भारत ने हाल ही में अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरों का हवाला देते हुए 54 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। दिलचस्प बात यह है कि इस प्रतिबंध ने सिंगापुर की एक कंपनी के शेयरों में भी आग लगा दी। यह पहली बार था जब भारत के बैन का दंश झेलने में बीजिंग अकेला नहीं था, सिंगापुर ने भी इसका झटका महसूस किया था। सिंगापुर के टेक दिग्गज सी-ग्रुप को एक ही दिन में 16 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। इसे लेकर सिंगापुर सरकार ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया था, जिसे लेकर उन्हें त्वरित जवाब भी मिला, लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सिंगापुर की अक्ल ठिकाने आ गई है। सिंगापुर भारत सरकार के सामने अपने प्रतिबंधित ऐप को रिस्टोर करने के लिए हाथ फैलाता नजर आ रहा है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, नई दिल्ली ने चीनी अनुप्रयोगों पर कार्रवाई में “फ्री फायर” पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। चीनी निवेश के साथ पोषित यह एक सिंगापुर के सी-ग्रुप का ऐप है। ‘फ्री फायर’ पर प्रतिबंध ने भारत की चीनी-ऐप-प्रतिबंध नीति में एक आमूलचूल परिवर्तन को चिह्नित किया। यह पहली बार था, जब भारत ने भारी चीनी निवेश पर पल रही गैर-चीन कंपनी के ऐप को प्रतिबंधित किया। रायटर्स के मुताबिक सिंगापुर ने भारत द्वारा प्रौद्योगिकी समूह Sea के स्वामित्व वाले लोकप्रिय गेमिंग ऐप फ्री फायर पर प्रतिबंध लगाने के बारे में चिंता जताई है। प्रतिबंध के बाद, न्यूयॉर्क में सूचीबद्ध दक्षिण पूर्व एशियाई फर्म का बाजार मूल्य एक ही दिन में $16 बिलियन (लगभग 1,21,210 करोड़ रुपये) गिर गया था, ऐसे में निवेशकों को इस बात की चिंता है कि भारत इसे सी-ग्रुप के ई-कॉमर्स ऐप, Shopee तक बढ़ा सकता है, जिसे हाल ही में देश में लॉन्च किया गया है।
खबरों के मुताबिक, सिंगापुर की तरफ से भारत सरकार से पूछा गया है कि आखिर ऐप को चीनी ऐप्स बैन कैटेगरी में क्यों शामिल किया गया, जबकि Free Fire ऐप का कोई चीनी कनेक्शन नहीं है। इसका हेडक्वर्टर सिंगापुर में है। ऐप बैन पर सिंगापुर ने भारत सरकार के समक्ष फ्री फायर पर प्रतिबंध लगाने पर चिंता जताई है। बता दें कि भारत ने हाल ही में फ्री फायर समेत 54 ऐप्स को बैन किया है। इन ऐप्स पर आरोप है कि वो चीन में सर्वर पर यूजर्स डेटा भेजते थे।
Free Fire गेम्स की ऑनर टेक्नोलॉजी ग्रुप सी लिमिटेड (Sea Ltd) है। Sea Ltd की तरफ से भारतीय टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री से इस मामले में जवाब मांगा गया है। साथ ही पत्र लिखकर बताया गया है कि Free Fire की मूल कंपनी सिंगापुर बेस्ड है। यह फर्म चीन में डेटा स्टोरेज नहीं करती है। कंपनी की तरफ से गूगल से भी पूछा गया है कि आखिर उसकी तरफ से ऐप को गूगल प्ले स्टोर से क्यों हटाया गया है। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई जवाब नहीं आया है। कंपनी ने दलील दी है कि हम किसी भी भारतीय यूजर्स के डेटा को चीन में स्टोर या फिर ट्रांसफर नहीं करते हैं। कंपनी ने कहा कि वो पूरी तरह से सिंगापुर बेस्ड है और भारतीय कानून का पालन करती है।
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अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे!
ध्यान देने वाली बात है कि सी की स्थापना वर्ष 2009 में सिंगापुर में गेमिंग प्रकाशक गरेना के रूप में हुई थी और इसके संस्थापक चीनी मूल के सिंगापुर के नागरिक हैं। गेम का प्रीमियम संस्करण, फ्री फायर मैक्स, भारत में सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला मोबाइल गेम है और अभी भी Google के इंडिया प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। भारतीय प्रतिबंध ने SEA समूह के प्रबंधन को आश्चर्यचकित कर दिया था। sea का सीधे तौर पर कोई चीनी कनेक्शन नहीं है, लेकिन नई दिल्ली ने ऐप को काली सूची में डाल दिया है, क्योंकि कंपनी में हिस्सेदारी का एक बड़ा हिस्सा चीनी निवेशकों के पास है।
आपको बता दें कि भारत के प्रतिबंध को लेकर सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग भी संसद में बिलबिलाते दिखे थे। उन्होंने एक बहस में मोदी सरकार को नीचा दिखाने का प्रयास करते हुए कहा था कि शहर-राज्य में लोकतंत्र को कैसे काम करना चाहिए। लूंग ने बहस के दौरान भारत के पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरु को भी याद किया था। जिसके बाद भारत की ओर से उन्हें करारा जवाब भी दिया गया था। अब जब भारत ने सी-ग्रुप के ऐप को बैन कर दिया है, उसके बाद अब बिलबिलाने से इतर सिंगापुर भारत सरकार के सामने भीख मांगने लगा है और भारत सरकार से गिड़गिड़ाते हुए बैन किए गए ऐप को रिस्टोर करने की मांग उठाई है। लेकिन हालिया प्रकरण से यह तो स्पष्ट हो गया है कि भारत सिंगापुर को किसी भी कीमत पर भाव देने के मूड में नहीं है। सिंगापुर को यह पता होना चाहिए कि भारत मौजूदा समय में दुनिया की सबसे बड़े उद्योग बाजारों में से एक है और भारत से पंगा लेकर कोई भी देश अपनी मिट्टी पलीद नहीं करवाना चाहेगा।
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