मीठा मीठा गप-गप, कड़वा कड़वा थू-थू! यह कथन सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के परिप्रेक्ष्य में एकदम सटीक बैठता है। सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने संसद में एक बहस के दौरान शहर-राज्य में लोकतंत्र को कैसे काम करना चाहिए, इस पर बहस करते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू काे याद किया। यूं अचानक ली सीन लूंग को नेहरू के शासन वाले भारत की याद ऐसे ही नहीं आ गई, इसके पीछे बहुत बड़ा दर्द है, जो भारत के प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सिंगापुर को दिया है।
दरअसल, बीते मंगलवार को संसद में वर्कर्स पार्टी के पूर्व विधायक रईसा खान द्वारा की गई झूठी बयानबाजी के बारे में हुई शिकायतों पर विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट पर ली सीन लूंग अपना पक्ष रख रहे थे। ली ने कहा, “ज्यादातर देश उच्च आदर्शों और महान मूल्यों के आधार पर स्थापित और शुरू होते हैं। हालांकि, अक्सर संस्थापक नेताओं और अग्रणी पीढ़ी से इतर, दशकों और पीढ़ियों में धीरे-धीरे चीजें बदलती हैं।“ नेहरू की याद आते ही पीएम ली ने कहा कि “स्वतंत्रता के लिए लड़ने और जीतने वाले नेता अक्सर महान साहस, अपार संस्कृति और उत्कृष्ट क्षमता वाले असाधारण व्यक्ति होते हैं। वे मुश्किलों से लड़कर राष्ट्र और जनता के नेता के रूप में उभरे। डेविड बेन-गुरियन्स, जवाहरलाल नेहरू उन्हीं नेताओं में से एक थे।”
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ली तो बिलबिला गए
डेविड बेन-गुरियन्स का नाम तो उन्हें विवश होकर जोड़ना पड़ गया था, असल में पीएम ली भारत के वर्तमान परिदृश्य को नीचे दिखाने के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की संज्ञा इसलिए दे रहे थे, ताकि नेहरू के कार्यकाल और मोदी के कार्यकाल में जमीन आसमान का अंतर स्थापित कर सकें। पीएम ली ने आगे कहा,” नेहरू का राष्ट्र अब उनके शासन जैसा नहीं रहा। नेहरू का भारत मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अब ऐसा है जहां लोकसभा में लगभग आधे सांसदों के खिलाफ बलात्कार और हत्या के आरोपों सहित आपराधिक आरोप लंबित हैं। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि इनमें से कई आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।”
बस असल बात यही थी, जिसका ज़िक्र पीएम ली बार-बार करना चाह रहे थे पर सीधे और सटीक शब्दों में पीएम मोदी को दोषी कैसे ठहराते? यही कारण रहा जो गोल-गोल जलेबी बनाकर पीएम ली ने कभी डेविड बेन-गुरियन्स का जिक्र किया तो कभी नेहरू का। ली द्वारा यह खीज निकालने का माध्यम ही था, जिसे उन्होंने अपने वक्तव्य में जलेबी की भांति प्रदर्शित किया, एक दम गोलम-गोल।
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जानें क्या है पूरा मामला?
अब ऐसा क्यों हुआ, यह भी आपको बता ही देते हैं। दरअसल, हाल ही में भारत ने बिगड़ते चीन-भारत संबंधों के बीच 54 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन ऐप्स के बारे में सुरक्षा चिंताओं के कारण प्रतिबंध की घोषणा की गई थी। प्रतिबंधित ऐप्स में से एक ‘फ्री फायर’ भी था। चीनी निवेश के साथ पोषित यह एक सिंगापुर का ऐप है। भारत के लिए चीन से जुड़ा लेश मात्र भी कण उसके लिए शर्म की बात है, इसलिए आज का भारत चीन से जुड़ी किसी भी वस्तु का केवल बहिष्कार ही करना उचित मानता है। भारत जैसे इतने विशाल इंटरनेट बाजार में किसी भी ऐप को प्रतिबंधित करना बहुत बड़े आर्थिक परिणाम की तस्दीक करता है, ऐसा ही सिंगापुर के इस ऐप को प्रतिबंधित होने के बाद हुआ। ‘फ्री फायर’ प्रतिबंध से सी-ग्रुप को तुरंत $16 बिलियन का नुकसान हुआ।
बस निवेश और ऐप के माध्यम से अर्जित हो रही आय के बंद होने से सिंगापुर के पीएम ली की खीज देखते ही बनती थी और उन्होंने इसकी एक झलक अपने वक्तव्य में दिखा दी थी। जिस प्रकार का बयान सिंगापुर द्वारा दिया गया, उसकी प्रतिक्रिया भारत की ओर से भी दी गई। भारत के विदेश मंत्रालय ने सिंगापुर के राजदूत को तलब किया, क्योंकि यह कोई आम बात नहीं है, ऐसे बयान भारत और सिंगापुर के बीच सामरिक संबंधों को अस्थिर करने की नींव रख सकते हैं। दरअसल, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग को तलब कर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
सौ बात की एक बात यह है कि अब भारत वो भारत नहीं रहा, जो अपनी ज़मीन यह कहकर छोड़ दे कि वो तो बंजर थी, अगर चीन ले गया तो क्या हुआ। आज का भारत, अपनी लड़ाई और अपने निर्णय डंके की चोट पर लेता है। सिंगापुर को दिया झटका सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग को इतना जोरों से लगा है कि उनकी हालत खस्ता हो गई है। खैर, जो सच है वो बदल नहीं सकता। निस्संदेह, पीएम मोदी आज हर उस निर्णय को लेने के लिए सक्षम हैं, जो भारत के लिए चूक करता दिखेगा वो भारत के बाहर ही दिखेगा।
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