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क्या आपको भी ऐसे मैसेज आते हैं? हम बात कर रहे हैं MLM यानि Multi Level Marketing की। मल्टी लेवल मार्केटिंग को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि यह एक Marketing रणनीति है जिसमें एक कंपनी के बिक्री प्रतिनिधि अपनी बिक्री पर और अपनी टीम द्वारा की गई बिक्री पर कमीशन अर्जित करने के लिए अन्य सेल्सपर्सन की भर्ती करते है।
अगर नहीं समझ आया तो आसान करके बताते हैं। आप सभी ने AMWAY, Vestige बिजनेस मॉडल के बारे में सुना होगा, जो कुछ भी नहीं है, बल्कि मल्टी लेवल मार्केटिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है। देखा जाए तो यह एक वैध व्यापार का तरीका है और इसमें कोई धोखाधड़ी नहीं है।
व्यापार मॉडल इतना आसान लगता है कि व्यापार में शामिल होने के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करना है और फिर “व्यवसाय” में और लोगों को जोड़ते रहना है। आपको अपने अंतर्गत आने वाले लोगों की पूरी बिक्री से कुछ प्रतिशत मिलता रहता है।
AMWAY, MLM में तो सिल्वर, गोल्ड, डायमंड आदि जैसे विभिन्न रैंक हैं और आपकी रैंक जितनी अधिक होगी, आप उतना ही अधिक कमाएंगे।
मोटे तौर पर मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम आमतौर पर नेटवर्क बेस्ड मार्केटिंग स्कीम होती हैं जिसमें एक व्यक्ति को अपने अंतर्गत और लोगों को जोड़ना होता है। लोग पहले व्यवसाय में “शामिल” होने के लिए कुछ पैसे देते हैं और फिर वे अपने अंदर और लोगों को जोड़ते हैं। लगभग सभी योजनाओं में व्यक्ति को अपने तहत अधिक लोगों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
भारत में यह स्कीम वर्षों से चल रही है। खैर, जिस देश में लोग लक्ष्मी चिट फंड में आये दिन फंसते हैं, वहां यह तो फिर भी बढ़िया जाल है।
भारत में ये दो तरीकों से होता है। कोई कम्पनी आपको अपने से जोड़ेगी और फिर यह बोला जाएगा कि आप हमारे सामान खरीदिये और नहीं खरीदना चाहते हैं तो दूसरा ग्राहक पकड़कर लाइये। दूसरे तरीके में एक चेन बनाई जाती है। आपको ना सिर्फ जोड़ा जाएगा बल्कि आपको अपने नीचे और लोगों को जोड़ने के लिए कहा जाता है। आपके नीचे कोई और, उसके नीचे कोई और फिर ये श्रृंखला चलती रहती है।
पकड़े जाते हैं मध्यम वर्ग या मजबूर युवा-
अब यहां से कमीशन मिलना शुरू होता है और हर स्तर पर यह कमीशन पास होता रहता है। ऐसे लोग जो MLM को चलाते हैं, वह सिर्फ मजबूर युवाओं को पकड़ते हैं। उनकी मजबूरियों का फायदा उठाकर उन्हें सपने बेचते हैं। यह मान-मनौव्वल इतने तरीके से होता है कि आप स्कीम की समस्या नहीं समझ पाएंगे।
पहले तो वो विनम्रता से संपर्क करेंगे। आप उन्हें हमेशा महंगे-महंगे दिखने वाले कपड़ों के साथ अच्छे से सजे-धजे देखेंगे। उनके जूतों चमकते दिखेंगे और उनका थ्री पीस सूट एकदम बवाल लगेगा। यह मजबूर युवा के मन में एक यूटोपिया की छवि बनाता है, और उन्हें लगता है उनके पास भी यह सब होना चाहिए।
अवचेतन मन से आप उनके व्यक्तित्व की ओर आकर्षित होते हैं और उनके बारे में अधिक जानना चाहते हैं। बहुस्तरीय विपणक धोखेबाज हैं लेकिन वह मूर्ख नहीं हैं। वह अच्छे से जानते हैं कि आप किस चीज के लिए गिरेंगे और उसी के अनुसार योजना बनाएंगे।
ये मल्टी लेवल मार्केटिंग विशेषज्ञ आपसे आपके आस-पास की चाय की टपरी में नहीं मिलेंगे। आपको भव्य होटलों में उनके सेमिनार में भाग लेने के लिए बुलाया जाएगा। वहां आपको इन योजनाओं के बारे में उत्सुक लोगों की भीड़ मिल जाएगी। सभी लोग थ्री पीस सूट में दिखेंगे। उसके बाद सेमिनार में यह बताया जाएगा कि कैसे आप भी मर्सिडीज में घूम सकते हैं, जैसे और लोग घूम रहे हैं। इसके बाद आप इनके जाल में फंस जाते हैं लेकिन बात यह है कि जो लोग जल्दी लोग जोड़ लेते हैं, वे अधिक पैसा कमाते हैं और नीचे के लोग बहुत संघर्ष करते हैं। क्योंकि लोगों को जोड़ने की एक सीमा होती है।
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सरल गणित आपके सपनों को चकनाचूर कर देगा। मान लीजिए आप दो लोगों को शामिल होने के लिए राजी करते हैं। तब वे दो लोग चार अन्य लोगों को शामिल होने के लिए मना लेंगे। वे चार आठ को इसमें शामिल होने के लिए राजी करेंगे। एक संक्षिप्त अवधि के लिए, आपको निष्क्रिय आय प्राप्त होती रहेगी, जो कि मल्टी लेवल मार्केटिंग का ट्रेडमार्क वादा है। उसके बाद क्या? कितने दिन तक लोग जुड़ेंगे?
आज विश्व की जनसंख्या 7.9 बिलियन है। अपना कैलकुलेटर खोलें और 2 को दुगुना करिये 33 बार की गणना करें, आपका उत्तर 8589934592 होगा। सीधे शब्दों में कहें तो 33 चक्रों के बाद आपकी योजना में शामिल होने के लिए दुनिया में एक भी व्यक्ति नहीं बचेगा।
आप मल्टी लेवल मार्केटिंग में एक निश्चित बिंदु के बाद अधिक लोगों को नहीं जोड़ सकते हैं और नेटवर्क बड़ा होता है, तो यहां से परेशानी शुरू होती है।
नेटवर्क मार्केटिंग के केंद्र में बिक्री है। आप अपना समय दोस्तों, परिवार, और अजनबियों को समझाने में व्यतीत करेंगे कि उन्हें उत्पाद क्यों खरीदना चाहिए और आपकी इस लाइन में शामिल होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि जितना अधिक आप औसत व्यक्ति को इसके बारे में समझा सकते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि वे इसमें शामिल हों लेकिन इसके मूल में यह तथ्य है कि नेटवर्क विपणक आपकी परवाह नहीं करते हैं। वे आपकी सम्बन्धों की परवाह करते हैं।
अध्ययनों से पता चलता है कि 3% से कम नेटवर्क विपणक वास्तव में लाभ कमाते हैं बाकी घाटे में रहते हैं।
झेलना पड़ता है सामाजिक और आर्थिक बहिष्करण-
ऐसे योजनाओं या स्कीम में एक बार फंस जाने के बाद सबसे ज्यादा दिक्कत सामाजिक और आर्थिक रूप से होती है। ऐसे कई मामले हैं जहां लोग लाखों रुपये ऐसे स्कीम में फंसा देते हैं और फिर वो फायदे के लिए नहीं, अपना पैसा निकालने के लिए मेहनत करते हैं।
ऊपर से एक नैतिक अपराध का बोध भी होता है क्योंकि हर व्यक्ति जिसको आप इस स्कीम के तहत फँसाते है, आप जानते है कि उसका भी पैसा दांव पर गया है। लोगों ने चार लाख रुपये फंसाकर लगभग एक दशक काम किया है तब यह पैसा निकला है।
सामाजिक रूप से जिस अवहेलना का शिकार होना पड़ता है, वह सबसे बुरा होता है। आप स्कीम के दलाल बनकर रहते हैं और आपकी यही पहचान हर जगह घूमती रहती है। चूंकि मल्टी लेवल मार्केटिंग के चलते आपको अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को प्रोडक्ट बेचना पड़ता है, आप पहले तो शर्म महसूस करते हैं। उससे भी दुःखद यह है कि आप के फोन को कोई आपका नम्बर देखकर नहीं उठाता है। आप मित्र मंडली से किनारे हो जाते हैं क्योंकि उनको यह स्कीम चाहिए नहीं और बेचना आपकी मजबूरी है।