नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चोकसी को भूल जाइए !!! इस बैंक घोटाले के आगे ये सभी भगोड़े छोटे प्रतीत होंगे। दरअसल, खबर है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले का पर्दाफाश किया है। भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की शिपयार्ड फर्म में से एक ABG Shipyard Limited (एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड) पर 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज हुई और इसके निदेशकों ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। यह फर्म जहाज निर्माण और मरम्मत का काम करती है।
ABGSL पर SBI ने दर्ज कराई प्राथमिकी
प्राथमिकी के अनुसार फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट (FAR) से पता चला है कि अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक, आरोपियों ने एक-दूसरे के साथ मिलीभगत कर धन की हेरा-फेरी और आपराधिक उल्लंघन सहित अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया। बैंक को गलत सूचना देकर और धोखे में रखकर लोन की राशि प्राप्त की गयी। ऋषि अग्रवाल इस समूह के promoter हैं। ऋषि अग्रवाल भारतीय जहाज निर्माण उद्योग में प्रमुख खिलाड़ी रहे हैं। ABG Shipyard Limited के पास सूरत शिपयार्ड में 18,000 डेड वेट टनेज और DWT में 1,20,000 डेड वेट टनेज तक जहाज बनाने की क्षमता है।
ABGSL ने भारत और विदेशी कंपनियों के लिए पिछले 16 वर्षों में 165 से अधिक जहाजों का निर्माण किया है, जिसमें न्यूज प्रिंट कैरियर्स, सेल्फ-डिस्चार्जिंग और लोडिंग बल्क सीमेंट कैरियर, फ्लोटिंग क्रेन, इंटरसेप्टर बोट, डायनेमिक पोजिशनिंग डाइविंग सपोर्ट वेसल, पुशर टग और फ्लोटिला जैसे विशेष जहाज शामिल हैं।
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ABGSL के विफलता के कारण
ABGSL ने वर्ष 2011 में भारतीय नौसेना से जहाज निर्माण के लिए अनुबंध प्राप्त किया था। हालांकि, फ़र्म के आर्थिक अक्षमता की वजह से अनुबंध को बाद में समाप्त कर दिया गया। प्राथमिकी में यह भी उल्लेख किया गया है कि वस्तुओं की मांग तथा कीमतों में गिरावट और उसके बाद कार्गो मांग में गिरावट ने शिपिंग उद्योग को प्रभावित किया है। गौरतलब है कि कुछ जहाजों के अनुबंधों को रद्द करने के परिणामस्वरूप इन्वेंट्री का ढ़ेर लग गया। जिसके परिणामस्वरूप कार्यशील पूंजी की कमी और ब्याज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे वित्तीय समस्या बढ़ गई।
वाणिज्यिक जहाजों की भी कोई मांग नहीं रही, क्योंकि उद्योग वर्ष 2015 से ही मंदी के दौर से गुजर रहा था। इसके अलावा, वर्ष 2015 के बाद से कोई नया रक्षा टेंडर भी नहीं जारी किया गया। कंपनी सीडीआर (CDR) में परिकल्पित अर्जन करने में असफल रही। अतः नियत तारीख पर ब्याज और किश्तों का भुगतान नहीं कर पाई। जिसके बाद कंपनी को अहमदाबाद पीठ के नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के पास भेजा गया, जिसने ABGSL के आधिकारिक परिसमापक को संपत्ति की निजी बिक्री करने की अनुमति दी थी।
किसका कितना उधार
बताते चलें कि एबीजी शिपयार्ड पर SBI का 2,925 करोड़ रुपये, ICICI बैंक का 7,089 करोड़ रुपये, IDBI बैंक का 3,634 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,614 करोड़ रुपये, PNB का 1,244 करोड़ रुपये और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) का 1,228 करोड़ रुपये बकाया है। सीबीआई आरोपी से जुड़े परिसरों की तलाशी ले रही है। यह हमारे बैंकिंग व्यवस्था के जागरूकता का ही परिणाम है, जो इतनी बड़ी धोखाधड़ी पकड़ी गयी। कोई देश छोड़कर नहीं भागा है। अब बस जरूरत है तो इस न्यायिक प्रक्रिया से इस कर्ज के वसूली की!
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