कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर कर्नाटक में छात्राओं द्वारा विरोध अब और अधिक कॉलेजों में फैल गया है। हिजाब पहने लगभग 40 महिला छात्र कर्नाटक के उडुपी जिले के एक तटीय शहर कुंडापुर में भंडारकर आर्ट्स एंड साइंस डिग्री कॉलेज के द्वार पर खड़ी हो गईं, क्योंकि कर्मचारियों ने उन्हें तब तक अंदर जाने से मना कर दिया जब तक कि वे अपने सिर से हिजाब उतार नहीं लेती। 18 से 20 साल के बीच के सभी छात्रों ने यह जानने की मांग की कि प्रशासन ने हिजाब पर प्रतिबंध क्यों लगाया जबकि नियम इसकी अनुमति देते हैं।
वहीं एक दुसरे मामले पर भद्रावती में गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज के प्रिंसिपल MG उमाशंकर ने कहा, “यूनिफॉर्म की बात करें तो कॉलेज में हर कोई समान है, इसमें कोई भेदभाव नहीं है। हमने छात्रों और अभिभावकों को भी यही बताया है। वे इसके लिए सहमत हो गए हैं।” कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के भद्रावती में स्थित गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज, कर्नाटक के अन्य कॉलेजों में से एक था, जहां बुधवार को हिजाब को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। हिजाब के विरोध में कई छात्रों ने भगवा गमछा पहन कर विरोध किया।
आपको बता दें कि पिछले महीने से कर्नाटक में कम से कम चार कॉलेजों में विरोध प्रदर्शन किया गया है। पहली घटना 1 जनवरी, 2022 को तटीय शहर उडुपी में हुई थी। दरअसल, इस मामले में लड़कियों ने कहा था कि उन्हें 31 दिसंबर से कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी गई है। वहीं, बेंगलुरु में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने पूरे प्रकरण को राजनीतिक करार दिया। इस बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “स्कूल और कॉलेज शैक्षणिक संस्थान हैं, धर्म का पालन करने के लिए जगह नहीं हैं।” उन्होंने छात्रों से स्कूल और कॉलेज के वर्दी के संबंध में नियमों का पालन करने के लिए कहा, जिनका पालन 1985 से किया जा रहा है।
उन्होंने कहा था , “संस्था में सौ से अधिक मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं, जिन्हें कोई समस्या नहीं है। केवल कुछ ही छात्र विरोध करने का विकल्प चुन रहे हैं। स्कूलों और कॉलेजों को धार्मिक केंद्रों में नहीं बदलना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि “कक्षा में हिजाब पहनना अनुशासनहीनता होगी क्योंकि अन्य छात्र इसी तरह की रियायतों की अपेक्षा कर सकते हैं।”
बुधवार 2 फरवरी को शिवमोग्गा के भद्रावती में सर एमवी गवर्नमेंट कॉलेज के छात्रों ने भी कक्षा में हिजाब पहनने वाली कुछ छात्राओं का विरोध किया था। इस मामले में प्रबंधन ने राज्य के नए दिशानिर्देशों के तहत छात्राओं को हिजाब पहनकर कॉलेज नहीं आने को कहा। छात्राओं के मना करने पर कई हिंदू लड़के और लड़कियां भगवा गमछा पहनकर कॉलेज आ गए। हालांकि, प्रिंसिपल ने हिंदू संगठनों को ‘भगवा शॉल अभियान’ लागू करने से रोकने के लिए इस मामले में हस्तक्षेप किया।
वहीं इस मुद्दे पर बजरंग दल के जिला सचिव सुरेंद्र कोटेश्वर ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “पुलिस हिंदू छात्रों को कॉलेजों में प्रवेश करने से रोक रही है यदि उन्होंने भगवा शॉल पहन रखा है। इसी तरह, पुलिस विभाग को उन मुस्लिम छात्रों को अनुमति नहीं देनी चाहिए जो हिजाब पहने हुए हैं और कॉलेजों में प्रवेश कर रहे हैं।”
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कोटेश्वर ने कहा कि यदि कॉलेज प्रशासन ने हिजाब पहने छात्रों को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी, तो वे सभी हिंदू छात्रों को परिसर के अंदर भगवा शॉल पहनाएंगे। शुक्रवार को हुई घटनाओं के जवाब में, कॉलेज की एक छात्रा सायरा बानो ने कहा, “हिजाब हमारे जीवन का हिस्सा है। मेरे परिवार के सदस्यों ने हिजाब पहन कर अपने कॉलेजों में पढ़ चुके हैं।” उसने आगे पूछा कि अचानक यह नियम क्यों लागू कर दिया गया? “अगर हम हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश करते हैं तो इससे दूसरों को क्या नुकसान होता है? जब हम यह सवाल पूछते हैं तो वे इस सवाल का जवाब नहीं देते। वे हमें सरकार से बात करने का निर्देश देते हैं। क्या हमारे लिए सरकार से बात करना संभव है?” सायरा बानो का आरोप है कि छात्र संस्था प्रमुख से बात नहीं कर पा रहे हैं। उसने आगे कहा कि, “हमारे पास उनका संपर्क विवरण नहीं है और कोई भी हमारा समर्थन नहीं कर रहा है।”
वहीं इस मामले पर संज्ञान लेते हुए कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि बच्चों को स्कूल में “न तो हिजाब पहनना चाहिए और न ही भगवा शॉल।” ज्ञानेंद्र ने कहा, “स्कूल वह जगह है जहां सभी धर्मों के बच्चों को एक साथ सीखना चाहिए और इस भावना को आत्मसात करना चाहिए कि हम अलग नहीं हैं और सभी भारत माता के बच्चे हैं।”
वहीं द्रविड़ मुनेत्र कड़गन (DMK) के सांसद सेंथिल कुमार ने धर्मपुरी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए, संसद में कर्नाटक हिजाब मामले को उठाया। उन्होंने पुछा कि हिजाब पहनने वाले छात्रों को कक्षाओं में क्यों नहीं आने दिया गया? उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है। बहराल, मामला इतनी जल्दी नहीं थमता नज़र आ रहा क्योंकि हिजाब के विरोध में अब भगवा गमछा उतर गया है।
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