विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित ‘द कश्मीर फाइल्स’ सफलता के नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। इस समय, केवल भारत में इस फिल्म ने अब तक 20 करोड़ के बजट के मुकाबले लगभग 141.25 करोड़ रुपये कमा चुकी है, जो निस्संदेह इसे ‘ब्लॉकबस्टर’ की श्रेणी में ला खड़ा करती है। लेकिन कथा यहीं पर नहीं खत्म होती। ‘द कश्मीर फाइल्स’ की सफलता से चिढ़कर अनेक वामपंथी और विपक्षी पार्टी, विशेषकर कांग्रेस केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहती है।
इसका प्रारंभ अनाधिकारिक रूप से कांग्रेस के मुखपत्र कहे जाने वाले वामपंथी न्यूज चैनल एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने ट्वीट किया,
“एक सार्थक प्रश्न है – क्या किसी को याद है कि आखिरी बार कब किसी भारतीय सरकार ने अपनी पूरी शक्ति लगाते हुए एक निजी मूवी को बढ़ावा दिया, ताकि वह अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाने पर ले सके” –
Genuine q: can anyone recall the last time the Indian state threw its entire weight in promoting a privately produced movie while using it to target its political opponents?
— Sreenivasan Jain (@SreenivasanJain) March 15, 2022
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निस्संदेह इस ट्वीट के जरिए श्रीनिवासन ‘द कश्मीर फाइल्स’ को दिए गए पीएम नरेंद्र मोदी के प्रत्यक्ष समर्थन के प्रति अप्रत्यक्ष रूप से उंगली उठा रहे थे। परंतु श्रीनिवासन को क्या ज्ञात था कि सोशल मीडिया पर सब उसकी भांति भोलूराम नहीं बैठे हैं। इन्ही में से एक, विक्रांत कुमार नामक यूजर ने श्रीनिवासन की पोल खोलते हुए ट्वीट किया,
“1980 – प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तब लगभग 7 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दी थी रिचर्ड एटेनबोरो को गांधी पर फिल्म बनाने के लिए। इस स्क्रिप्ट पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की विशेष कृपा थी। इस फिल्म का मूल उद्देश्य था भारतीय जनमानस पर गाँधीवाद का परचम लहराना और स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस का महिमामंडन करना। हम आज भी उसका मूल्य चुका रहे हैं। क्षमा कीजिएगा, अभी ज्ञात हुआ कि वास्तविक खर्च तो 10 मिलियन डॉलर का था, 7 मिलियन तो प्रारम्भिक निवेश था” –
1980 – PM Indira Gandhi financed ($7 Million) to Richard Attenborough for making the Movie Gandhi
The Script was especially vetted by I&B ministry
The idea was to capture Indian mind with Gandhism & glorify the role of Congress in freedom struggle
We are still paying for it.. https://t.co/CfW69Hqb2X
— Vikrant ~ विक्रांत (@vikrantkumar) March 15, 2022
1982 में प्रदर्शित ‘गांधी’ मोहनदास करमचंद गांधी के जीवन पर आधारित एक बायोपिक थी, जिसमें भारतीय मूल के ब्रिटिश एक्टर बेन किंग्सले ने गांधी की भूमिका निभाई। इस फिल्म को 8 ऑस्कर पुरस्कार मिले, जिसमें से बेन किंग्सले को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी मिला। उन्होंने अनेक लोगों का आभार जताया, जिसमें जवाहरलाल नेहरू और मोतीलाल कोठारी के नाम का विशेष उल्लेख भी हुआ –
निस्संदेह जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख तो स्वाभाविक था, परंतु मोतीलाल कोठारी कौन थे? वे तत्कालीन भारतीय उच्चाधिकारी थे, जिन्होंने रिचर्ड एटेनबोरो के ‘गांधी’ पर फिल्म बनाने के विचारों को खूब समर्थन दिया, और जल्द ही 1980 तक आते आते परिस्थितियाँ कांग्रेस और एटेनबोरो दोनों के पक्ष में आने लगी। सूत्रों की माने तो इस फिल्म के लिए नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानि NFDC से विशेष रूप से फंडिंग भी दिलवाई गई थी।
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परंतु इस बात से कुछ प्रश्न स्वाभाविक तौर पर उठते हैं – क्या इस फिल्म से कांग्रेस को लाभ मिला? निस्संदेह मिला! क्या इस फिल्म से कांग्रेस की छवि भारत में सुधरी? अवश्य? परंतु क्या इससे NFDC को कुछ मिला? नहीं। अगर इस फिल्म से सरकार को वित्तीय लाभ मिला, तो वह गया कहाँ?
इन प्रश्नों का उत्तर कांग्रेस तो छोड़िए, श्रीनिवासन जैन से भी पूछने चलेंगे तो उन्हे सांप सूंघ जाएगा, ठीक वैसे ही, जैसे 2G से लेकर औगस्टा वेस्टलैंड घोटाला पर कांग्रेसी और उनके चमचों को सांप सूंघ जाता है। वहीं दूसरी ओर ‘द कश्मीर फाइल्स’ की सफलता का कोई जवाब नहीं है, और अभी अगर ये हाल, तो कल्पना कीजिए ‘द दिल्ली फाइल्स’ के रिलीज़ पर क्या होगा।