ममता बनर्जी अपने काम करने के ढ़ंग से एक सत्तावादी और तानाशाही नेत्री हैं। एक सत्तावादी नेता पूरी शक्ति के साथ शासन करता है। ऐसे तंत्र में बाकी प्रतिभागी के भागीदारी से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। एक सत्तावादी नेतृत्व की प्रकृति नीतियों और प्रक्रियाओं को निर्धारित करने के साथ यह तय करना होता है कि कौन से लक्ष्य हासिल किए जाने हैं और कौन से नहीं? सत्तावादी नेता अधीनस्थों द्वारा किसी भी सार्थक भागीदारी के बिना सभी गतिविधियों को निर्देशित और नियंत्रित करता है। पश्चिम बंगाल में इसी सत्तावादी और तानाशाही नेतृत्व का भोगी है। दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आये दिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह कहती हैं। उन्होंने भाजपा के कार्यकाल को कई बार तानाशाही शासन भी कहा है। उन्होंने इसे देश में ‘सुपर तानाशाही’ कहा है। वह कहती हैं कि विपक्षी दल एक मंच पर आ गए हैं और 2024 में बदलाव होगा।
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स्वयं तानाशाही नेतृत्व का परिचय देती ममता बनर्जी
हाल ही में, ममता बनर्जी ने अपनी तानाशाही नेतृत्व का परिचय देते हए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर राज्यपाल को ब्लॉक कर दिया। इसी साल 2022 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने ट्विटर पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को ‘ब्लॉक’ कर दिया है। CM ममता बनर्जी ने एक बयान में कहा, “हर सुबह और शाम वह [गवर्नर] हम पर आरोप लगाते और हमला करते हुए ट्वीट करते हैं। जैसे कि वह एकमात्र सर्वोच्च हैं और हम बंधुआ मजदूर हैं। मैं उन्हें स्वीकार नहीं करती हूं। मैंने आज उन्हें ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया है।” मुख्यमंत्री ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर ‘फोन टैप करने’ और राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (DGP) को ‘धमकी देने’ का भी आरोप लगाया।
असल में इस ब्लॉकिंग का कारण कुछ और ही था। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी के इस व्यव्हार पर कहा, “राज्य “लोकतंत्र के लिए एक गैस चैंबर” बन गया है।” वहीं, अपने जवाब में बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बीते सोमवार को ट्विटर पर सीएम ममता बनर्जी को भेजे गए एक व्हाट्सएप संदेश की सामग्री को साझा किया। राज्यपाल के अनुसार, उन्होंने मुख्यमंत्री को जो संदेश भेजा, उसमें लिखा था, “संवैधानिक पदाधिकारियों के बीच संवाद और सद्भाव लोकतंत्र का सार और भावना है और संविधान का जनादेश है। यह आपसी सम्मान और सम्मान के साथ खिल सकता है और आगे बढ़ सकता है लेकिन आलोचना से दिक्कत तानाशाही को होती है, जो आज ममता बनर्जी को है।”
PM मोदी को बताया था तानाशाह
ममता बनर्जी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की आलोचना करते हुए कहा, “देश में सुपर तानाशाही चल रही है। अगर कोई कुछ कहता है, तो वे (केंद्र) ED, CBI या IT को उनके घरों में भेज देंगे। सभी इससे डरते हैं।” अब ये बात कितनी सच है वह आपके विवेक पर छोड़ देते हैं। हमने पहले पैराग्राफ में ही तानाशाही व्यवस्था को समझा दिया है। अब बंगाल में बाढ़ के समय की कहानी क्या कहती है? सुनिए! पिछले साल बंगाल में चक्रवात यास के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कलाईकुंडा में मिलने वाले थे। इस मीटिंग में CM ममता बनर्जी 30 मिनट देरी से पहुंचीं और उन्होंने पीएम मोदी को बैठक में अपना प्रस्ताव सौंपा और इसके तुरंत बाद चली गईं।
चक्रवात समीक्षा बैठक में अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा बंगाल के राज्यपाल जगदीश धनखड़ और शुभेंदु अधिकारी भी शामिल होने वाले थे। हालांकि, ममता बनर्जी ने सिर्फ पीएम मोदी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने बचाव में कहा कि उन्हें समय पर बैठक की जानकारी नहीं दी गई। वहीं, ममता बनर्जी PMO के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी को बैठक में आमंत्रित करने के फैसले से नाराज थीं। उस समय शुभेंदु अधिकारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चक्रवात समीक्षा बैठक को ‘छोड़ने’ के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर बरसे थे। उन्होंने कहा, “ममता दीदी ने पीएम मोदी के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, वह उनके तानाशाही स्वभाव और संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है। पश्चिम बंगाल की बेहतरी के लिए पीएम के साथ काम करने की बजाय वह ओछी राजनीति कर रही हैं। उनका बैठक में शामिल न होना घृणित है।”
ममता बनर्जी ने कई बार दिखाया है तानाशाही नेतृत्व
बता दें कि इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर पश्चिम बंगाल राज्य नेताजी पर एक झांकी प्रदर्शित करने वाला था, जिसमें भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में राज्य के अन्य प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों को भी शामिल किया जाना था किंतु झांकी तय तिथि के बाद भेजी गई थी, इसलिए उसे नकार दिया गया। वहीं, मानसिक रूप से फासीवादी और तानाशाही ममता बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया है कि पश्चिम बंगाल में जल्द ही एक अलग बंगाल योजना आयोग बनने जा रहा है।उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय योजना आयोग पर नेताजी के विचारों से प्रेरणा लेते हुए, एक बंगाल योजना आयोग की स्थापना की जाएगी, जो राज्य की योजना संबंधी पहलों में मदद करेगा।”
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इतना ही नहीं अपितु बंगाल चुनाव के बाद हिंसा में ममता बनर्जी की पार्टी TMC पर कई आरोप भी लगे। ऐसे में, कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाही बताने वाली ममता बनर्जी स्वयं तानाशाही मानसिकता से ग्रसित हैं, जिसका परिणाम आप उनके काम करने के तरीके में ही देख सकते हैं!