बंगाल में जब से ममता बनर्जी फिर से सत्ता में आई हैं, तबसे पश्चिम बंगाल के हालात बद से बदतर होते चले गए हैं | ऐसा लगता है कि कानून व्यवस्था राज्य में है ही नहीं । बीरभूम में हुई भीषण हत्याओं से पता चलता है, कि राज्य में असामाजिक तत्वों ने कब्जा कर लिया है। बंगाल अब केरल की तरह बन गया है, जहाँ अपराधियों और आतंकवादियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है। आपको बतादें 25 मार्च की सुबह पुलिस ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुरहाट 2 सीडी ब्लॉक के मारग्राम गांव से 200 देसी बम बरामद किए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने करीब 6 बैरल क्रूड बम बरामद किए हैं। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
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बंगाल में लगातार होती हिंसक घटनायें
आपको ज्ञात हो कि मारग्राम, बोगतुई गांव से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां भादु शेख नाम के एक टीएमसी नेता की कथित हत्या के बाद बीरभूम के रामपुरहाट में मंगलवार (22 मार्च) की रात बदमाशों एक समूह ने करीब 12 घरों में आग लगा दी, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित आठ लोगों की भीषण मौत हो गई थी |जले हुए शवों की ऑटाप्सी रिपोर्ट से पता चला कि पीड़ितों को उनके घरों में बंद करने और आग लगाने से पहले पीटा गया था। माना जाता है कि टीएमसी नेता भादु शेख की हत्या का बदला लेने के लिए इस भीषण नरसंहार को अंजाम दिया गया था। इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया था, और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट का अनुरोध किया था। हिंसा के जिम्मेदार टीएमसी के ब्लॉक अध्यक्ष अनारुल हुसैन को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है।
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हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी
बीरभूम हिंसा के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इस घटना की निन्दा की और राज्य सरकार से अपराधियों को न्याय दिलाने की अपील की। शुक्रवार (25 मार्च) को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया।कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी विकट है कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को भी राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने के लिए कहना पड़ा। उन्होंने राज्य के संवैधानिक तंत्र के पूरी तरह चरमरा जाने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति से अनुच्छेद 355 लगाने की मांग की है | उन्होंने आगे कहा- कि केवल पिछले महीने में ही पश्चिम बंगाल में 26 राजनीतिक हत्याएं हुई थीं |
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बंगाल में कानून व्यवस्था और पुलिस की उदासीनता को लेकर उठते सवाल
2021 के विधानसभा चुनाव में चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं का डर राज्य के लोगों को सता रहा है। चुनाव से पहले ही तालिबानी शैली में पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या करना प्रारंभ हो गया था। आरएसएस और बीजेपी से जुड़े बहुत सारे राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गुंडों ने दिनदहाड़े मार डाला गया | यही नहीं चुनाव के बाद भी गुंडे नहीं रुके, चुनावी नतीजों के बाद लगातार बलात्कार, हत्यायें हुयीं । इस सब पर भी बंगाल पुलिस ने कुछ नहीं किया, क्योंकि ममता प्रशासन के तहत बंगाल पुलिस या तो असहाय थी या आतंकवादियों के साथ घनिष्ठता में थी।
ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति
बंगाल में हिंसा के फैलने का मुख्य कारण पड़ोसी देश बांग्लादेश से आये विदेशी मुसलमान है। ममता बनर्जी के चुनाव अभियान का मुख्य स्तंभ मुसलमानों का तुष्टिकरण है, जिसके लिए वह राज्य में अवैध बांग्लादेशियों को वैधता प्रदान करती हैं, और बदले में यह लोग ममता बनर्जी को वोट देते हैं। ममता बनर्जी जानती हैं, कि स्थानीय लोग उनके बहुत समर्थक नहीं हैं, इसलिए वह अवैध अप्रवासियों का सहारा लेती हैं, धीरे- धीरे यही अप्रवासी ममता का ठोस वोट बैंक बन गए हैं |
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केरल से तुलना
बंगाल की तुलना केरल से इसलिए की जा रही है, क्योंकि केरल की समस्या भी उतनी ही बड़ी है। केरल ने वर्षों से स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया, इंडियन मुजाहिदीन, बेस मूवमेंट (अल-कायदा का स्थानीय अध्याय) जैसे आतंकी समूहों के प्रभाव को देखा है| आज केरल में इस्लामिक स्टेट के प्रति अधिक जुड़ाव देखने को मिलता है । केरल में कई मुस्लिम युवाओं ने एक साथ मिलकर अंसार-उल-खिलाफा नामक एक संगठन शुरू किया था। यह ISIS के लिए फीडर ऑउटफिट था और इसका काम लोगों की पहचान करना और उन्हें ISIS के पास भेजना था। समूह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस समूह के कई सदस्यों को केरल के कन्नूर जिले के कनकमला में एक साजिश रचने के बाद गिरफ्तार किया था। यही नहीं केरल के कई युवा ISIS जैसे खतरनाक संगठनों मे जुड़ रहे है ,केरल से हजारों लड़कियां मध्य एशिया के देशों मे तस्करी करके भेजी जाती है | पिछले कुछ सालों से बंगाल भी केरल के नक्शेकदम पर चल रहा है | हम देख रहे हैं कि किस तरह से बंगाल में हर दिन आतंक और उन्माद बढ़ता जा रहा है | ऐसे में यदि बंगाल, केरल के रास्ते पर चलता रहा, तो यह देश की अखंडता के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है |