मुख्य बिंदु
- केरल के एक कोर्ट ने रोमन कैथोलिक बिशप फ्रेंको मुलक्कल को एक नन के साथ बलात्कार के आरोप से किया बरी
- कोट्टायम जिला अतिरिक्त सत्र अदालत के न्यायाधीश जी गोपाकुमार ने 105 दिनों की सुनवाई के बाद बीते बुधवार को सुनाया फैसला
- अभियोजन पक्ष ने कहा है कि वह फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में करेगा अपील
- बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर बलात्कार सहित IPC की 7 धाराओं के तहत लगाए गए थे आरोप
केरल के एक कोर्ट ने बीते शुक्रवार को रोमन कैथोलिक बिशप फ्रेंको मुलक्कल को एक नन के साथ बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया है। दरअसल, इस मामले में अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ सबूत पेश करने में विफल रहा, जिसके कारण कोट्टायम के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय ने बिशप को बरी कर दिया। फैसला आने के बाद अभियोजन पक्ष ने कहा है कि वह फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेगा। आपको बता दें कि कोट्टायम जिला अतिरिक्त सत्र अदालत के न्यायाधीश जी गोपाकुमार ने 105 दिनों की सुनवाई के बाद बीते बुधवार को यह फैसला सुनाया। फैसले के बाद बिशप फ्रेंको ने कहा, “भगवान की स्तुति करो (Praise the lord)।” इस बीच, जालंधर सूबा ने इस आदेश का स्वागत किया है।
नन के साथ किया था बलात्कार और यौन शोषण
फैसले के बाद, मामले की जांच का नेतृत्व कर रहे कोट्टायम के एसपी हरिशंकर ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों को सजा मिलने की उम्मीद कर रहा था। उन्होंने कहा, “हमने पहले ही जांच और अभियोजन दल की बैठक करने का फैसला किया है और हम अपील के लिए आगे बढ़ेंगे।” बता दें कि यह घटना तब सामने आई है जब नन ने जून 2018 में अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ बिशप द्वारा ब्लैकमेल करने की शिकायत पर पूछताछ करने आए पुलिस दल को घटना के बारे में बताया था। फिर उसने कोट्टायम जिले में एक औपचारिक शिकायत भी की थी। इस मामले को लेकर पुलिस के पास एक प्राथमिकी (FIR) 27 जून, 2018 को दर्ज की गई थी।
सीनियर नन ने केरल में वर्ष 2014 और 2016 के बीच 13 बार यौन शोषण करने के आरोप में पंजाब के जालंधर स्थित रोमन कैथोलिक सूबा के बिशप फ्रेंको मुलक्कल के खिलाफ कुराविलंगड पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। नन की शिकायत के अनुसार, बिशप ने मई 2014 में कोट्टायम जिले के कुराविलांगड के एक गेस्ट हाउस में कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया। नन एक संस्था में काम कर रही थी, जो पंजाब में बिशप के नेतृत्व में सूबा के अधीन काम करती है।
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बलात्कार सहित IPC की 7 धाराओं के तहत था आरोपी
नन ने यह भी आरोप लगाया कि कैथोलिक चर्च ने बिशप फ्रेंको मुलक्कल के खिलाफ शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। इससे पहले पुलिस ने 57 वर्षीय बिशप की शिकायत पर नन और उसके परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। News18 के छपे लेख के अनुसार पुलिस ने बताया कि “हमें दोनों शिकायतें मिली हैं। हमने दोनों मामलों में प्राथमिकी दर्ज की है। नन के करीबी सूत्रों के मुताबिक, उसने पहले इस घटना की शिकायत केरल स्थित चर्च के तत्कालीन प्रमुख कार्डिनल मार जॉर्ज एलेनचेरी से की थी। हालांकि, चर्च द्वारा कथित तौर पर उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करने के बाद उसे पुलिस में शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा। वहीं, बिशप ने अपनी शिकायत में कहा कि आदेशों का पालन करने से इनकार करते हुए, वह निराधार आरोप लगा रही थी।
बिशप ने आरोप लगाया था कि नन के परिवार के सदस्यों ने भी उसे धमकी दी थी कि अगर उसने अपना आदेश वापस नहीं लिया तो वह उसे बलात्कार के मामले में फंसा देंगे। बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर बलात्कार सहित IPC की 7 धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे और वर्तमान में वह जमानत पर बाहर हैं। बता दें कि अभियोजन पक्ष ने मामले में 39 गवाहों से पूछताछ किया था। उन्होंने इस मामले में प्राथमिकी रद्द करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन याचिका खारिज कर दी गई थी। बिशप फ्रेंको मुलक्कल के खिलाफ चार्जशीट में 83 गवाहों को नामजद किया गया, जिनमें सिरो-मालाबार कैथोलिक चर्च के कार्डिनल, मार जॉर्ज एलेनचेरी, तीन बिशप, 11 पुजारी और 22 नन शामिल हैं।