मुख्य बिंदु
- महात्मा गाँधी के जीवन पर आधारित Why I Killed Gandhi? फिल्म को लेकर हो रहा है विवाद
- एक याचिकाकर्ता ने फिल्म के रिलीज़ पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी रिट याचिका
- सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पर रोक लगाए जाने वाली रिट याचिका पर विचार करने से किया इनकार
“सत्य प्रताड़ित अवश्य हो सकता है किन्तु पराजित नहीं” यह कथन OTT प्लेटफॉर्म पर हाल ही में रिलीज़ हुई 40 मिनट की फिल्म “Why I Killed Gandhi” के संदर्भ में एकदम सटीक बैठता है। दरअसल, महात्मा गाँधी के जीवन के कुछ क्षणों पर आधारित Why I Killed Gandhi? पर उसकी रिलीज़ के बाद से ही एक वर्ग विशेष की गिद्ध दृष्टि बनी हुई है। यह वर्ग विशेष फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाना चाहता है। वहीं, यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पर रोक लगाए जाने वाली रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है और साथ ही याचिकाकर्ता को संबंधित उच्च न्यायलय का रुख करने की सलाह दी। कोर्ट द्वारा याचिका ख़ारिज करने के बाद से यह तो तय है कि लोग अब नाथूराम गोडसे के बारे में थोड़ा ही सही पर साफ़ और सटीक तथ्य से परिचित हो पाएंगे।
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याचिका पर विचार करने से किया इनकार
बता दें कि 40 मिनट की Why I Killed Gandhi? फिल्म निर्देशक अशोक त्यागी द्वारा निर्देशित की गई फिल्म है। TFI के स्तंभकार उत्कर्ष उपाध्याय से बात करते हुए त्यागी ने कहा कि, “यह फिल्म आज़ादी के बाद के कुछ क्षणों को दिखाने से लेकर महात्मा गाँधी की कथित हत्या होने के बाद नाथूराम गोडसे पर चले मुक़दमे का घटनाक्रम बताती है। यह शीर्षक ‘मैंने गाँधी को क्यों मारा?’ उसी पर आधारित है कि अपनी ओर से गोडसे ने न्यायलय में क्या-क्या पक्ष रखे थे।” सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि, यहां याचिकाकर्ता के कोई मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है।
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साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस बात की भी स्वतंत्रता दी है कि वो संबंधित उच्च न्यायलय का रुख कर सकते हैं। याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता देते हुए, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि “अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका केवल तभी दायर की जा सकती है, जब मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ हो। इस याचिका के संदर्भ में याचिकाकर्ता का कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जिसका उल्लंघन प्रतीत होता हो। इस प्रकार इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, अनुच्छेद 226 के तहत याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र है।”
सुप्रीम कोर्ट का सराहनीय निर्णय
बता दें कि याचिकाकर्ता सिकंदर बहल ने सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से विवादित फिल्म की सभी सामग्री को हटाने की मांग करते हुए अधिवक्ता अनुज भंडारी के माध्यम से OTT प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह से फिल्म या इसकी किसी सामग्री पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, यदि फिल्म की रिलीज और प्रदर्शन को नहीं रोका गया, तो यह राष्ट्रपिता की छवि को अपूरणीय रूप से खराब करेगा और सार्वजनिक अशांति, घृणा और वैमनस्य का कारण बनेगा।
महात्मा गांधी की हत्या की बरसी पर 30 जनवरी को विभिन्न OTT प्लेटफॉर्मों पर रिलीज होने वाली फिल्म ने बड़े पैमाने पर विवाद को जन्म दिया है। विशेष रूप से फिल्म में गोडसे की भूमिका में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सांसद अमोल कोल्हे हैं, जिसने महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी सहयोगियों शिवसेना, NCP और कांग्रेस के बीच टकराव को भी जन्म दिया था। ऐसे में, Why I Killed Gandhi? फिल्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय है।