90 के दशक में जो कश्मीरी पंडितों का नरसंहार हुआ था आज तक वो घाव नहीं भर पाया है। अपनी मातृभूमि से अगर किसी को मार कर निकाल दिया जाए और उन पर जघन्य अपराध किये जाए तो सोचिए कि उन लोगों पर पर क्या बीती होगी। इसी कड़ी में जब फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने कश्मीरी हिन्दुओं के साथ हुए जघन्य अपराध को अपने फिल्म के माध्यम से दर्शाया तो देश का वामपंथी समाज और कुछ राजनेताओं के दिलों में आग लग गई। उन्हीं नेताओं में शामिल दिल्ली के मुखिया अरविन्द केजरीवाल हैं जिन्होंने कश्मीरी पंडितों के बलिदान का मज़ाक उड़ाया और साथ ही कश्मीर फाइल्स फिल्म को झूठा करार दे दिया। एक राज्य का मुखिया अगर किसी गंभीर विषय पर इस तरह का व्यवहार करता है तो बड़े ही खेद की बात होती है।
देखते ही देखते खड़ा हो गया था बड़ा विवाद
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले हफ्ते उस समय विवाद खड़ा कर दिया था जब उन्होंने दिल्ली विधानसभा के पटल पर ‘द कश्मीर फाइल्स को एक झूठी फिल्म बतायी थी। उन्होंने 24 मार्च को दिल्ली विधानसभा में कश्मीर फाइल्स को यूट्यूब पर अपलोड करने की मांग की थी। गौरतलब है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ को यूट्यूब पर अपलोड करने वाली बात और विधानसभा में केजरीवाल की हंसी की चर्चा खूब हो रही है।
27 मार्च को टाइम्स नाउ को दिए इंटरव्यू में अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मैंने 233 कश्मीरी पंडितों को नौकरी दी है जो दशकों से दिल्ली में अनुबंध पर काम कर रहे थे। भाजपा ने क्या किया? इसके साथ ही उन्होंने कश्मीरी पंडितों के मसले को संवेदनशील बताते हुए केंद्र के साथ मिलकर काम करने की इच्छा भी जताई।हालांकि, कश्मीरी पंडितों के शिक्षक संघ ने उनके दावों का खंडन किया है और अदालती मामलों की समय-सीमा के साथ एक विस्तृत प्रेस नोट जारी किया है जिसमें बताया गया है कि कैसे उनकी सरकार ने स्पष्ट रूप से उन्हें नौकरी नहीं देने का प्रयास किया।
अरविंद केजरीवाल ये दिखाना चाहते थे की इन कश्मीरी पंडितों की कितनी सेवा की है, लेकिन कश्मीरी पंडित शिक्षक संघ ने उनकी सफ़ेद झूठ को उजागर कर दिया। दरअसल कश्मीरी पंडित शिक्षक संघ ने सोमवार को कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने का श्रेय लेने पर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की कड़ी आलोचना की।
गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (प्रवासी) ने क्या बयान दिया?
गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (प्रवासी) द्वारा जारी बयान में कहा, “हम दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए बयान की कड़ी निंदा करते हैं कि कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों की सेवाओं को नियमित किया गया था।”शिक्षकों के निकाय ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने उनकी सेवा नियमितीकरण में बाधा डालने की कोशिश की।बयान में, शिक्षक निकाय ने उन घटनाओं की एक समयरेखा सूचीबद्ध की जिसके कारण दिल्ली में उनकी सेवाओं को नियमित किया गया।
शिक्षकों के निकाय ने दावा किया कि उन्होंने 6 जून, 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पांच साल बाद 2015 में उनकी सेवाओं को नियमित करके उनके पक्ष में फैसला सुनाया। शिक्षकों के निकाय ने तब दावा किया कि दिल्ली सरकार द्वारा उसी फैसले को HC की दो-न्यायाधीशों की पीठ में चुनौती दी गई थी। 21 मई, 2018 को बेंच ने फैसला सुनाया जिसने दिल्ली सरकार को कश्मीरी पंडितों की सेवाओं को नियमित करने का निर्देश दिया।
उन्होंने आगे दावा किया कि हाई कोर्ट के आदेश के उनके पक्ष में आने के बाद, दिल्ली सरकार ने तब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। शीर्ष अदालत ने 2018 में दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद 2019 में कश्मीरी पंडित शिक्षकों की सेवाओं को नियमित कर दिया गया। शिक्षक संघ के ”बयान में कहा गया ,उपरोक्त घटनाओं से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि दिल्ली सरकार कश्मीरी पंडित शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने में कभी दिलचस्पी नहीं ले रही थी। वास्तव में, दिल्ली सरकार ने अंत तक नियमितीकरण का विरोध किया।
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ट्वीटर यूजर ने केजरीवाल पर तंज कसा
इस मामले में एक ट्वीटर यूजर ने कुछ इमेज पोस्ट कर केजरीवाल पर तंज कसते हुए लिखा , यह उन 199 कश्मीरी पंडित शिक्षकों के नाम है जिनके खिलाफ केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उन्हें नुकसान हुआ क्योंकि अरविंद केजरीवाल अपने विज्ञापनों को YouTube पर मुफ्त में नहीं डालते थे।
वहीं इस मामले के सामने आने के बाद कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने भी केजरीवाल की बखियां उधेड़ दी है दरअसल अपने एक ट्वीट में विवेक अग्निहोत्री ने लिखा ,हे भगवान। यह बहुत शर्म की बात है कि कश्मीरी हिंदू शिक्षकों को सामने आना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर झूठ बोलने पर कानून में क्या सजा है?
OMG. It’s such a shame that Kashmiri Hindu teachers have to come out and call out the white lies of an elected representative. What is the punishment in law for lying on SC judgement? https://t.co/jVX4THYK28
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) March 28, 2022
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी राजनीति का स्तर इतना नीचे गिरा चुके हैं कि वो किसी भी मामले पर अपनी गलत बयानबाजी करने से गुरेज नहीं करते।अब इस मामले ने इतना बवाल मचा दिया है कि केजरीवाल चौतरफा घिरते जा रहे हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि कश्मीरी पंडित शिक्षकों ने खुद केजरीवाल का सफ़ेद नकाब उतार दिया है। अरविंद केजरीवाल इतने झूठ बोलते है की खुद पिनोकियो भी शर्मा जाए। एक प्रसिद्ध लघुकथा में यदि पिनोकियो झूठ बोलता, तो उसकी नाक लंबी हो जाती।
खैर, अब अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी भी बैकफुट पर आ गई है। हिन्दु पीड़ितों के मामले में इस तरह की गलत बयानबाजी से उनका राजनीतिक कद को नुक्सान होना तय है। हिन्दू जान गए हैं की केजरीवाल के खाने के दांत कुछ और है और दिखने के कुछ और।ये मामला इतना बढ़ गया है की केजरीवाल को आने वाले चुनाव में नुक्सान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उन्होंने जो काण्ड किया है वो अब जनता भूलने वाली नहीं है खास कर हिन्दू समुदाय।