा रहा है पता लगाया जा सकेगा। हालांकि, कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत में बनने वाली 20% दवाएं नकली होती हैं जबकि एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 3% दवाएं घटिया गुणवत्ता की हैं। वहीं, अब मोदी सरकार की वजह से इन दवाइयों पर पूर्ण लगाम लगाया जाएगा। नकली और कम गुणवत्ता वाले API से तैयार की जाने वाली दवाएं वास्तव में मरीजों को फायदा नहीं पहुंचाती हैं और शायद इसीलिए DTAB यानी ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने जून 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
नकली दवाओं के अवैध व्यापार पर लगेगा लगाम
गौरतलब कि 2011 से सरकार इस व्यवस्था को लागू करने की कोशिश कर रही थी लेकिन फार्मा कंपनियों के बार-बार मना करने के कारण इस पर कोई ठोस फैसला नहीं हो पा रहा था। फार्मा कंपनियां इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित थीं कि अलग-अलग सरकारी विभाग अलग-अलग गाइडलाइंस जारी करेंगे। कंपनियों की ओर से मांग थी कि पूरे देश में एक समान QR कोड लागू किया जाए, जिसके बाद वर्ष 2019 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने यह मसौदा तैयार किया। जिसके तहत एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (API) के लिए QR कोड अनिवार्य करने का सुझाव दिया गया था।
और पढ़ें: ‘बच्चों को लगे पुराने टीके?’, NDTV के पत्रकार ने फैलाई Fake News
इसके बाद जुलाई 2020 में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय पैनल का गठन किया गया। वहीं, नकली दवाओं के प्रसार को गंभीरता से लेते हुए नीति आयोग ने देश में बनाई और उपभोग की जाने वाली दवाओं की पूरी सूची को ब्लॉकचेन पर रखने की योजना का प्रस्ताव रखा, जिससे नकली दवाओं के आपूर्ति श्रृंखला को खत्म किया जा सके।
इस प्रक्रिया के अनुसार, प्रत्येक निर्मित उत्पाद को एक पारदर्शी प्रोटोकॉल से जोड़ने का लक्ष्य है। उसके लिये दवाइयों को ब्लॉकचेन से जोड़ना होता है। दवाइयां तब ब्लॉकचेन में जोड़ी जाएंगी जब उन्हें एक विशिष्ट पहचान संख्या सौंपी जाएगी। यानी नकली दवाइयों का QR रिकार्ड भी नहीं होगा। ऐसे में, भारत दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक बन गया है, जिसने नकली दवाओं के खिलाफ लड़ाई को गंभीरता से लिया है। भारत में नकली दवाइयों की आड़ में करोड़ो का अवैध व्यापार चलता है, जिस पर भारत सरकार अब अंकुश लगाने के लिए तैयार है।