इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) भारत के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को मंच प्रदान करने के लिए बनाया गया था। पर, क्या ये आज भी उसी स्वरूप में है या मात्र BCCI को आर्थिक संसाधन प्रदान करने का माध्यम बन कर रह गया है। नियम के अनुसार हर टीम में 4 विदेशी खिलाड़ियों का खेलना अनिवार्य है। बाकी बचे 7 स्थानों में भारत के राष्ट्रीय और दिग्गज खिलाड़ियों को जगह दी जाती है। इससे BCCI दुनिया की सबसे अमीर खेल संस्था तो बन गयी है, पर भारत के क्रिकेट भविष्य का क्या? क्या इसकी प्रगति का अगला चरण नई प्रतिभाओं के अवसर योग्य बनाना नहीं होना चाहिए?
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विश्व कप से पहले भारतीय टीम का व्यस्त कार्यक्रम
रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम को पहले से ही व्यस्त कार्यक्रम में समय निकालकर तीन और टूर्नामेंट में भाग लेना है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, BCCI चाहता है कि भारतीय खिलाड़ी और अधिक राजस्व उत्पन्न करने में मदद बोर्ड की मदद करें। अगर बीसीसीआई प्रस्तावित दौरों को हरी झंडी दे देता है, तो भारतीय टीम के पास 16 अक्टूबर से शुरू हो रहे टी-20 विश्व कप से पहले सांस लेने की फुरसत नहीं होगी। मार्च में श्रीलंका के साथ सीरीज खत्म होने के बाद भारतीय खिलाड़ी IPL की तैयारियों में व्यस्त हो जाएंगे। मई के पहले सप्ताह तक उनकी आईपीएल फ्रेंचाइजी उनसे आईपीएल खेलने को कहेगी। भारतीय टीम आईपीएल के तुरंत बाद 19 जून तक दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज खेलेगी। प्रोटियाज सीरीज के बाद टीम जुलाई में इंग्लैंड का दौरा करेगी। उम्मीद की जा रही है कि उसके बाद भारतीय टीम बिना आराम किए विभिन्न टूर्नामेंटों के लिए वेस्टइंडीज, जिम्बाब्वे और यूएई की यात्रा करेगी।
अंडर-19 खिलाड़ी आईपीएल के लिए योग्य नहीं?
ऐसा नहीं है कि भारत के पास सक्षम इलेवन भेजने की बेंच स्ट्रेंथ नहीं है। सवाल यह है कि IPL जैसे थका देने वाले लीग में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है, जबकि देश के युवा खिलाड़ी पर्याप्त अवसर के लिए तरस रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि विश्व चैंपियन भारतीय अंडर-19 टीम के 8 खिलाड़ी आईपीएल नीलामी 2022 के लिए योग्य नहीं माने गए, जबकि यही भारत के भविष्य बनेंगे। अंडर-19 उप-कप्तान दिनेश बाना, बल्लेबाज शेख रशीद, बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रवि कुमार, ऑलराउंडर निशांत सिंधु, सिद्धार्थ यादव, सलामी बल्लेबाज अंगकृष रघुवंशी, मानव पारेख और गर्व सांगवान ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिभाएं हैं, जिन्हें इस लीग में खेलने का मौका नहीं मिला। BCCI द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार, जिस खिलाड़ी की उम्र 19 से कम है, उसे आईपीएल खेलने के पात्र होने के लिए घरेलू क्रिकेट में खेलने की जरूरत है। ऐसा नियम इसलिए बनाया गया, ताकि बड़े खिलाड़ियों के ग्लैमर का दोहन किया जा सके और इस चक्कर में हमने आनेवाली क्रिकेट पीढ़ी के लिए आईपीएल में जगह ही नहीं छोड़ी।
एक ओर जहां आईपीएल युवाओं को हतोत्साहित कर रहा है और अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को थका रहा है, वहीं अन्य सभी बोर्ड अपने-अपने लीग में अपने युवाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। अन्य टूर्नामेंट जैसे ऑस्ट्रेलिया के बिग बैश लीग, इंग्लिश नेटवेस्ट टी-20, दक्षिण अफ्रीका के बेटवे टी-20 लीग में आप पाएंगे कि स्थानीय युवा टीम में प्रमुख रूप से खेलते हैं। ऐसे लीग में, उनकी राष्ट्रीय टीमों के प्रमुख खिलाड़ी आराम करके इन युवाओं के लिए रास्ता बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, वैसे खिलाड़ी जिन्हें ऐसे टूर्नामेंट में आराम दे दिया जाता है, वे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए पूरी तरह से फिट होते हैं। BCCI भी ऐसा ही कर सकता है। पर, पैसे के चक्कर में वो ऐसे विचारों को ताक पर रख देता है।
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टीम को चाहिए आराम
ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय क्रिकेट टीम काफी हद तक ओवरवर्क कर रही है। लगातार हो रहे टूर्नामेंट, एक दौरे के बाद तुरंत दूसरे दौरे उनकी खेल क्षमता को बर्बाद कर रहे हैं। प्लेइंग इलेवन चुनने के लिए युवाओं का एक विशाल पूल उपलब्ध होने के बावजूद, खिलाड़ी नियमित रूप से चोटिल हो रहे हैं। चीन से प्रेरित कोविड -19 के मद्देनजर बायो-बबल की थकान ने इस परेशानी को और बढ़ा दिया है। इतनी परेशानी के मद्देनजर, आईपीएल के मौजूदा ढांचे में सुधार करने का समय आ गया है, ताकि इसे युवाओं के लिए और अधिक अनुकूल बनाया जा सके।