‘लाज़िम है कि हम भी देखेंगे’, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की इस पंक्ति को आपने CAA विरोधी प्रदर्शनों में अवश्य सुना होगा। लेकिन इसका एक अनोखा दृष्टिकोण आज सामने आया। यूं तो विवादों से जावेद अख्तर का बहुत पुराना नाता रहा है, परंतु एक ट्विटर यूज़र से इनकी ऑनलाइन भिड़ंत में कुछ ऐसा सामने आया, जिसपर चर्चा करने से बड़े से बड़े वामपंथी भी कतरा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं कैफ़ी आज़मी की, जिन्हे सदैव धर्मनिरपेक्षता की प्रतिमूर्ति के रूप में प्रस्तुत किया, परंतु वास्तव में वे उतने ही धर्मांध थे, जितने कि मुहम्मद अली जिन्ना या कासिम रिजवी।
ये संभव कैसे है। असल में Tatvam Asi नामक ट्विटर यूजर ने एक ट्वीट में बॉलीवुड के वामपंथियों की धुलाई करते हुए कहा कि इनके पूर्वजों ने सदैव कट्टरपंथी इस्लाम का समर्थन किया और पाकिस्तान के विभाजन को भी बढ़ावा दिया। इन्होंने बस धर्मनिरपेक्षता का नाटक किया, अन्यथा ये सदैव पाकिस्तान के समर्थक थे, और इन्होंने पाकिस्तानी प्रेमी बॉलीवुड कलाकारों और पाकिस्तान से इनके संबंधों की पूरी ग्रन्थि मानो ट्विटर पर सजा दीl
The so called patriots from Bollywood have lot to answer actually for the sins of their father, grandfather or great grandfathers.
We can start with Kaifi azmi, father of Shabana Azmi. He wrote poems celebrating the creation of Pakistan.#Naseer #ShabanaAzmi— Tattvam Asi ( तत् त्वं असि!) (@Brahamvakya) January 1, 2022
इसपर जावेद अख्तर बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने ट्वीट किया, “धर्मांध! तूने कैफ़ी आज़मी साहब की शान में गुस्ताखी की है, जो कट्टर देशभक्त और सेक्युलर थे। जब जंग जारी थी, तब वे प्रीतिश नंदी के साथ बांग्लादेश तक जाने को तैयार थे। पढ़ो पाक सेना के विरुद्ध बांग्लादेश के आजादी को समर्पित उनकी कविताओं। तुम्हारे खोखले दावों का कोई सबूत भी है?”
लेकिन Tatvam Asi तो मानो पूरी तरह तैयार बैठे थे। उन्होंने प्रमाण सहित ट्वीट किया, “1944 – अगली ईद पाकिस्तान में – कैफ़ी आज़मी द्वारा रचित l
Agli Eid Pakistan main -1944 Kaifi Azmi pic.twitter.com/34RnDEXApT
— Tattvam Asi ( तत् त्वं असि!) (@Brahamvakya) January 6, 2022
फिर आगे ये भी ट्वीट किया, “क्या आप ये कहने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने अगली ईद पाकिस्तान में रची ही नहीं? मैंने तो बांग्लादेश प्रकरण का उल्लेख भी नहीं किया! क्यों बात से पलट रहे हो मियां?”
Are you denying that he wrote the poem “Agli eid Pakistan main ..”? When did I say anything about Bangladesh? Why are you diverting?
— Tattvam Asi ( तत् त्वं असि!) (@Brahamvakya) January 6, 2022
लेकिन जैसे ही वह भारत से जुड़े, उन्होंने अपने तेवर ऐसे बदले, मानो उनसे धर्मपरायण, उनसे पंथनिरपेक्ष कोई न हो।
“राम ही हो, तुम्ही लक्ष्मण साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों”, “तूने मुझे बुलाया शेरावालिए” जैसे गीत इन्ही के कलम से निकले। सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण पर भी अपने ‘मिश्री’ जैसे शब्दों से इन्होंने प्रार्थना की कि फिर कोई ‘विध्वंस’ न हो, लेकिन इनकी पंक्तियाँ तो कुछ और ही संकेत दे रही थी –
2/n
'Secularism'??
Kaifi Azmi was father-in-law of #JavedAkhtar.
When Somnath temple was rebuilt by Sardar Patel, Kaifi Azmi wrote a poem threatening that there would be riots which bring the End Of World (क़यामत होगी) pic.twitter.com/TpHHoJw5sM
— दा लॉस्ट बॉय (@iM_lost_boy) January 7, 2022
जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, तब इन्ही कैफ़ी आज़मी ने कुछ ऐसी पंक्तियाँ भी रची थी,
“राम बनवास से जब लौट के घर में आए,
याद जंगल बहुत आया जो नगर में आए,
राक्षसें दीवानगी आँगन में जो देखा होगा,
6 दिसंबर को श्रीराम ने सोचा होगा,
जगमगाते थे जहां राम के कदमों के निशान,
प्यार की कहकशां लेती थी अंगड़ाई जहां,
मोड़ नफरत के उसी रहगुज़र में आए,
धर्म क्या उनका है, क्या जात है, ये जानता है कौन?”
कम शब्दों में उन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयास कि 6 दिसंबर को विवादित ढांचे का विध्वंस कर श्रीराम को उनके भक्तों ने दूसरा वनवास दिया, और अप्रत्यक्ष रूप से उन्होंने मुसलमानों को भड़काने में कोई असर नहीं छोड़ी, जिसका असर जल्द दिखा। पहले मुंबई में ताबड़तोड़ दंगे हुए, और फिर 1993 में ब्लैक फ्राइडे ब्लास्टस से पूरा देश शर्मसार हुआ। आज जाने-अनजाने जावेद अख्तर ने अपने ही ससुर के इस स्याह पक्ष को सबके समक्ष उजागर किया है, जिससे आधे से अधिक भारत अपरिचित था, क्योंकि धर्मनिरपेक्षता का बोझ तो केवल सनातनियों पर है, नहीं?