कर्नाटका के उड्डपी से शुरू हुआ हिजाब विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। विद्यालय तक सीमित रहने वाला यह विवाद अब सांप्रदायिक तनाव में बदल गया है। कर्नाटका में हो रही धार्मिक नारेबाजी और पथराव इसके आंखो देखी साक्ष्य हैं। निःसंदेह व्यक्तिगत पसंद के अनुसार कुछ भी पहनना मौलिक अधिकार है। लेकिन क्या हिजाब को लेकर सांप्रदायिक हिंसा को उचित ठहराया जा सकता है? दरअसल, धार्मिक गलियारे से हटकर मानव निर्मित रीति-रिवाजों और असुविधा सहित कई अन्य कारण हैं, जो हिजाब को मुस्लिम महिलाओं के लिए एक अनावश्यक प्रोटोकॉल बनाते हैं।
इसी क्रम में हमने 13 कारणों को समझाने की कोशिश की है कि हिजाब अनावश्यक क्यों है? दिलचस्प बात यह है कि यहां सूचीबद्ध कारणों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है!
- असुविधा: हिजाब अनावश्यक होने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह शरीर को ढकता है, जिससे गर्मियों के दौरान हिजाब पहनी महिला को पसीना आता है। गर्मियों में जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो एक ऐसा कपड़ा जो आपको सिर से पैर तक ढक दे, वह नुकसानदेह और असुविधाजनक हो सकता है।
- दृष्टिबाधक: हिजाब आपके चेहरे को इस हद तक ढक लेता है कि यह दृष्टि (देखना) और परिधीय दृष्टि (दाएं-बाएं देखना) को भी अवरुद्ध कर देता है। कम से कम, ऐसी दृष्टि से पूरे दिन कार्य करना कैसे संभव है?
- सौन्दर्य और व्यक्तित्व बाधक: बाल एक महिला को और भी खूबसूरत बनाते हैं। किसी को यह समझने के लिए किसी स्नातक की डिग्री की आवश्यकता नहीं है। हिजाब पहनने से एक महिला ना सिर्फ अपने व्यक्तित्व बल्कि के बालों के स्वास्थ्य से समझौता कर रही होती हैं। सिर को लंबे समय तक ढकने से बालों की समस्या होना लाजमी है और इससे आपकी उपस्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- तकनीक के उपयोग में बाधक: हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं, जो अपने तकनीकी क्षेत्र का नाटकीय रूप से विकास कर रहा है। जहां ज्यादातर मोबाइल यूजर्स अपने फोन को अनलॉक करने के लिए फेस डिटेक्शन टूल का उपयोग करते हैं, वहीं हिजाब पहनने वाली महिलाएं अभी भी अल्फाबेटिकल और न्यूमेरिक पासवर्ड का सहारा ले रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि फोन के फेस डिटेक्शन में हिजाब के पीछे के चेहरों को पहचानने में मुश्किल होती है।
- शारीरिक असुविधा: यदि आप यह जानने के लिए शोध करेंगे कि कैसे हिजाब शारीरिक असुविधाओं का कारण बन सकता है, तो आप निश्चित रूप से त्वचा पर होने वाले बीमारियों से अवगत होंगे। हिजाब के लंबे समय तक उपयोग से मुंहासे, दाने, त्वचा का मुरझाना और अव्यवस्थित मनः स्थिति भी हो सकती है। इस सन्दर्भ में आप त्वचा विशेषज्ञ से भी मिल सकते हैं, जिनका यही मानना है कि लम्बे समय तक हिजाब का उपयोग त्वचा को हानि पंहुचा सकता है।
- पहचान: मुझे आश्चर्य है कि हिजाब पहनने वाली महिला को उसके दोस्त और सहकर्मी कैसे पहचानते हैं? उन लोगों को आपका चेहरा याद करने में मुश्किल होती है।
- सुंदरता: यह कारण थोड़ा प्यारा लग सकता है लेकिन महिलाओं को एक्सेसरीज़ पहनने और सुंदर दिखने का अधिकार है। लेकिन, कल्पना कीजिए कि एक महिला हिजाब के नीचे झुमके पहने हुए है। चाहे वे कितनी भी खूबसूरत क्यों न हों, वह उन्हें प्रदर्शित नहीं कर पाएंगी।
- खाने में असुविधा: हिजाब पहनकर खाना खाने के बारे में क्या? यह संभवत: हिजाब में फंस सकता है और इसे पहनकर खाना खाना बहुत कठिन है। इससे भी ज्यादा दुख इस बात का होगा कि महिला अपने भोजन का आनंद नहीं ले पाएगी।
- प्रकृति विरोधी: जब खूबसूरत और आनंददायी हवा चल रही हो उन दिनों में हिजाब पहनने वालों की दुर्दशा की कल्पना कीजिए। भीड़-भाड़ वाली सड़कों को पार करते समय या भीड़भाड़ वाले इलाके में इसे सुव्यवस्थित रखना उनके लिए बहुत कठिन होगा।
- व्यक्तिगत विफलता: हर व्यक्ति, चाहे वह महिला हो या पुरुष, उसमें एक बच्चा होता है। पूरी तरह से हिजाब से ढकी एक महिला अपने धर्म की एक ब्रांड एंबेसडर के समान है। अगर महिला शरारती है और कभी-कभी मस्ती के लिए चीजें चुरा लेती है, तो वह हिजाब के कारण लोगों को आपके धर्म पर कटाक्ष करने के लिए प्रेरित कर सकती है। हालांकि, यह कल्पना करना कठिन है कि अगर उनकी व्यक्तिगत विफलता के लिए धर्म की आलोचना की जाती है, तो उन्हें कैसा लगेगा?
- सेल्फी लेने में कठिनाई: हिजाब पहनते समय सेल्फी लेना असंभव है क्योंकि सेल्फी में आपके खूबसूरत चेहरे पूरी तरह से प्रदर्शित नहीं हो सकते हैं।
- मौसम विरोधी: यह सिर्फ गर्मी और हवा के दिन नहीं हैं ,जो हिजाब पहनने वालों के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। बारिश के दिन भी उनके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। जब कोई बरसात के दिन में भीग जाता है, तो उसे भीगते हुए चलने में कठिनाई होती है।
- परिधान (वस्त्र) संबंधी कठिनाई: महिलाएं चाहे किसी भी धर्म की हों, वो विभिन्न अवसरों पर अलग-अलग तरह के कपड़े पहनती हैं, लेकिन हिजाब पहनने वाली महीला को अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग कपड़े पहनने का मौका नहीं मिल सकता है। यह बहुत दुःखद है!