देश में धर्मान्तरण आज एक बड़ी समस्या हो चुका है। देश में हिन्दुओं के धर्मान्तरण करने का मामला दिन-प्रतिदिन सामने आ रहा है। इस मामले को लेकर देश के अलग-अलग राज्यों में धर्मांतरण बिल लाए जा रहे हैं | इसी कड़ी में हरियाणा भी शामिल हो गया है।
धर्मांतरण बिल में क्या है ?
आपको बतादें कि धर्मांतरण के मुद्दे पर हरियाणा सरकार ने‘ Haryana Prevention of Unlawful Conversion of Religious Bill, 2022’ पारित किया।इस विधेयक का उद्देश्य बल, अनुचित प्रभाव या प्रलोभन के माध्यम से होने वाले धर्मान्तरण को रोकना है। इस बिल के अनुसार यदि धर्मांतरण लालच, बल प्रयोग, कपटपूर्ण तरीके से किया जाता है, तो इस प्रावधान में एक से पांच साल की कैद और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने का शामिल है।आपको बतादें कि विधेयक, जिसे 4 मार्च को विधानसभा में पेश किया गया था | विधेयक पारित होने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने कहा – की एक व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म बदल सकता है, लेकिन किसी के साथ जबरन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। धोखे से या किसी भी तरह का लालच देकर धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इस विधेयक का उद्देश्य जबरन धर्म परिवर्तन को नियंत्रित करना है।
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पहले भी कई राज्य ऐसे विधेयक पारित कर चुके हैं
गौरतलब है, कि उत्तर प्रदेश में भी लव जिहाद और अन्य प्रकार के अवैध धर्मांतरण को अपराध घोषित करने वाले उत्तर प्रदेश विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 या यूपी गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अध्यादेश 2020 के विधेयक को भी मंजूरी दी गयी थी। इस कानून में ऐसे प्रावधान हैं जो अपराधियों को 1 से 5 साल तक जेल में डाल सकते हैं और 15,000 रुपये का जुर्माना लगा सकते हैं। विधेयक में सामूहिक धर्म परिवर्तन के लिए 10 साल की जेल का भी प्रावधान है। हरियाणा से पहले अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड जैसे अन्य राज्यों ने भी धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित किए हैं |
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धर्मांतरण विधेयक पारित होने के विरोध में काँग्रेस का वाकआउट
वहीं दूसरी ओर जैसे हीं यह धर्मांतरण बिल पारित हुआ काँग्रेस खुल कर इस विधेयक का विरोध करने लगी। काँग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जबरन धर्मांतरण के मामलों से निपटने के लिए कानून में पहले से ही प्रावधान हैं, तो नए कानून लाने की कोई जरूरत नहीं है।कांग्रेस इस विधेयक के पारित होने पर इतना झल्ला उठी की उसने विधानसभा सदन से वाकआउट कर दिया।
हुड्डा ने नए कानून को लेकर कहा कि इससे उन परिवारों के बीच विवाद बढ़ सकता है जहां अंतरधार्मिक विवाह हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने यह भी सुझाव दिया कि ऐसा प्रावधान होना चाहिए जिसमें शादी के एक महीने बाद ऐसी कोई शिकायत दर्ज न की जाए । वहीं कांग्रेस की किरण चौधरी ने धर्मांतरण कानून को “डरावना विधेयक” कहा और आरोप लगाया कि यह “सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देगा”।
किरण चौधरी ने यह भी कहा कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, और इसका दीर्घकालिक प्रभाव होगा। काँग्रेस की तरफ से विरोध करने वाले एक और कांग्रेस विधायक रघुवीर सिंह कादियान ने कहा – कि यह विधेयक विभाजनकारी है ,और इससे राजनीति की बू आती है तथा ऐसा कानून आने वाली पीढ़ियों के हित में नहीं है | काँग्रेस ने प्रस्तावित कानून को एक राजनीतिक एजेंडा करार दिया | जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य अपराध करने वालों में डर पैदा करना है , जिससे वो धर्मान्तरण जैसे जघन्य अपराध करने की हिम्मत ना कर सकें।
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धर्मांतरण एक गंभीर समस्या
देश की कई राज्यों में धर्मांतरण की घटनाएँ सामने आ रही हैं | ऐसे में देश के उन राज्य सरकारों को नींद से जागने की जरुरत है, जो धर्मान्तरण के मुद्दे पर कानून बनाने को लेकर अब तक चुप्पी साधे हुए हैं, तथा धर्मान्तरण पर जल्द से जल्द रोक लगाने के लिए अन्य राज्यों में भी क़ानून बनाने और उसे लागू करने की जरूरत है ,अन्यथा धर्मांतरण देश के लिए एक गंभीर समस्या के रूप में मजबूत होता जाएगा |भाजपा शाषित राज्य ने हिन्दुओं की रक्षा और सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है परन्तु काँग्रेस हमेशा से एक समुदाय को खुश करने के लिए ऐसे धर्मान्तरण का विरोध करने वाले कानूनों का विरोध करते आयी है । काँग्रेस जिस तरह से हिन्दुओं के मुद्दों पर अपनी कुंठा दिखा रही है , इससे 2024 लोकसभा चुनाव में भी हार मिलने के संकेत प्रबल है , क्योंकि धर्मांतरण एक ऐसा मुद्दा है , जिसका विरोध काँग्रेस की राजनीति के लिए आखिरी कील साबित होगी।
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