महाशक्तियों का जन्म बड़े वैश्विक संगठनों के बीच होता है। जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत संघ महाशक्ति बने और शीत युद्ध की खींचतान में चीन ने चुपचाप आर्थिक क्रांति को जन्म दिया। इस समय दुनिया में रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण उथल-पुथल का दौर चल रहा है। अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर विभिन्न आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं जिसके अंतर्गत अमेरिकी कंपनी मास्टर कार्ड द्वारा भी रूस पर प्रतिबंध लगाया गया है। रूसी नागरिक अपने क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। यह भारत के लिए अवसर है कि वह रूस को अपने RuPay कार्ड का प्रस्ताव दे।
कार्ड कंपनी Visa Inc. ने आखिर क्या घोषणा की है
मास्टरकार्ड और वीज़ा ने रूस में अपनी सेवाओं को रोक दिया। मास्टरकार्ड ने घोषणा की है कि उसने कई रूसी वित्तीय संस्थानों को दी जाने वाली अपनी सेवाओं को अवरुद्ध कर दिया है। यह कदम यूक्रेन पर उसके आक्रमण को लेकर रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के अनुपालन में आया है। एक अन्य अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कार्ड कंपनी Visa Inc. ने भी इसकी घोषणा की है।
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वीजा और मास्टरकार्ड के इस कदम का आम रूसी नागरिक के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा। इस समय रूस में 30 करोड़ से अधिक क्रेडिट और डेबिट कार्ड प्रयोग हो रहे हैं जिनमें लगभग 21 करोड़ 60 लाख कार्ड इन्हीं दोनों कंपनियों के हैं। दोनों कंपनियों द्वारा रूस में होने वाले खुदरा लेनदेन का 30 से 60% भुगतान नियंत्रित किया जाता है। यह दोनों कंपनियां अपनी सेवाएं बंद कर देंगी तो रूस का अंदरूनी व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित होगा। यही कारण है कि रूसी नागरिक इस समय एटीएम के बाहर लंबी कतारें लगा कर खड़े हैं क्योंकि वह अधिक से अधिक मुद्रा निकाल लेना चाहते हैं।
भारत के पास अवसर ही अवसर
जब अमेरिकी कंपनियां रूस पर इस प्रकार के प्रतिबंध लगा रही हैं तो भारत के पास अवसर है कि वह अपने RuPay कार्ड को रूस के लिए उपलब्ध करवाए। इससे भारत की रूस के साथ मित्रता और मजबूत होगी साथ ही रूस की भारत पर आर्थिक लेनदेन के लिए निर्भरता बढ़ेगी। इन दोनों कंपनियों द्वारा जो बाजार खाली किया जा रहा है उसमें भारत के RuPay के लिए बड़ा अवसर है। अमेरिका के बाद विश्व में सबसे अधिक सॉफ्ट पावर रखने वाले देशों में रूस का भी नाम शामिल है। रूस पूर्वी यूरोप, मध्य एशिया सहित अफ्रीका के कई देशों में बहुत प्रभावी है। ऐसे में यदि भारत अपने RuPay कार्ड को रूस में सफलतापूर्वक चला लेता है तो वैश्विक स्तर पर भारत के लिए कई बाजार खुल जाएंगे।
RuPay 2012 से कार्य कर रहा है किंतु इस क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों के आधिपत्य के कारण इसे अधिक सफलता नहीं मिल सकी थी। किंतु आज यह भारत के आंतरिक लेनदेन में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में भी अपनी जगह बना रहा है।
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क्योंकि भारतीय बाजार पर अमेरिकी कंपनियां पहले ही हावी थी इसलिए RuPay ने गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के बीच पहले अपनी जगह सुनिश्चित की। प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत खुलने वाले अकाउंट को RuPay कार्ड से जोड़ा गया। यह आम लोगों के लिए सुलभ था क्योंकि इसकी सेवाएं बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अपेक्षा बहुत सस्ती थीं।
सरकार ने भारतीयकरण पर पूरा बल दिया
भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव विशेष रूप से डिजिटलीकरण की शुरुआत के साथ ही भारत सरकार ने भारतीयकरण पर पूरा बल दिया है। इसका लाभ RuPay को भी मिला है जो आज भारत में 60% मार्केट शेयर अपने कब्जे में कर चुका है। भारत में इस कार्ड की स्वीकार्यता ने दूसरे देशों को भी इसकी ओर आकर्षित किया है। 2019 तक 195 देशों के नागरिकों द्वारा इस कार्ड का प्रयोग किया जाने लगा। आज इस कार्ड को 200 से अधिक देशों में स्वीकार किया जाता है।
रूस ने हर अच्छे बुरे दौर में भारत की मदद की है। आज भी रूस पाकिस्तान के शस्त्रीकरण से स्वयं को दूर बनाए हुए हैं जबकि चीन लगातार रूस पर पाकिस्तान को अधिक तवज्जो देने के लिए दबाव बनाए रहता है। रूस की भारत में रूचि इसलिए है क्योंकि भारत हथियारों का आयातक है। लेकिन अब भारत अपने हथियार आयात को रूस के साथ ही अन्य देशों की ओर मोड़ रहा है और अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता को मजबूत कर रहा है। ऐसे में भविष्य में भी रूस और भारत के संबंध प्रगाढ़ बने रहे इसके लिए आवश्यक है कि भारत एक कदम आगे चले। RuPay कार्ड भारत को रूस के संदर्भ में कूटनीतिक बढ़त दे सकता है। सॉफ्ट पावर कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा रूस यूक्रेन युद्ध से लगाया जा सकता है। रूस पर दबाव बनाने के लिए पश्चिमी देशों को बल प्रयोग नहीं करना पड़ रहा है। आर्थिक प्रतिबंध एक प्रभावी तरीका है। भारत को अपनी सॉफ्ट पावर बढ़ाने के लिए खतरे उठाने पड़ेंगे और लीक से हटकर प्रयास करने पड़ेंगे।