टीआरपी के लिए टीवी चैनल्स क्या क्या करते नहीं दिखते, अगर न्यूज चैनलों की बात करें तो वो दर्शकों को चैनल से बांधने के लिए स्क्रीन पर ही बमबारी करने लगते हैं। सही-गलत जो मुंह में आया बोल दिया, जो समझ में आया दिखा दिया, भले ही उसका सत्य से वास्ता हो या नहीं। कुछ ऐसा ही हाल टीवी चैनल्स पर दिखाए जाने वाले टैलेंट रियलिटी शो का भी हो गया है। नाम से तो ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे शो में जो दिखाया जाएगा रियल ही होगा और बवाल ही होगा, लेकिन दर्शकों को क्या पता कि सामने वाला चैनल उनके भावनाओं से खेल कर अपना टीआरपी बटोर रहा है। अगर इस शो के तह की बात करें तो अब टैलेंट रियलिटी शो से टैलेंट और रियलिटी लगभग विलुप्त हो चुके हैं।
इंडियन आइडल सीजन-1 के विजेता ने कही थी ये बात
1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में रियलिटी शो ने भारतीय टेलीविजन पर अपनी छाप छोड़ी, तो ऐसा लग रहा था कि वे बहुत सारी अच्छी प्रतिभाओं को मुख्यधारा में लाने जा रहे हैं। लेकिन वर्ष 2022 तक हम पाते हैं कि ये शो स्क्रिप्टेड, प्रचार स्टंट, भावनात्मक नाटक और नकली प्रेम का केंद्र बन गए हैं और यह खुलासे उन लोगों की ओर से किए जा रहे हैं जो किसी समय रियलिटी शो में शामिल थे।
इंडियन आइडल सीजन-1 के विजेता अभिजीत सावंत ने भी इसकी शिकायत की थी। उन्होंने अपने उन दिनों का उदाहरण दिया, जब वह एक गाने के बोल भूल गए थे। उन्होंने कहा कि जज उन्हें एक और मौका देने की जुगत में थे। अभिजीत ने आगे कहा, “लेकिन मैं आपको विश्वास के साथ बता सकता हूं कि अगर यह आज होता, तो दर्शकों को पूरे नाटकीय प्रभाव के साथ दिखाया जाता।” सावंत ने कहा कि “इन दिनों, निर्माताओं को इस बात में अधिक दिलचस्पी है कि प्रतिभागी अपनी प्रतिभा के बजाय यह दिखे कि वह कितना गरीब है और वो प्रतिभागी उनके नाटक में कितना योगदान देता है।” लेकिन इसके लिए दर्शक भी जिम्मेदार हैं। हिंदी भाषा की जनता हमेशा अधिक मसाला की तलाश में रहती है। इसलिए रियलिटी शो में प्रतिभा खोजने के बजाय भावनात्मक पृष्ठभूमि की कहानियों की तलाश करने के आरोप लगते रहते हैं।
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सान्या मल्होत्रा ने उठाए थे सवाल
ध्यान देने वाली बात है कि अधिकांश प्रतिभागियों में बहुत अच्छी क्षमता होती है, लेकिन वे आगे के चरणों में नहीं जाते हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि इनमें से ज्यादातर कंटेस्टेंट SMS या मिस्ड कॉल के जरिए पब्लिक वोटिंग के कारण बाहर हो जाते हैं। ऑडिशन राउंड में जज अच्छे उम्मीदवारों का चयन करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे नए राउंड शुरू होते हैं, जनता द्वारा पसंद किए जाने वाले उम्मीदवार को ही आगे बढ़ाया जाता है। उसके बाद शुरू होता है चैनलों का खेल। वो उस कंटेस्टेंट के संघर्ष की कहानियों को दिखाने में जुट जाते हैं, जनता को मथने के लिए कुछ भावुक दृश्य दिखाए जाते हैं और टीआरपी बटोरी जाती है। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि उन कंटेस्टेंट की संघर्ष की कहानी को देखकर जज भी आंसू टपकाने लगते हैं, देख कर तो यहीं प्रतीत होता है कि सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं और उन्हें ऐसा करने के लिए बोला गया है।
कुछ साल पहले एक्ट्रेस सान्या मल्होत्रा ने एक डांस रियलिटी शो को लेकर कुछ ऐसा ही कमेंट किया था। उन्होंने कहा था कि “मुझे शीर्ष 100 में चुना गया था लेकिन मैं आगे नहीं जा पाई, क्योंकि दर्शकों की सहानुभूति को आकर्षित करने के लिए उनके पास एक दुखद कहानी नहीं थी।” उन्होंने कहा था, “कुछ प्रतियोगियों ने झूठ बोला कि उनके माता-पिता उन्हें नृत्य करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, लेकिन विडंबना यह थी कि उनके माता-पिता उन्हें छोड़ने आए थे।” पूर्व सिंगिंग रियलिटी शो की होस्ट मिनी माथुर भी रियलिटी शो में भावनात्मक कहानियों के इस्तेमाल की पुष्टि करती दिखी थी। उन्होंने कहा, “यह बेकार है। मैं 2012 के सीज़न का हिस्सा नहीं थी, लेकिन मुझे पता है कि उन्होंने जो कुछ भी व्यक्त किया है, वह रियलिटी टीवी पर होता है।”
TRP की अंधीदौड़
हम अक्सर टीआरपी को न्यूज चैनलों पर सनसनीखेज और टीआरपी के भूखे पत्रकारों के अजीब व्यवहार से जोड़ते हैं, लेकिन रियलिटी शो भी पीछे नहीं है। TOI ने एक प्रोडक्शन हाउस के एक अनाम स्रोत के हवाले से कहा, “पहले, वे मुख्य रूप से प्रतियोगियों की प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करते थे, लेकिन कई वर्षों से जैसे-जैसे अधिक रियलिटी शो आने लगे, इन शो को दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ अतिरिक्त की आवश्यकता थी। शो को और अधिक भरोसेमंद बनाने के लिए, प्रतियोगियों की पृष्ठभूमि को चित्रित किया गया था। हालांकि, जब शो को टीआरपी मिलना शुरू हुआ, तो कुछ शो ने इसे और जोड़ना शुरू कर दिया – चाहे वह प्रतियोगियों के माध्यम से हो या फिर जज के माध्यम से- और इस तरह इन रियलिटी शो में प्रतिभा से ज्यादा नाटक पर ध्यान केंद्रित किया गया।” नकली और स्क्रिप्टेड होने के सभी आरोपों के बावजूद, टैलेंट-हंट रियलिटी शो टीआरपी चार्ट पर हावी हैं। यही कारण है कि वे आए दिन दर्शकों की भावनाओं का शोषण करते रहते हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि टैलेंट रियलिटी शो में अब वास्तव में टैलेंट से इतर सबकुछ प्रदर्शित किया जाता है।
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