हम राजनीति बदलने आये हैं जी… यह शब्द थे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के, जिनके सत्ता में आने का मूल उद्देश्य रहा कि वह स्वराज लाएंगे। स्वराज का तो पता नहीं पर ईमानदारी और स्वच्छ छवि के उम्मीदवार लाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी के पंजाब में जीते आधे से अधिक अर्थात 92 विधायकों में से कुल 52 विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। यह कहकर कि हमारे जीते उम्मीदवारों में 15 डाक्टरेट हैं, यह वाह-वाही बटोरने के लिए तो ठीक है पर 52 अपराधियों के बारे में बताने में “आप पार्टी और उसके नेताओं” का गला सूख गया। यह वही 13 डॉक्टर बनाम 52 अपराधी वाला मास्टरस्ट्रोक है जो केजरीवाल की ‘अलग रीति की राजनीति’ का पर्दाफाश करता है।
दरअसल, एक रिपोर्ट में पता चला है कि हाल ही में संपन्न हुए पंजाब विधानसभा चुनावों में जीतने वाले 117 उम्मीदवारों में आधे से ज़्यादा उम्मीदवार दागी अर्थात आपराधिक मामलों में आरोपित हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या आम आदमी पार्टी के विधायकों की है जो कुल 58 दागी जीते विधायकों में कुल 52 की संख्या के साथ प्रथम स्थान पाए हुए हैं। रिपोर्ट ने यह प्रदर्शित किया गया है कि 23% उम्मीदवारों के विरुद्ध ‘गंभीर आपराधिक मामले’ दर्ज़ हैं।
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यह है आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी का प्रत्यक्ष उदाहरण जिसमें साफ़-स्वच्छ-ईमानदार छवि वाले ढकोसले का दम टूटता दिख रहा है और अपराधियों को संरक्षण देने के साथ ही विधायक बनाना शुरू है। अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार और अपराध का समूल नाश करने के लिए झंडा-डंडा लेकर आम आदमी पार्टी को बनाए थे, लेकिन अन्तोत्गत्वा अपराध का समूल नाश तो नहीं, साफ़-स्वच्छ-ईमानदार छवि का मायाजाल अवश्य टूट गया और “आम आदमी” वाला भ्रम तो कहीं गली-कूचे में ही छूट गया।
आपराधिक मामलों से पोषित कुछ उदाहरण इस प्रकार है कि आप उम्मीदवार कुलदीप सिंह धालीवाल, जो अमृतसर के अजनाला से जीते हैं, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत अन्य आरोप हैं। इसी तरह, आप के दलजीत सिंह ग्रेवाल, जो लुधियाना पूर्व से जीते थे, पर अन्य के अलावा, आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप लंबित हैं, जैसा कि जालंधर पश्चिम से AAP की विजयी उम्मीदवार शीतल अंगुरल पर है। अंगुरल पर आग या विस्फोटक पदार्थों के साथ की गई शरारत, अपहरण, एक लोक सेवक को अपनी ड्यूटी करने से रोकने के लिए हमला, शस्त्र अधिनियम के तहत आरोप, और कई अन्य आरोपों का भी सामना करना पड़ रहा है। यह तो कुछ नाम हैं इनको मिलाकर कुल 52 कथित ईमानदार आम आदि पार्टी के विद्याका हैं जो अब सत्ता चलायेंगे और भावी मंत्री भी इन्हीं में से बनेंगे।
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यह है आम आदमी पार्टी का दोगला और आपराधिक चरित्र, दिल्ली में ताहिर हुसैन जैसे हत्यारे, अमानतुल्लाह खान जैसे दंगाई सरीखे नेताओं का निर्माण अब पंजाब में भी होना शुरू हो गया है। जनता ने फ्री का ढकोसला तो अपना लिया पर शायद वो दिल्ली के 2020 दंगों को भूल गई वरना शायद यह सब मुमकिन न होता। खैर, जनता का फैसला सर्वमान्य होता है, बस बात इतनी इस है कि यह आपराधिक छवि वाले नवनिर्वाचित विधायक अपने भूतकाल को भुला जनहित में काम करें, यद्यपि यह उम्मीद करना थोड़ा जटिल है पर उम्मीद पर तो दुनिया कायम है साहब, पंजाब भी उम्मीद पर आश्रित हो ही लेगा जब उसने इतना बड़ा निर्णय “फ्री-फ्री-फ्री” के जाल में ले लिया है।
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